लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। यूपी की नौ विधानसभा सीट के उपचुनाव (UP byelection) को लेकर 20 नवंबर को मतदान होगा। इन्हीं में से एक सीट मैनपुरी जनपद की करहल है। यहां से बीजेपी ने मुलायम सिंह यादव के दामाद और सांसद धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई अनुजेश यादव को सियासी दंगल में उतारकर सपा के खेमें में हलचल बढ़ा है। अनुजेश यादव के खिलाफ सपा ने लालू प्रसाद यादव के दामाद तेज प्रताप को टिकट देकर चुनाव में उतारा है। अखिलेश यादव से लेकर डिम्पल यादव अपने घर पर कब्जा बरकरार रखने के लिए रैली-जनसभा कर चुके हैं तो सीएम योगी आदित्यनाथ ने भी हुंकार भरी और ‘बंटोगे तो कटोगे’ का नारा बुलंद कर सपा कैंडीडेट का ‘ब्लडप्रेशर’ बढ़ा दिया है।
दो दामादों के बीच मुकाबला
मैनपुरी को सपा का गढ़ कहा जाता है। मैनपुरी लोकसभा सीट से मुलायम सिंह कईबार सांसद रहे। नेता जी के निधन के बाद अब यहां से डिम्पल यादव सांसद हैं। मैनपुरी (UP byelection) की करहल से 2022 में अखिलेश यादव विधायक चुने गए। 2024 के लोकसभा चुनाव में सपा प्रमुख कन्नौज से लड़े और सांसद निर्वाचित हुए। ऐसे मे अब यहां उपचुनाव हो रहा है। बीजेपी ने इस सीट से मुलायम सिंह यादव के दामाद (भतीजी संध्या यादव के पति) अनुजेश प्रताप यादव को मैदान में उतारा है। अनुजेश सांसद धर्मेंद्र यादव के सगे बहनोई हैं। वहीं सपा ने तेज प्रताप को चुनावी दंगल में उतारा है। तेज प्रताप लालू प्रसाद यादव के दमाद हैं। ऐसे में इसबार उपचुनाव में दो दामादों के बीच मुकाबला हो रहा है। जानकार बताते हैं कि करहल की लड़ाई बीजेपी ने रोचक बना दी है। बीजेपी की ‘प्रयोगशाला’ का असर भी करहल में दिख रहा है।
कौन हैं बीजेपी प्रत्याशी अनुजेश प्रताप यादव
बीजेपी के प्रत्याशी अनुजेश यादव भारौल, फिरोजाबाद के रहने वाले हैं। वह वर्ष 2015 से 2020 तक फिरोजाबाद से जिला पंचायत सदस्य रहे हैं। उनकी पत्नी संध्या यादव भी इसी अवधि में मैनपुरी (UP byelection) की जिला पंचायत अध्यक्ष रही हैं। वह स्व. मुलायम सिंह यादव के भाई अभयराम यादव (सपा सांसद धर्मेंद्र यादव के पिता) की पुत्री हैं। वहीं अनुजेश यादव की मां उर्मिला यादव वर्ष 1993 और 1997 में तत्कालीन घिरोर विधानसभा सीट से दो बार सपा की टिकट पर विधायक रह चुकी हैं। अनुजेश यादव के परिवार और सैफई परिवार के बीच रिश्तेदारी होते हुए भी पुरानी खटास चली आ रही है। अनुजेश 2017 में बीजेपी में शामिल हो गए थे। पत्नी भी बीजेपी की सदस्यता ले ली थी।
2015 में हुई थी दोनों परिवार के बीच अनबन
2017 से पहले अनुजेश और मुलायम सिंह यादव के परिवारों के बीच गहरा रिश्ता रहा है। मुलायम सिंह यादव के समय में अनुजेश यादव की मां उर्मिला यादव को सपा ने कई बार चुनाव लड़ाया। वह विधायक भी बनी। वर्ष 2011 में अनुजेश की मां ने सपा छोड़कर कांग्रेस का दामन (UP byelection) थाम लिया था। वर्ष 2012 में कांग्रेस की टिकट पर करहल विधानसभा सीट से चुनाव लड़ा था, परंतु जीत हासिल नहीं कर पाई थीं। बाद में वह दोबारा सपा में शामिल हो गई। 2015 में अनुजेश यादव की पत्नी संध्या यादव समाजवादी पार्टी प्रत्याशी के तौर पर मैनपुरी जिला पंचायत की अध्यक्ष चुनी गईं थीं। दोनों परिवार एकजुट थे। फिर परिवार के साथ कुछ अनबन हो गई और जुलाई 2015 को सपा का एक धड़ा उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाया था।
फिर बीजेपी में शामिल हुए अनुजेश यादव
उस वक्त संध्या यादव को बीजेपी (UP byelection) का सहयोग मिला था और उनके खिलाफ प्रस्ताव गिर गया था। इसके बाद वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले अनुजेश यादव बीजेपी में शामिल हो गए थे, जबकि संध्या यादव वर्ष 2021 में जिला पंचायत सदस्य का चुनाव भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़ीं। हालांकि उस चुनाव में उनको पराजय का सामना करना पड़ा था। 2022 के विधानसभा चुनाव में अनुजेश ने बीजेपी से टिकट मांगा था, पर मिला नहीं। बावजूद वह सपा प्रमुख के खिलाफ चुनाव प्रचार करते रहे। हालांकि अखिलेश यादव को करहल से इकतरफा जीत मिली। उपचुनाव में बीजेपी ने मुलायम सिंह यादव के दामाद पर दांव लगाया और चुनाव को रोचक बना दिया है।
कौन हैं सपा उम्मीदवार तेज प्रताप सिंह
तेज प्रताप सिंह यादव समाजवादी पार्टी (UP byelection) के संस्थापक और दिवंगत नेता मुलायम सिंह यादव के बड़े भाई रतन सिंह के पोते हैं। वह सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव के चचेरे भाई रणवीर सिंह के बेटे हैं, जो अब इस दुनिया में नहीं हैं। रणवीर सिंह ने मशहूर सैफई महोत्सव की नींव रखी थी। तेज प्रताप सिंह की मां का नाम मृदुला यादव है। वहीं, उनकी पत्नी का नाम राज लक्ष्मी यादव है, जिनका एक बेटा भी है। राष्ट्रीय जनता दल सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव तेज प्रताप सिंह के ससुर हैं। उन्होंने साल 2015 में लालू यादव की सबसे छोटी बेटी राज लक्ष्मी यादव से शादी की थी। यह शादी सैफई में हुई थी, जिसकी चर्चा आज तक होती है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और तेज प्रताप यादव उनके साले हैं।
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तेज प्रताप ने की हुई है एमबीए की पढ़ाई
तेज प्रताप सिंह यादव (UP byelection) का जन्म 21 नवंबर 1987 को इटावा जिले के सैफई गांव में हुआ था। उन्होंने साल 2004 में राजनीति में कदम रखा था। उन्होंने देहरादून के कर्नल ब्राउन कैम्ब्रिज स्कूल और नोएडा के दिल्ली पब्लिक स्कूल से पढ़ाई की है। देश में ही अपनी शुरुआती शिक्षा प्राप्त करने के बाद तेज प्रताप सिंह ने इंग्लैंड की लीड्स यूनिवर्सिटी से बिजनेस में एमबीए की डिग्री हासिल की है। परिवार के अन्य सदस्यों के पदचिन्हों पर चलते हुए तेज प्रताप नौकरी करने के बजाए राजनीति में आ गए। सपा के एक कार्यकर्ता के तौर पर राजनीतिक कॅरियर की शुरूआत की। सपा के टिकट पर तेज प्रताप 2014 से 2019 तक 16वीं लोकसभा के सदस्य रह चुके हैं।
2002 में बीजेपी ने जीता था करहल का दंगल
करहल सीट मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र (UP byelection) के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से एक है। यहां पहली बार वर्ष 1957 में विधानसभा चुनाव हुए थे। वर्ष 1993 में उत्तर प्रदेश के 12वें विधानसभा चुनाव के बाद से सपा इस सीट पर काबिज है। हालांकि, वर्ष 2002 के विधानसभा चुनाव में यह सीट भाजपा के सोबरन सिंह यादव के पास चली गई थी, लेकिन बाद में वह सपा में शामिल हो गए। यादव परिवार की इय क्षेत्र में खासी पकड़ मानी जाती है। बीजेपी की नजर इस सीट पर 2017 से है। खुद अमित शाह 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले यहां पर एक बड़ी बैठक की थी। जिसका असर भी दिखा था। 2017 में बीजेपी चुनाव जरूर हार गई पर पार्टी के वोट प्रतिशत में बढ़ोतरी हुई थी।
करहल का जानें जातीय समीकरण
करहल विधानसभा सीट (UP byelection) पर कुल वोटर्स की संख्या 3,75,000 है। जातीय समीकरण की बात करें तो करहल में 1,30,000 यादव हैं। वहीं अनुमान के मुताबिक इस सीट पर अनुसूचित जाति के 60,000 मतदाता भी हैं। इसके साथ ही 50,000 शाक्य, 30,000 ठाकुर; 30,000 पाल/ बघेल, 25,000 मुस्लिम, 20,000 लोधी, 20,000 ब्राह्मण और 15,000 बनिया समाज के मतदाता हैं। सबसे ज्यादा यादव वोटर्स इस सीट पर हैं। ऐसे में भाजपा ने यादव चेहरे को उतार इन मतों में सेंधमारी के साथ अन्य जातियों की गोलबंदी का दांव चला है। विधानसभा क्षेत्र में दूसरे नंबर पर शाक्य मतदाता आते हैं और बसपा ने शाक्य प्रत्याशी उतारा है। ऐसे में चुनावी समीकरण दिलचस्प हो गए हैं।