लखनऊ डेस्क। हाथ पर एके-47 रायफल और चीते जैसी नजर। वर्दी पहनकर जब लेडी आईपीएस अपने घर से बाहर निकलती तो अच्छे-अच्छों की पतलून गीली हो जाती। निडर योद्धा की जांबाजी के किस्से से जिले के लोग गदगद थे। नदियां मुस्करा रही थीं और पहाड़ भी खिलखिला रहे है। पर ‘खादी’ परेशान थी। उनकी तिजोरी में आने वाले पैसे पर ब्रेक लग गया था। फिर क्या था ‘नेता जी’ ने लेडी आईपीएस को लेकर प्लान बनाया। लेडी ‘सिंघम’ को इसकी भनक लग गई और वह अपनी मां के साथ एसपी दफ्तर से अवकाश लेकर सीधे अपने घर यूपी के मुरादाबाद आ गई। … तो आइए जानते हैं जांबाज अफसर के बारे में, जिन्होंने क्यों आनन-फानन में लिया अवकाश।
पहले जानें क्या है पूरा मामला
2017 बैच की लेडी आईपीएस इल्मा अफरोज की पोस्टिंग हिमाचल प्रदेश के बद्दी जनपद मे बतौर एसपी के पद पर है। आईपीएस इल्मा अफरोज को टकराव दून से कांग्रेस विधायक राम कुमार चैधरी से हो गया। बताया जा रहा है कि आईपीएस इल्मा अफरोज ने अवैध खनन के आरोप में विधायक राम कुमार चैधरी के पत्नी का चालान काट दिया था। इस बात से कांग्रेस विधायक रामकुमार इतने नाराज हो गए कि उन्होंने विधानसभा सत्र के दौरान एसपी इल्मा पर कई गंभीर आरोप लगाए। इन मामलों के बाद 13 नवंबर को सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू की अध्यक्षता में डीसी-एसपी की मीटिंग हुई, जिसमें शामिल होने के लिए इल्मा अफरोज शिमला पहुंची थी। इस मीटिंग के दौरान बद्दी एसपी इल्मा अफरोज की मुलाकात कुछ नेताओं और सीनियर पुलिस अधिकारियों से हुई। सूत्र बताते हैं कि मीटिंग के बाद उन्हें विधायक के बनाए चक्रव्यूह के बारे में जानकारी हो गई।
इल्मा अफरोज पर लगाए कई आरोप
जिसके बाद लेडी आईपीएस इल्मा अफरोज सरकारी आवास खाली कर अपनी मां के साथ लंबी छुट्टी पर मुरादाबाद रवाना हो गई थीं। उनकी जगह पर वर्तमान में अस्थायी तौर पर विनोद कुमार को बद्दी एसपी का चार्ज दिया गया है। बताया जा रहा है कि आईपीएस इल्मा अफरोज ने जिले के कई खनन माफियाओं पर एक्शन लिया। एक खनन कारोबारी ने उन पर फायरिंग करवाए जाने का आरोप लगाया। जिसकी जांच हुई। जांच के बाद आईपीएस इल्मा अफरोज निर्दोष निकली। फायरिंग खुद कारोबारी ने करवाई थी। वह लेडी आईपीएस को फंसाना चाह रहा था। ऐसा ही एक और मामला सामने आया। आरोप लगा कि आईपीएस इल्मा अफरोज ने एक समुदाय को असलहों के लाइसेंस दिए। जांच में ये भी आरोप लगत निकले।
अब जानें IPS इल्मा अफरोज के बारे में
उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले की रहने वाली इल्मा अफरोज ने देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं तक पहुंचने के लिए कड़ा संघर्ष किया। इल्मा अफरोज ने महज 14 साल की उम्र में अपने पिता को कैंसर की वजह से खो दिया था। उनके पिता पेशे से किसान थे। इसके बाद उनकी मां ने उन्हें और उनके 12 वर्षीय भाई को मुश्किल परिस्थियों में पालन पोषण किया और उनको बेहतरीन शिक्षा दिलाई।
इल्मा ने दिल्ली यूनिवर्सिटी के सबसे प्रतिष्ठित कॉलेजों में से एक सेंट स्टीफन से फिलॉसफी में ग्रेजुएशन किया। अपनी मेहतन, लगन और प्रतिभा के बलबूते स्कॉलरशिप हासिल किया और हायर एजुकेशन के लिए ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी का रुख किया। यहां पढ़ाई के दौरान वह साइंसेज पो में एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत पेरिस गईं।
2017 बैच की IPS हैं इल्मा अफरोज
इल्मा अफरोज ने न्यूयॉर्क में मैनहट्टन के एक वालंटरी सर्विस प्रोग्राम में भी भाग लिया। इल्मा अफरोज को न्यूयॉर्क की एक फाइनेंशियल कंपनी में अच्छे पैकेज पर नौकरी का बेहतरीन ऑफर मिला था, लेकिन देश सेवा की उनकी ख्वाहिश लिए वह वापस भारत लौटीं। उनका कहना था कि उनकी शिक्षा पर पहला उनके देश और उनकी मां का है। अपने इन्हीं सिद्धांतों का पालन करने के लिए वह देश लौटीं। भारत आने के बाद उन्होंने देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवाओं में से एक सिविल सेवा का रुख किया। इल्मा साल 2017 में सिविल सर्विस परीक्षा में कामयाब रहीं और ऑल इंडिया रैंक 217 हासिल की और अगस्त 2018 में भारतीय पुलिस सेवा में शामिल हुईं। उन्हें हिमाचल प्रदेश कैडर आवंटित किया गया। यहां उन्होंने 16 महीने की कठोर ट्रेनिंग पूरी की.।
सोशल मीडिया पर रहती हैं एक्टिव
व्यस्त शेड्यूल के बीच इल्मा अफरोज मौके मिलने पर सोशल मीडिया का भी इस्तेमाल करती है। उन्होंने ने 2020 में इंस्टाग्राम पर अपना अकांउट बनाया। इल्मा ने अपनी पहली पोस्ट हिमाचल प्रदेश क्रिकेट स्टेडियम, धर्मशाला से थी। इंस्टाग्राम पर आईपीएस इल्मा अफरोज के 15 हजार फॉलोवर्स हैं। यहां वह अपने पैतृक गांव, मां की फोटो समेत अलग अनुभवों को साझा करती हैं। मां के प्रति स्नेह उनकी आखिरी पोस्ट से झलकता है, जिसे उन्होंने अपनी मां को समर्पित करते हुए उन्हें ‘दुनिया की सबसे बहादुर महिला’ और अपनी ‘ताकत’ बताया है। फिलहाल इल्मा अफरोज अपने घर पर मां के साथ हैं। उनके बारे में कोई नया अपटेड सामने नहीं आया।