प्रयागराज ऑनलाइन डेस्क। संगम नगरी से पूरी दुनिया में पहचाने जाने वाले प्रयागराज में अगले वर्ष महाकुंभ का भव्य-दिव्य महाकुंभ का आयोजन होना है, जिसकी तैयारियां जोरों पर चल रही हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 13 दिसंबर को धार्मिक नगरी पहुंचे। वहां पर उन्होंने महाकुंभ 2025 से जुड़ी लगभग 7 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उदघाटन किया। साथ ही पीएम नरेंद्र मोदी ’बड़े हनुमान जी’ के मंदिर जाकर पूजा-अर्चना की और दर्शन किए। जस लेटे हुए हनुमान मंदिर में आज पीएम मोदी दर्शन किए हैं, वो अपनी विशिष्टता और ऐतिहासिक महत्व के कारण देशभर में प्रसिद्ध है। इस मंदिर के बारे में कहा जाता है कि इस मंदिर में हनुमान जी के दर्शन के बिना संगम स्नान अधूरा है। आखिर इस मंदिर की क्या विशेषता है और इसके पीछे क्या रहस्य है। हम आपको अपने इस खास अंक में बताने जा रहे हैं।
को लेकर कई किवदंतियां प्रचलित
प्रयागराज के इस मंदिर में हनुमान जी की विशाल, दक्षिणाभिमुखी प्रतिमा जमीन से कुछ नीचे लेटी हुई अवस्था में है। हनुमान जी के बायें हाथ में गदा और दायें हाथ में राम-लक्ष्मण होने के साथ ही उनके पैरों के नीचे अहिरावण और कामदा देवी दबी होने का वर्णन किया जाता है। ये प्राचीन मंदिर अकबर के किले के पास गंगा किनारे स्थित है। मंदिर की स्थापना को लेकर कई किवदंतियां प्रचलित हैं। बताते है कि कन्नौज के राजा के कोई संतान नहीं थी। उनके गुरु ने उपाय के रूप में बताया, ‘हनुमानजी की ऐसी प्रतिका निर्माण करवाइए जो राम लक्ष्मण को नाग पाश से छुड़ाने के लिए पाताल में गए थे। हनुमानजी का यह विग्रह विंध्याचल पर्वत से बनवाकर लाया जाना चाहिए।’ जब कन्नौज के राजा ने ऐसा ही किया और वह विंध्याचल से हनुमानजी की प्रतिमा नाव से लेकर आए।
बालगिरी महाराज ने करवाया मंदिर का निर्माण
तभी अचानक से नाव टूट गई और यह प्रतिका जलमग्न हो गई। राजा को यह देखकर बेहद दुख हुआ और वह अपने राज्य वापस लौट गए। इस घटना के कई वर्षों बाद जब गंगा का जलस्तर घटा तो वहां धूनी जमाने का प्रयास कर रहे राम भक्त बाबा बालगिरी महाराज को यह प्रतिमा मिली। फिर उसके बाद वहां के राजा द्वारा मंदिर का निर्माण करवाया गया। बताया जाता है, प्राचीन काल में मुगल शासकों के आदेश पर हिंदू मंदिरों को तोड़ने का क्रम जारी था, लेकिन यहां पर मुगल सैनिक हनुमानजी की प्रतिमा को हिला भी न सके। वे जैसे-जैसे प्रतिमा को उठाने का प्रयास करते वह प्रतिमा वैसे-वैसे और अधिक धरती में बैठी जा रही थी। यही वजह है कि यह प्रतिमा धरातल से इतनी नीचे बनी है।
एकमात्र मंदिर है जहां हनुमान जी लेटे हुए
प्रयागराज के संगम स्थिति हनुमान जी को कई नामों से भी जाना जाता है। इन्हें बड़े हनुमान जी, किले वाले हनुमान जी, लेटे हनुमान जी और बांध वाले हनुमान जी भी कहा जाता है। कहते हैं कि ये एक एकमात्र मंदिर है जहां हनुमान जी लेटे हुए हैं। जानकार रामायण के किस्से का जिक्र करते हुए बताते हैं कि लंका विजय के बाद थके हुए हनुमान जी माता सीता के कहने पर संगम के किनारे विश्राम करने लेटे थे। उसी स्थान पर बाद में मंदिर बनवाया गया।यह मंदिर करीब 600 साल पुराना है। हनुमान जी की इस मूर्ति की लंबाई लगभग 20 फीट की है। मंगलवार और शनिवार के दिन हनुमान भक्तों की यहां भारी भीड़ उमड़ती है। मान्यता है कि गंगा का पानी, भगवान हनुमान जी का स्पर्श करता है और उसके बाद गंगा का पानी उतर जाता है।
अकबर ने हार मान कर की तौबा
ये हनुमान जी का सिद्ध मंदिर है। कहते हैं कि हनुमान जी अपने भक्तों को कभी निराश नहीं करते हैं। यहां आने वालों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। बताते हैं कि 1582 में अकबर अपने साम्रज्य को विस्तार देने में जब व्यस्त था तो वो इधर भी आया था। मंगध, अवध, बंगाल सहित पूर्वी भारत में चलने वाले विद्रोह को शांत करने के लिए अकबर ने यहां एक किले का निर्माण कराया, जहां पर अकबर हनुमान जी को ले जाना चाहता था। उसने मूर्ति को हटाने की कोशिश की, लेकिन मूर्ति अपने स्थान से हिली भी नहीं। कहते हैं उसी समय हनुमान जी ने अकबर को सपना दिया। इसके बाद अकबर ने इस काम को रोक दिया और हनुमान जी से अपनी हार मान ली और तौबा कर ली।