One Nation One Election: आज लोकसभा में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ विधेयक पेश होने जा रहा है, जिसे लेकर सरकार ने पूरी तैयारी कर ली है। केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल विधेयक को लोकसभा में पेश करेंगे, और इसके बाद इस मुद्दे पर गहन विचार-विमर्श के लिए संसद की संयुक्त समिति में भेजने का अनुरोध करेंगे। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने अपने सांसदों को व्हिप जारी किया है, जिससे यह मुद्दा संसद में हंगामे का कारण बन सकता है। इस विधेयक का उद्देश्य लोकसभा, राज्य विधानसभा और निकाय चुनावों को एक साथ कराने का है, ताकि चुनावी प्रक्रिया में सामंजस्य स्थापित किया जा सके।
लोकसभा द्वारा पारित चुनाव विधेयक
एक देश का चुनाव विधेयक लोकसभा में पारित हो गया है। इसके लिए मतदान हुआ, जिसमें 269 वोट विधेयक के पक्ष में पड़े और 198 वोट विधेयक का विरोध हुआ। विधेयक संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) को विस्तृत चर्चा के लिए भेजा गया है। मतदान के बाद सदन का कामकाज दोपहर तीन बजे तक स्थगित कर दिया गया।
वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक का उद्देश्य
इस विधेयक का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि भारत में लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकायों के चुनाव एक साथ हों। वर्तमान में ये चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं, जिससे चुनावी प्रक्रिया और खर्च पर अधिक दबाव पड़ता है। इस बदलाव से चुनावी खर्च कम करने और समय की बचत करने की उम्मीद जताई जा रही है। सरकार का मानना है कि इससे चुनावी प्रक्रिया में पारदर्शिता और समानता आएगी।
संसद के अंदर और बाहर विरोध
One Nation One Election विधेयक को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच मतभेद स्पष्ट हैं। जहां बीजेपी इसे चुनावी प्रक्रिया को सरल और कम खर्चीला बनाने का एक तरीका मानती है, वहीं कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस पर विरोध जता रहे हैं। कांग्रेस का कहना है कि यह कदम संघीय ढांचे और संसदीय लोकतंत्र के सिद्धांतों के खिलाफ है। कांग्रेस के नेता इसे संविधान के मूलभूत ढांचे में बदलाव मानते हैं, जो राज्य की स्वायत्तता को कमजोर कर सकता है।
कमेटी की रिपोर्ट और सिफारिशें
One Nation One Election के लिए सरकार ने 2023 में एक कमेटी का गठन किया था, जिसकी अध्यक्षता पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने की थी। इस कमेटी ने 7 देशों के चुनावी मॉडल का अध्ययन किया और भारत में इसे लागू करने के लिए 5 प्रमुख सिफारिशें कीं। इनमें चुनावों को दो चरणों में आयोजित करने, राज्य विधानसभाओं के कार्यकाल को 2029 तक बढ़ाने, और एक ही वोटर लिस्ट तैयार करने की सिफारिशें शामिल हैं।
इस विधेयक पर गहन चर्चा के बाद इसे संसद की संयुक्त समिति में भेजा जा सकता है, जहां विभिन्न पक्षों के विचारों को सुना जाएगा। यदि विधेयक को संसद से मंजूरी मिलती है, तो यह भारतीय चुनावी प्रणाली में एक ऐतिहासिक बदलाव साबित हो सकता है। हालांकि, इसका विरोध करने वाले दल इस बदलाव को लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं के लिए खतरे के रूप में देख रहे हैं।