UP health services CAG report: उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की गंभीर खामियां उजागर हुई हैं। 2021 की महालेखा परीक्षक (CAG report) रिपोर्ट, जो तीन साल बाद विधानसभा में पेश की गई, राज्य की बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं पर गहरी चिंता जताती है। रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल स्टाफ की भारी कमी है। कई अस्पतालों में मरीजों को भर्ती करने तक की सुविधा नहीं है। एंबुलेंस सेवा, अग्निशमन सुरक्षा, और दवा वितरण जैसे कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों में घोर लापरवाही सामने आई है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि राज्य सरकार तत्काल ठोस कदम उठाकर इन खामियों को दूर करे।
स्वास्थ्य सेवाओं की बदहाली का खुलासा
CAG report के अनुसार, उत्तर प्रदेश में सरकारी अस्पतालों में 38% डॉक्टर और 46% नर्सों की कमी है। इस वजह से मरीजों को इलाज नहीं मिल पा रहा है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति सबसे खराब है। 909 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में से 45% में मरीजों को भर्ती करने की सुविधा नहीं है, और 55% केवल दिन में ही सेवाएं देते हैं।
अस्पतालों में सुविधाओं की कमी भी बड़ी समस्या है। 75 जिला अस्पतालों में से केवल दो के पास अग्निशमन सुरक्षा के लिए एनओसी है। झांसी मेडिकल कॉलेज में सुरक्षा उपायों की कमी के कारण नवंबर 2021 में आग लगने से 10 बच्चों की मौत हो गई थी। इसके अलावा, 27.6 करोड़ रुपये की दवाइयां स्टोर में खराब हो गईं, जो लापरवाही का गंभीर मामला है।
एंबुलेंस सेवा में खामियां
राज्य में 108 एंबुलेंस सेवा भी तय मानकों पर खरी नहीं उतरी। रिपोर्ट में बताया गया कि एंबुलेंस समय पर मरीजों तक नहीं पहुंच रही हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में 15 मिनट में पहुंचने का लक्ष्य था, लेकिन कुछ जिलों में एंबुलेंस को 3 घंटे तक लग गए। सबसे खराब स्थिति पूर्वी यूपी के जिलों में रही। एंबुलेंस सेवा संचालित करने वाली प्राइवेट फर्म ने अनुबंध की शर्तों का पालन नहीं किया।
CAG report खुलासा यह भी है कि 148 पुरुष मरीजों को महिला अस्पताल में पहुंचा दिया गया, जो प्रशासनिक लापरवाही को दर्शाता है। कैग रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि एंबुलेंस सेवा से जुड़े मामलों में केवल 25-50% मामलों का सत्यापन हुआ।
इंफ्रास्ट्रक्चर की कमी
राज्य में स्वास्थ्य सेवाओं के बुनियादी ढांचे की स्थिति बेहद खराब है। अधिकांश सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों की इमारतें जर्जर हैं। 53% स्वास्थ्य इकाइयों में सीलन और नमी है। 26% अस्पतालों में इंजेक्शन और ड्रेसिंग रूम तक नहीं हैं। 29% प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (पीएचसी) में पीने के पानी की व्यवस्था नहीं है, जबकि 21% में बिजली और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं हैं।
सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवा के लिए प्रदेश में 28% पैरामेडिक्स स्टाफ की भी कमी है। कई जिला अस्पतालों में दवाइयां समय पर उपलब्ध नहीं होतीं। ऑपरेशन थिएटर की व्यवस्था भी पूरी नहीं है।
सरकार के लिए चेतावनी
CAG report ने सरकार को सिफारिश की है कि स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति सुधारने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। रिपोर्ट में कहा गया कि डॉक्टर, नर्स और अन्य स्टाफ की भर्ती प्रक्रिया को तेज किया जाए। साथ ही, एंबुलेंस सेवा और अस्पतालों के बुनियादी ढांचे को दुरुस्त करने की सख्त जरूरत है।
तीन साल पुरानी इस रिपोर्ट को हाल ही में पेश करना राज्य सरकार की प्राथमिकताओं पर सवाल खड़े करता है। कैग के खुलासे राज्य के स्वास्थ्य तंत्र की वास्तविकता को उजागर करते हैं, जो मरीजों और उनके परिवारों के लिए गंभीर चिंता का विषय है। सरकार को इन कमियों को दूर कर आम जनता के स्वास्थ्य अधिकारों की रक्षा करनी होगी।