Jaipur fire: राजस्थान की राजधानी जयपुर में हुए भीषण अग्निकांड में मृतकों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। अब तक 14 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 80 लोग घायल हुए हैं, जिनमें से 30 की हालत नाजुक बनी हुई है। मृतकों का आंकड़ा बढ़ने की आशंका है। हादसा इतना भयावह था कि कई शव बुरी तरह जल गए, जिनकी पहचान करना मुश्किल हो रहा है। पहचान सुनिश्चित करने के लिए सरकार ने डीएनए टेस्ट कराने का फैसला लिया है। हादसे में जलकर खाक हुई बस का परमिट 16 महीने पहले ही खत्म हो चुका था। इस दुर्घटना ने प्रशासन और ट्रांसपोर्ट सिस्टम की खामियों को उजागर कर दिया है।
🚨🇮🇳 TRAGIC ACCIDENT ON JAIPUR-AJMER HIGHWAY
⚠️ Warning: Sensitive visuals of the accident may be disturbing.
A chemical truck collided near a petrol pump, sparking a massive fire that engulfed around 40 vehicles on the Jaipur-Ajmer highway.
At least 9 lives have been lost,… pic.twitter.com/HL6z4hzmOS
— Desi Bytes (@desibytes_) December 20, 2024
भीषण हादसा और मौत का मंजर
यह हादसा 20 दिसंबर को जयपुर-अजमेर हाईवे पर सुबह करीब 6 बजे हुआ। एलपीजी टैंकर (Jaipur fire) और ट्रक के बीच भीषण टक्कर के बाद जोरदार धमाका हुआ, जिसने आग की लपटों को दूर तक फैला दिया। देखते ही देखते हाईवे पर करीब 40 वाहन इसकी चपेट में आ गए। इस हादसे के दिल दहला देने वाले वीडियो और तस्वीरें सामने आई हैं, जिनमें जली हुई गाड़ियां और जिंदा जल चुके लोगों के शव दिख रहे हैं। घायल लोगों में से कई 50% से अधिक जल चुके हैं, जिन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया है।
कई शव इतनी बुरी तरह जल चुके हैं कि उनकी पहचान करना मुश्किल हो गया है। सरकार ने पांच मृतकों के डीएनए सैंपल जांच के लिए भेजे हैं ताकि उनकी पहचान की जा सके। प्रशासन के अनुसार, मृतकों के परिजनों को जल्द से जल्द जानकारी देने के लिए यह कदम उठाया गया है।
लापरवाही का खुलासा
इस हादसे में एक चौंकाने वाली बात सामने आई है कि जलकर खाक हुई बस का (Jaipur fire) परमिट 16 महीने पहले ही खत्म हो चुका था। इस तरह की लापरवाही ने इस त्रासदी को और भी बड़ा बना दिया है। अब सवाल उठता है कि इतनी बड़ी लापरवाही के बावजूद यह बस सड़कों पर कैसे चल रही थी। ट्रांसपोर्ट विभाग और प्रशासन की भूमिका पर सवाल खड़े हो रहे हैं।
राज्य सरकार ने हादसे की जांच के आदेश दिए हैं और मृतकों के परिवारों को मुआवजा देने का ऐलान किया है। इस हादसे ने न केवल सड़कों की सुरक्षा पर सवाल उठाए हैं, बल्कि ट्रांसपोर्ट सिस्टम में सुधार की मांग भी तेज कर दी है।