कानपुर ऑनलाइन डेस्क। Phoolandevi Behmai Kand News 43 बरस का वक्त इस आस में गुजर गया कि कास 20 लोगों के खून से कानपुर की बेहमई गांव को लाल करने वाली फूलन देवी व उसके गैंग के अन्य सदस्यों को कोर्ट सजा सुनाएगी। इंसाफ के लिए निर्दोष लोगों के खून से लाल हुई माटी 14 फरवरी 2024 तक बेकरार रही। हत्याकांड की मुख्य कातिल का कत्ल हो चुका था। फूलन के अधिकतर साथी मारे गए य उनकी मौत हो गई। बावजूद मुकदमा खत्म नहीं हुआ। घटना के 31 साल बाद मुकदमा शुरू हुआ। कोर्ट में तारीख-पे-तारीख पड़ती रहीं। श्रीदेवी भी कोर्ट पर टकटकी लगाए रहती, पर उन्हें हरबार तारीख ही मिलती। आखिर में यूपी के इतिहास के सबसे बड़े नरसंहार का जब फैसला आया तो वादी, गवाह इस दुनिया को छोड़कर चले गए।
फूलन देवी ने बेहमई कांड को दिया था अंजाम
14 फरवरी 2024 से पहले बेहमई को 14 फरवरी 1981 की तारीख को याद रखने की आदत हो गई थी। नरसंहार के मुकदमे की तारीख, फूलनदेवी की मौत की तारीख, डकैत श्रीराम की मौत की तारीख। ऐसी तमाम अनगिनत तारीखों में बेहमई को 14 फरवरी 1981 की तारीख कभी नहीं भूली। वह एक शुभ मुहुर्त था, जब गांव के राम सिंह की बिटिया की बारात आई थी, लेकिन यह शुभ मुहुर्त बेहमई के लिए दुर्भाग्य बनकर आया था। अपने साथ हुए सामुहिक दुष्कर्म का बदला लेने के लिए फूलनदेवी गैंग के साथ पहुंची थी। फूलन को खबर थी कि गांव में लाला राम और श्रीराम आए हुए हैं। फूलन के गांव में आने से पहले दोनों भाग गए। खुन्नस में फूलन ने ठाकुर परिवारों के शनिवार की शाम बीस लोगों को एक लाइन में खड़ा करने के बाद गोलियों से भून डाला।
2012 को तय हुए थे कोर्ट में चार्ज
नरसंहार के 31 साल बाद 25 अगस्त 2012 को कानपुर देहात की अदालत में अभियुक्तों पर चार्ज तय हुए। मुकदमा शुरू हुआ, लेकिन मुख्य अभियुक्त फूलनदेवी अब दुनिया में नहीं थी। फूलन देवी की 25 जुलाई 2001 को ई दिल्ली में गोली मारकर हत्या कर दी गई। अदालत ने बेहमई कांड के लिए दस लोगों के नाम बतौर अभियुक्त तय किए। फूलन की मौत के बाद शेष नौ में पांच हाजिर थे, जबकि चार फरार हैं। एक अभियुक्त को अदालत ने घटना के वक्त नाबालिग करार देकर किशोर न्यायालय में मुकदमा स्थानांतरित कर दिया। शेष चार अभियुक्त- कोसा, भीखाराम, रामसिंह और श्यामबाबू के खिलाफ सुनवाई हुई।
परिवार के मर्दो की फूलन ने की हत्या
बेहमई नरसंहार को अपनी आंखों से देखने वाली श्रीदेवी बताती हैं, 14 फरवरी 1981 को करीब शाम चार बजे एकाएक गोलियों की गूंज यमुना के इस से लेकर उस पर तक सुनाई दी। पांच मिनट के बाद गांव का लालू नाम की युवक दौड़ता हुआ आया और बोला भाभी, बेहमई में फूलनबाई ने धावा बोल दिया था और बाबा, ताऊ और भईया के सीने में गोली दाग दी है। ये सुनकर हम खेत से गांव की सरहद पर पहुंची, तभी झाड़ियों के पीछे छिपे ग्रामीणों ने हमें पकड़ लिया और जब फूलन चली गई तो भागकर मौके वारदात पर पहुंची। पति, जेठ और ससुर के शव खून से लथपथ पड़े थे। फूलन ने मर्दो को मार दिया, घर में रखे जेवरात, कपड़े और गृहस्थी के सामान को आग के हवाले कर दिया था।
फूलन देवी उखाड़ ले गई घर की देहरी
श्रीदेवी बताती हैं कि हमारा घर कच्ची मिट्टी का बना था और पति ने पड़ोस के घोसी गांव से हसन मिस्त्री, रामकुमार और अमर कुशवाहा बुलवाया था। फूलन ने हमारे परिवार के सदस्यों के अलावा इन तीनों लोगों की भी हत्या कर दी थी। श्रीदेवी बताती हैं कि फूलन देवी को शक था कि हमारे घर पर लालाराम और श्रीराम छिपे हुए हैं। इसी वजह से सबसे पहले उसने हमारे घर पर धावा बोला। सभी को घसीटते हुए डकैत ठीले तक ले गए और कुछ घर के अंदर रखे जेवरात, पकड़े और राशन का सामन ले गए और फिर गेहूं सहित अन्य अनाज को आग के हवाले कर दिया। फूलन ने खड़े होकर हमारी देहरी खुदवाई और उसे अपने साथ ले गई। फिर जमुना में बहा दिया।
राजाराम सिंह ने दर्ज करवाया था मुकदमा
श्रीदेवी ने बताया, फूलन देवी ने जगन्नाथ सिंह, तुलसीराम, सुरेंद्र सिंह, राजेंद्र सिंह, लाल सिंह, रामाधार सिंह, वीरेंद्र सिंह, शिवराम सिंह, रामचंद्र सिंह, शिव बालक सिंह, नरेश सिंह, दशरथ सिंह, बनवारी सिंह, हिम्मत सिंह, हरिओम सिंह, हुकुम सिंह समेत 20 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जबकि जंटर सिंह समेत आधा दर्जन ग्रामीण गोली लगने से घायल हुए थे। श्रीदेवी ने बताया, गांव के राजाराम सिंह ने दस्यु सुंदरी फूलन देवी समेत 35-36 डकैतों के खिलाफ थाना सिकंदरा में रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
फूलन के अलावा ये डकैत रहे शामिल
पुलिस रिकार्ड के अनुसार बेहमई कांड की प्रमुख आरोपी दस्यु सुंदरी फूलन देवी की नई दिल्ली में हत्या हो चुकी है। जालौन के कोटा कुठौंद के राम औतार, गुलौली कालपी के मुस्तकीम, बिरही कालपी के लल्लू बघेल, बलवान, कालपी के लल्लू यादव, कोंच के रामशंकर, डकोर कालपी के जग्गन उर्फ जागेश्वर, महदेवा कालपी के बलराम, टिकरी के मोती, चुर्खी के वृंदावन, कदौली के राम प्रकाश, गौहानी सिकंदरा के रामपाल, मेतीपुर कुठौद के प्रेम, धरिया मंगलपुर के नंदा उर्फ माया मल्लाह की मौत हो चुकी है।
43 साल बाद आया बेहमई कांड का फैसला
कानपुर देहात के बहुचर्चित बेहमई कांड का 43 साल बाद कोर्ट ने 14 फरवरी 2024 की शाम फैसला सुनाया। एंटी डकैती कोर्ट के विशेष न्यायाधीश अमित मालवीय की अदालत ने श्यामबाबू (65) को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। देश ही नहीं पूरी दुनिया को झकझोर कर रख देने वाला बेहमई नरसंहार कांड कानूनी दांवपेच में ऐसा उलझा कि बहुप्रतीक्षित फैसला आने में 43 साल लग गए। 35 आरोपियों में से सिर्फ पांच ही जिंदा बचे हैं। इनमें से भी तीन फरार हैं। एक को बुधवार को कोर्ट ने सजा सुना दी, जबकि दूसरे को अभयदान मिला। बेइमई कांड के बाद शुरुआती दौर में पुलिस ने काफी तेजी दिखाई। सभी आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। पर फैसला आने में 43 साल लग गए। अब भी पुलिस तीन आरोपियों रामरतन, मानसिंह और अशोक उर्फ विश्वनाथ को गिरफ्तार नहीं कर सकी है।