लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा के बाद प्रशासन और नगर निगम की टीमें पूराने मंदिर, कुओं के साथ अन्य धरोहरों की खोज के लिए ऑपरेशन चलाए हुए हैं। शाही जामा मस्जिद के करीब खुदाई के दौरान एक प्राचीन कुंआ मिला है। जिसे मृत्यु कूप यानी ‘मौत का कुआं’ बताया जा रहा है। यह प्राचीन कूप सदर कोतवाली इलाके के सरथल चौकी के नजदीक मिला है। स्थानीय लोग मौके पर जाकर बम-बम के जयकारे लगा रहे हैं। पूजा-अर्चना का दौर भी चला।
मस्जिद के करीब मिला प्राचीन कुआं
डीएम राजेंद्र पेसिया के निर्देश पर कूपों की खुदाई कराई जा रही है। संभल में 19 कूप थे, जिनकी पूजा-अर्चना की जाती है। अब एक और प्राचीन कुआं मिला है। वह कल्कि विष्णु मंदिर से 200 मीटर की दूरी पर है। इस कूप को 30 साल पहले अतिक्रमण कर आसपास लोगों ने कूड़ा कबाड़ डालकर बन्द कर दिया था। ये कुआं शाही जामा मस्जिद से करीब डेढ़ सौ कदम दूर पर है। स्थानीय लोगों का कहना है कि यह कूप 19 कूप में से यह एक रूप है। सबसे पहले यहां का जल पीकर ही आगे पूजा पाठ करने के लिए श्रद्धालु जाते थे। पर अराकजतत्वों ने कुएं पर कब्जा कर इस मिट्टी से पाट दिया था।
सभासद की शिकायत पर शुरू हुई खुदाई
स्थानीय पार्ड के सभासद गगन कुमार ने कुछ दिन पहले इस प्राचीन कुएं के बारे में नगर पालिका और डीएम के बारे में जानकारी देकर शिकायत दर्ज करवाई थी। जिसके बाद नगर पालिका टीम ने गुरुवार सुबह 8 बजे से खुदाई शुरू की, जिसमें कुआं मिला है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पूर्व की सरकार में इस कुआं पर कूड़ा भरकर बंद कर दिया था। यह प्राचीन कुआं है और संभल की धरोहर है। उनका कहना है कि इसके पानी से स्नान करने से मोक्ष की प्राप्ति होती थी। स्थानीय लोगों का आरोप है कि सपा सरकार के दौरान सनातन की धरोहरों पर कब्जा किया गया। उनका अस्तित्व मिटाने के प्रयास हुए।
स्कंद पुराण में कूपों का जिक्र
स्कंद पुराण में संभल के इस मृत्यु कूप बारे में जिक्र किया गया है। कूप को लेकर लिखा है ‘विमलेशादुत्तरतः कूपो वै मृत्युसंज्ञकः, अत्र स्नात्वा महाकालार्चनं सकलसिद्धिदम्’। यानी विमलेश के उत्तर में मृत्यु नाम का एक कूप है। जहां स्नान करने व महाकाल की आराधना से साधक को सभी सिद्धियां मिलती हैं। इसके इतर इस कूप के बारे में जिक्र संभल के ऐतिहासिक मानचित्र में भी किया गया है। इसे मानचित्र में हरि मंदिर से उत्तर की ओर दिखाया गया है। इस तरह सालों से बंद मृत्यु कूप की तलाश करते हुए प्रशासन ने खुदाई शुरू की और आखिरकार कुआ मिल ही गया। कुएं के अवशेष मिलने के बाद से ही लोग मौके पर कुआं देखने पहुंच रहे हैं।
कुछ इस तरह से बोले डीएम
दरअसल, संभल में कुओं और तीर्थ स्थलों को संकलन और लोगों को उनकी धार्मिक परंपराओं से दोबोरा जोड़ने के प्रयास में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण व स्थानीय प्रशासन की टीम ने कई ऐतिहासिक स्थानों का बुधवार को दौरा किया। जिसमें फिरोजपुर किला, बावड़ियां व चोर कुआं के बाद अब मृत्यु कुआं मिला है और ऐसी ही कई प्राचीन संरचनाएं मिली हैं। संभल डीएम राजेंद्र पेंसिया ने बताया कि संभल प्राचीन नगर रहा है। इस नगरी में इतिहास से लेकर वर्तमान तक अनेक अवशेष उपलब्ध हैं और वह दिखते भी हैं। उसी क्रम में एएसआई की टीम संभल आई थी। उन्होंने बताया कि कोई भी इतिहास को छोड़ेगा तो इतिहास उसको छोड़ देगा। इतिहास ही हमें प्राचीन घटनाओं को बताता है।