Patna news: हाल ही में पटना में एक आठ सीटर केबिन रोपवे अचानक रुक गया, जिससे कई पर्यटक उसमें फंस गए। इस घटना के बाद रोपवे के प्रबंधक ने तुरंत स्थानीय प्रशासन और एनडीआरएफ टीम को सूचित किया। जैसे ही खबर मिली, दोनों टीमें मौके पर पहुंची और रेस्क्यू ऑपरेशन शुरू किया। एक घंटे तक चले इस रेस्क्यू के बाद सभी पर्यटकों को सुरक्षित बाहर निकाला गया।
मॉक ड्रिल का किया गया अभ्यास
इस रेस्क्यू ऑपरेशन में एक मॉक ड्रिल का बड़ा हाथ था, जो पहले ही आयोजित किया गया था। एनडीआरएफ और रोपवे के अधिकारियों ने मिलकर रोपवे कर्मियों को आपातकालीन स्थिति में पर्यटकों को सुरक्षित निकालने का प्रशिक्षण दिया था। मॉक ड्रिल का मुख्य उद्देश्य था कि अगर ऐसी कोई आपात स्थिति हो, तो कर्मी बिना किसी परेशानी के अपनी जान की सलामती सुनिश्चित कर सकें।
70 फीट ऊंचाई से रेस्क्यू
एनडीआरएफ के सहायक कमांडेंट संतोष कुमार के अनुसार, टीम के सदस्य विशेष रस्सियों और बचाव कुर्सियों का उपयोग करके 70 फीट ऊंचाई पर फंसे पर्यटकों को सुरक्षित रूप से बाहर निकालने में सफल रहे। वे एक-एक करके पर्यटकों को रस्सी के सहारे नीचे लाए, जिससे सभी सुरक्षित बच गए।
रोपवे की नियमित जांच
रोपवे प्रबंधक दीपक कुमार ने बताया कि रोपवे के रखरखाव और सुरक्षा के लिए नियमित रूप से जांच की जाती है। कोलकाता की सीआरएसपीएल कंपनी इसे देखती है, ताकि किसी भी तरह की अनहोनी से बचा जा सके। एनडीआरएफ टीम के अधिकारियों ने भी आपदा से निपटने के कई तरीके बताए, ताकि भविष्य में कोई बड़ी दुर्घटना न हो।
एनडीआरएफ का अनुभव
एनडीआरएफ के सहायक कमांडेंट संतोष कुमार ने बताया कि उनकी टीम पहले भी नेपाल के भूकंप, बिहार में बाढ़, और देवघर में हुई रोपवे दुर्घटना जैसी घटनाओं में रेस्क्यू कर चुकी है। मॉक ड्रिल के जरिए टीम अपनी तैयारियों को और बेहतर बनाती है, जिससे किसी भी आपात स्थिति में सभी को सुरक्षित बाहर निकाला जा सके।