इससे पहले, उसी दिन सुबह सुरक्षाबलों ने छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ क्षेत्र में माओवादियों पर हमला किया था। इस हमले में सुरक्षाबलों ने 2 महिलाओं सहित 5 विद्रोहियों को मार गिराया था और उनके पास से स्वचालित हथियार जैसे एके-47 और सेल्फ-लोडिंग राइफल बरामद की गई थीं। सूत्रों के अनुसार, शहीद जवान उसी ऑपरेशन से लौट रहे थे, जब नक्सलियों ने उन पर हमला किया।
सुरक्षाबलों की रणनीति पर सवाल
बीजापुर में हुई इस घटना ने सुरक्षा बलों की रणनीति पर सवाल खड़े कर दिए हैं। आईईडी विस्फोट की ताकत को देखते हुए यह माना जा रहा है कि नक्सलियों Naxal attack ने जानबूझकर उस समय का चुनाव किया जब सुरक्षाबल किसी ऑपरेशन से लौट रहे थे। हमले के बाद घटनास्थल पर जो तस्वीरें सामने आईं, उनमें एक बड़ा गड्ढा दिखाई दे रहा है, जो विस्फोट की ताकत को साबित करता है। विस्फोट से वाहन का बुरी तरह से क्षतिग्रस्त होना और घटनास्थल पर खून से सनी तस्वीरें इस हमले की भयावहता को दर्शाती हैं।
जिला रिजर्व गार्ड की भूमिका
दुर्भाग्यपूर्ण घटना में शहीद हुए सभी जवान जिला रिजर्व गार्ड के थे। यह विशेष पुलिस इकाई राज्य में माओवादियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए गठित की गई थी और इनका मुख्य कार्य माओवादी गतिविधियों पर अंकुश लगाना है। पिछले कुछ समय से, जिला रिजर्व गार्ड और अन्य सुरक्षा बल छत्तीसगढ़ के माओवादी-प्रभावित क्षेत्रों में अपनी ताकत बढ़ाने में सफल रहे हैं, और इस हमले ने उनके कार्यों को चुनौतीपूर्ण बना दिया है।
यह Naxal attack ऐसे समय में हुआ है जब सुरक्षा बल छत्तीसगढ़ में माओवादी गतिविधियों पर काबू पाने के लिए सख्त कदम उठा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों में माओवादी हमलों की संख्या में वृद्धि देखी गई है, और यह घटना उनके बढ़ते हौसले को दर्शाती है। ऐसे हमले न केवल सुरक्षाकर्मियों की जान को खतरे में डालते हैं, बल्कि इलाके के नागरिकों में भी डर का माहौल बनाते हैं।