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kinnar Funeral: रात में ही क्यों करते हैं किन्नरों का अंतिम संस्कार, वजह जानकर उड़ जाएंगे होश

kinnar Funeral: किन्नर का अंतिम संस्कार एक गुप्त परंपरा है, जिसमें शव को सफेद कपड़ों में लपेटकर पवित्र नदी के पानी में डाला जाता है।

SYED BUSHRA by SYED BUSHRA
January 8, 2025
in धर्म
: hijra funeral customs and rituals
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The Funeral Rites of Kinner : हिंदू धर्म में किन्नरों को महान शक्तियों का स्वामी माना जाता है। यह एक बहुत ही पुरानी मान्यता है, लेकिन इसके बावजूद इनके जीवन और इनकी परंपराओं के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है। किन्नरों का जीवन एक रहस्य के समान होता है और उनके अंतिम संस्कार से जुड़ी कुछ परंपराएं और रिवाज तो और भी चौंकाने वाले हैं। क्या कभी सोचा है कि हिजड़ों का अंतिम संस्कार कैसे होता है और क्यों उनके शव को रात में ही क्यों जलाया जाता है।

गोपनीय तरीके से होता है अंतिम संस्कार

किन्नरों का अंतिम संस्कार किसी साधारण व्यक्ति के लिए देखना एक दुर्लभ और गोपनीय मामला होता है। दरअसल, किन्नरों की मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार बहुत गुपचुप तरीके से किया जाता है। इसके पीछे एक मान्यता है कि यदि कोई सामान्य व्यक्ति किन्नरों के अंतिम संस्कार को देखता है, तो वह अगले जन्म में हिजड़ा बन जाएगा। यही कारण है कि अक्सर हिजड़ों का अंतिम संस्कार रात के समय किया जाता है, ताकि यह परंपरा किसी से ना जुड़ी रहे और किसी पर इसका असर ना हो।

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शरीर को सफेद कपड़े में लपेटना 

जब किन्नर इस दुनिया को छोड़ देता है, तो उसकी लाश को सफेद कपड़े में लपेटा जाता है। सफेद रंग को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, और इसे लपेटने का उद्देश्य मृतक के शरीर और इस संसार के बीच के संबंध को तोड़ना होता है। इसके बाद, उनके मुंह में पवित्र नदी का पानी डाला जाता है, जो उनका शुद्धिकरण करता है और एक धार्मिक रिवाज के तौर पर इस पानी को उनके शरीर में डाला जाता है ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले।

जूते से शव को पीटना पापों का प्रायश्चित

किन्नरों का मानना होता है कि वे अपने जीवन के अंत में अपनी मृत्यु के बारे में जानते हैं, और जैसे ही मृत्यु का समय नजदीक आता है, वे खाने पीने से बचते हैं और बाहर नहीं जाते। उनका विश्वास होता है कि वे अगले जन्म में पुरुष या महिला के रूप में जन्म लेंगे। अंतिम यात्रा से पहले, उनके शव को जूतों से पीटा जाता है। इसका उद्देश्य उनके द्वारा किए गए पापों का प्रायश्चित करना होता है, ताकि उनका अगला जन्म पवित्र हो और वे अगले जीवन में शुभ भाग्य के साथ जन्म लें।

हिजड़ों के अंतिम संस्कार का महत्व

हिजड़ों के अंतिम संस्कार से जुड़े ये रिवाज इस समाज के लिए बहुत ही अलग और विशिष्ट हैं। ये रिवाज धार्मिक दृष्टि से गहरे अर्थ रखते हैं और उनके अगले जन्म की शुद्धि को सुनिश्चित करने के लिए किए जाते हैं। यह पूरी परंपरा हिजड़ों की दिव्यता, उनके कर्म और उनके अगले जन्म की पवित्रता पर जोर देती है। इसके अलावा, हिजड़ों को हिंदू धर्म में विशिष्ट स्थान प्राप्त है, और उनके अंतिम संस्कार में ये रिवाज उस स्थान और महत्व को सम्मानित करते हैं।

Tags: Kinner
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SYED BUSHRA

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