प्रयागराज ऑनलाइन डेस्क। संगमनगरी में भक्तों का जलसैलाब उमड़ पड़ा है। 13 जनवरी से महाकुंभ के शंखनाद के बाद करीब पांच करोड़ संत-भक्त त्रिवेणी में डुबगी लगा चुके हैं। फिलहाल कारवां बदस्तूर जारी है। इस महापर्व में देश ही नहीं बल्कि दुनियाभर से साध्ू-सन्याषी और ज्योतिषाचार्यो के आने का सिलसिला जारी है। कानपुर से ज्योतिषाचार्य अतुशोष शुक्ला ने भी 14 जनवरी को अमृत स्नान किया और पुण्ण कमाए। इस मौके पर उन्होंने कहा कि 144 साल प्रयागराज में महाकुंभ का आयोजन हुआ है। स्नान करने से मनुष्यों को पापों से मुक्ति मिलेगी। अब अगला महाकुंभ 2169 को पड़ेगा। ऐसे में इंसन महाकुंभ में आएं और आस्थ की डुबकी लगाकर पुण्ण कमाएं।
144 वर्ष बाद हुई अमृत वर्षा
संगमनगरी प्रयागराज में संत और भक्तों का जनसैलाब उमड़ा है। सुबह से लेकर देरशाम तक बम-बम भोले की गूंज से पूरा इलाका सराबोर है। करीब 13 लाख लोग कल्पवास पर हैं। अखाड़े सजे हैं और हठयोगियों को हठ जारी है। इनसब के बीच हमने जाने-माने ज्योतिषाचार्य अतुशोष शुक्ला से महाकुंभ को लेकर चर्चा की। उन्होंने बताया कि, बुध मकर राशि में रहकर बुधादित्य योग बना रहे हैं। कुंभ योग और राशि परिवर्तन योग भी अतिशुभ है। वहीं कुंभ राशि और शुक्र और गुरु के राशि राशि परिवर्तन की दुर्लभ स्थिति का संयोग बना है। बुधादित्य योग, कुंभ योग, श्रवण नक्षत्र और सिद्धि योग बना है। महाकुंभ में पूरे 144 साल बाद समुद्र मंथन जैसे बने योग भी श्रद्धालु त्रिवेणी संगम पर पहला शाही स्नान वाला है।
क्योंकि अगला महाकुंभ 2169 में होगा
ज्योतिषाचार्य अतुशोष शुक्ला ने आगे बताया, सूर्य, चंद्रमा और शनि तीनों मकर और कुंभ राशि में गोचर कर रहे हैं। ग्रहों का ये संयोग देवासुर संग्राम के समय बना था। साथ ही श्रवण नक्षत्र सिद्धि योग में सूर्य-चंद्र की स्थिति और उच्च शुक्र एंव कुंभ राशि के शनि के कारण महाकुंभ स्नान परम योगकारी साबित होगा। ऐसे में मानत जाति को इस महाकुंभ में आकर त्रिवणी में जरूर डुबकी लगानी चाहिए। क्योंकि अगला महाकुंभ 2169 को होगा। तब आज के वक्त जो भी जीवित है, वह तब इस धरती पर नहीं होगा। उन्होंने कहा कि त्रिवेणी में पिंडदान करने से पुरखों को भी लाभ होगा। ज्योतिषाचार्य ने बताया कि कुंभ मेला नहीं एक महापर्व है और सनातन धर्म में इसे अगल महत्व दिया गया है।
45 बार जन्म लेती है आत्मा
ज्योतिषाचार्य अतुशोष शुक्ला ने इंसान और आत्मा की गुत्थी पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया, कलयुग में एक आत्मा का जन्म 45 बार होता है और उसकी उम्र 100 साल तक की होगी। इस युग में इंसान पर्यावरण को तहस नहस कर देगा, और इस युग में इंसान की इच्छा पूर्ती कम हो जाएगी और वे पाप का भागीदार बन जाएगा। कलियुग के अंतिम काल में भगवान विष्णु का कल्कि अवतार होगा। यह अवतार विष्णुयशा नामक ब्राह्मण के घर जन्म लेगा। भगवान कल्कि बहुत ऊंचे घोड़े पर चढ़कर अपनी विशाल तलवार से सभी अधर्मियों का नाश करेंगे। भगवान कल्कि केवल तीन दिनों में पृथ्वी से समस्त अधर्मियों का नाश कर देंगे।
कोई बदलाव नही किया जा सकता
ज्योतिषाचार्य अतुशोष शुक्ला बताते हैं, कलियुग में अंतिम समय में बहुत मोटी धारा से लगातार वर्षा होगी, जिससे चारों ओर पानी ही पानी हो जाएगा। समस्त पृथ्वी पर जल हो जाएगा और प्राणियों का अंत हो जाएगा। इसके बाद एक साथ बारह सूर्य उदय होंगे और उनके तेज से पृथ्वी सूख जाएगी। ज्योतिषाचार्य अतुशोष शुक्ला बताते हैं सतयुग, त्रेतायुग, द्वापरयुग, कलयुग ये चार युग हैं, जो देवताओ के बारह हज़ार दिव्य वर्षो के बराबर होते हैं। समस्त चतुर्युग एक से ही होते हैं। आरम्भ सत्ययुग से होता है अंत में कलयुग होता है। किसी भी जन्म में अपनी आज़ादी से किये गये कर्मों के मुताबिक आत्मा अगला शरीर धारण करती है। हिन्दू धर्म के सर्वोच्च ग्रन्थ हैं, जो पूर्णतः अपरिवर्तनीय हैं, अर्थात् किसी भी युग में इनमे कोई बदलाव नही किया जा सकता।