C-section vs normal delivery: सी-सेक्शन (सिजेरियन डिलीवरी) और नॉर्मल डिलीवरी दोनों में कुछ फर्क होता है, जो मां और बच्चे पर असर डालता है। नॉर्मल डिलीवरी में बच्चे को अपनी मां से अच्छे बैक्टीरिया मिलते हैं, जो उसकी इम्यूनिटी को मजबूत बनाते हैं। वहीं, सी-सेक्शन में ये बैक्टीरिया बच्चे तक नहीं पहुंच पाते, जिससे उसे कुछ हेल्थ प्रॉब्लम्स हो सकती हैं।
बच्चों में फर्क
जब बच्चे नॉर्मल डिलीवरी से जन्मते हैं, तो वे अपनी मां से जरूरी बैक्टीरिया प्राप्त करते हैं, जो उनके शरीर की सुरक्षा यानी प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करता है। लेकिन जब बच्चा सी-सेक्शन से जन्मता है, तो उसे ये बैक्टीरिया नहीं मिल पाते। इससे बच्चे का इम्यून सिस्टम कमजोर हो सकता है, और उन्हें अस्थमा, एलर्जी जैसी समस्याओं का खतरा बढ़ सकता है।
मां की रिकवरी
सी-सेक्शन में सर्जरी होती है, इसलिए मां को ठीक होने में थोड़ा समय लगता है। इसे नॉर्मल डिलीवरी के मुकाबले तीन से चार महीने तक का समय लग सकता है। इसके अलावा, सिजेरियन डिलीवरी में ज्यादा खून बहता है, जिससे मां को कमजोरी महसूस हो सकती है और एनीमिया होने का खतरा बढ़ सकता है। साथ ही, पेट में टांके होने के कारण मां को उठने-बैठने में परेशानी हो सकती है। कई बार तो पेट में खिंचाव और दर्द भी रहता है, जो रिकवरी को और भी मुश्किल बना सकता है।
और क्या हो सकता है
सी-सेक्शन के बाद महिला को कई बार कब्ज, पेट में दबाव और टांकों के कारण दर्द जैसी समस्याएं हो सकती हैं। इसके अलावा, महिलाओं को संक्रमण होने का भी खतरा रहता है, जैसे कि एंडोमेट्रियोसिस (गर्भाशय से बाहर कोशिकाओं का बढ़ना)।
दोनों में क्या तरीका बेहतर है?
हर महिला का अनुभव अलग होता है, और यह पूरी तरह से उनकी स्थिति पर निर्भर करता है कि कौन सा तरीका उनके लिए सही है। हालांकि, नॉर्मल डिलीवरी में बच्चे को अधिक फायदेमंद बैक्टीरिया मिलते हैं, जिससे उनका इम्यून सिस्टम मजबूत बनता है। वहीं, सी-सेक्शन में कम समय लगता है, लेकिन रिकवरी में ज्यादा वक्त लगता है और कई दिक्कतें हो सकती हैं।