Health Care: Key insights for all पोस्ट-ट्रॉमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर (PTSD) एक मानसिक स्थिति है जो किसी दर्दनाक घटना जैसे युद्ध, दुर्घटना, प्राकृतिक आपदा या दुर्व्यवहार के बाद होती है। इससे प्रभावित व्यक्ति के व्यवहार, भावनाओं और सोचने के तरीके में बड़ा बदलाव आ सकता है। यह किसी को भी हो सकता है, लेकिन इसे समझकर मदद करना बहुत जरूरी है।
PTSD क्या है
PTSD एक मानसिक स्वास्थ्य समस्या है जो आघात के संपर्क में आने के बाद होती है। हालांकि हर दर्दनाक घटना के बाद PTSD नहीं होता, लेकिन कुछ लोगों में इसके लक्षण लंबे समय तक रह सकते हैं और उनका रोजमर्रा का जीवन मुश्किल बना सकते हैं।
PTSD के लक्षण
PTSD के लक्षण चार हिस्सों में बांटे जा सकते हैं
घुसपैठ करने वाली यादें बार बार फ्लैशबैक आना, डरावने सपने देखना या किसी घटना को लेकर परेशान करने वाले विचार आना।
परिहार उन जगहों, लोगों या चीज़ों से बचना जो दर्दनाक घटना की याद दिलाएं।नकारात्मक बदलाव अपराधबोध, शर्मिंदगी या भावनात्मक सुन्नता महसूस करना।हाइपरएरोसल जल्दी चौंक जाना, गुस्सा आना, या नींद में परेशानी होना
PTSD आमतौर पर गहरी चोट या दर्दनाक अनुभव के कारण होता है। इसमें जोखिम बढ़ाने वाले कुछ कारण हो सकते हैं
पहले से मानसिक स्वास्थ्य समस्या होना।
लंबे समय तक आघात का सामना करना।
किसी तरह की सहायता न मिल पाना।
ज्यादा तनाव या चिंता में रहना
किसे हो सकता है PTSD
PTSD किसी को भी हो सकता है, चाहे वह किसी भी उम्र या लिंग का हो। हालांकि, सैनिक, डॉक्टर, पुलिसकर्मी और अन्य जोखिमभरे काम करने वाले लोग ज्यादा प्रभावित होते हैं। बच्चों में भी यह समस्या दुर्व्यवहार या उपेक्षा के कारण हो सकती है।
PTSD का असर दिमाग पर
दर्दनाक अनुभव मस्तिष्क के काम करने के तरीके को बदल सकता है। एमिग्डाला ज्यादा सक्रिय हो जाता है, जिससे व्यक्ति हर समय डर और चिंता में रहता है। हिप्पोकैम्पस, जो यादें संभालने का काम करता है, छोटा हो जाता है, जिससे व्यक्ति भूतकाल और वर्तमान में फर्क नहीं कर पाता।