AMU’s solar energy initiative: A step towards sustainability-अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) ने पर्यावरण के लिए एक बड़ी पहल करते हुए सोलर एनर्जी प्रोजेक्ट शुरू किया है। इस प्रोजेक्ट की मदद से रोजाना 30,000 यूनिट बिजली बनाई जा रही है। यह कदम न केवल पर्यावरण को फायदा पहुंचा रहा है, बल्कि यूनिवर्सिटी के बिजली खर्च को भी कम कर रहा है।
कैसे शुरू हुआ यह प्रोजेक्ट
एएमयू ने अपने कैंपस में कई जगह सोलर पैनल लगाए हैं। यह प्रोजेक्ट कुछ साल पहले शुरू हुआ और अब पूरी तरह से काम कर रहा है। सोलर पैनल्स से बनने वाली बिजली से न केवल क्लासरूम और ऑफिस चल रहे हैं, बल्कि यह यूनिवर्सिटी के हॉस्टल्स की जरूरत भी पूरी कर रहा है।
पर्यावरण के लिए बड़ा योगदान
सोलर एनर्जी के इस्तेमाल से एएमयू ने कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी की है। यूनिवर्सिटी का कहना है कि इस प्रोजेक्ट से हर साल हजारों टन कार्बन डाइऑक्साइड को कम किया जा रहा है। यह कदम पर्यावरण को साफ-सुथरा बनाने में मददगार साबित हो रहा है।
छात्रों के लिए सीखने का मौका
इस प्रोजेक्ट का फायदा सिर्फ पर्यावरण और बिजली बचाने तक सीमित नहीं है। यह छात्रों के लिए भी एक सीखने का बेहतरीन जरिया है। इंजीनियरिंग और साइंस के स्टूडेंट्स को सोलर एनर्जी टेक्नोलॉजी को समझने का मौका मिल रहा है। वे देख रहे हैं कि कैसे सोलर पैनल काम करते हैं और उनका मेंटेनेंस कैसे होता है।
लागत और बचत
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने बताया कि इस प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपये का निवेश हुआ है। हालांकि, सोलर एनर्जी से हर महीने लाखों रुपये की बचत हो रही है। यूनिवर्सिटी अब अपने भविष्य की योजनाओं में सोलर एनर्जी को और बढ़ाने की सोच रही है।
प्रशासन और छात्रों की प्रतिक्रिया
यूनिवर्सिटी प्रशासन ने इस प्रोजेक्ट को एक बड़ी सफलता बताया है। छात्रों और शिक्षकों ने भी इसे बहुत सराहा है। प्रशासन का कहना है कि यह कदम न केवल आर्थिक रूप से फायदेमंद है, बल्कि पर्यावरण के लिए भी जरूरी है।
भविष्य की योजनाएं
एएमयू की योजना है कि आने वाले सालों में सोलर पैनल्स की संख्या बढ़ाई जाए और ज्यादा बिजली बनाई जाए। यूनिवर्सिटी यह भी सोच रही है कि आसपास के इलाकों को भी इस प्रोजेक्ट से जोड़ा जाए, ताकि स्थानीय समुदाय को भी इसका फायदा मिल सके।