Delhi News : वक्फ संशोधन बिल को लेकर हुई संयुक्त संसदीय समिति (JPC) की बैठक समाप्त हो गई है। बैठक में 14 बनाम 11 वोटों के अंतर से बिल को स्वीकार कर लिया गया। विपक्षी सदस्यों को आज शाम 4 बजे तक अपना असहमति नोट दर्ज कराने का समय दिया गया है।
ओवैसी का विरोध, सरकार पर लगाया बड़ा आरोप
AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, “आज ड्राफ्ट रिपोर्ट को मंजूरी दे दी गई। 14 सदस्यों ने इसके पक्ष में वोट दिया, जबकि 11 ने विरोध किया। लेकिन 650 पन्नों की रिपोर्ट हमें सिर्फ एक रात पहले दी गई, इतनी जल्दी इसे पढ़कर प्रतिक्रिया देना संभव नहीं था। हमारी पार्टी ने असहमति नोट दिया है, क्योंकि हमें लगता है कि मोदी सरकार का यह संशोधन वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा के लिए नहीं, बल्कि उन्हें नष्ट करने के लिए लाया गया है। वक्फ मुसलमानों के लिए इबादत है और सरकार इसे छीनना चाहती है।”
ओवैसी ने आगे कहा कि सरकार ने अपने बहुमत के बल पर यह संशोधन पास करवाया है, लेकिन अब यह मुद्दा संसद में जाएगा, जहां वे पूरी ताकत से इसका विरोध करेंगे। उन्होंने यह भी कहा कि जरूरत पड़ी तो वे संसद के बाहर भी इस बिल के खिलाफ लड़ाई जारी रखेंगे।
विपक्ष का विरोध, JPC अध्यक्ष पर तानाशाही के आरोप
इससे पहले, JPC ने सोमवार को सत्तारूढ़ भाजपा नीत राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) द्वारा प्रस्तावित सभी संशोधनों को मंजूरी दे दी थी, जबकि विपक्षी दलों के संशोधन प्रस्तावों को खारिज कर दिया गया था। समिति के अध्यक्ष जगदंबिका पाल ने कहा कि स्वीकृत संशोधनों से कानून अधिक प्रभावी और मजबूत होगा।
हालांकि, विपक्षी सांसदों ने इस प्रक्रिया पर सवाल उठाते हुए इसे अलोकतांत्रिक करार दिया। तृणमूल कांग्रेस के सांसद कल्याण बनर्जी ने कहा, “यह पूरी कवायद हास्यास्पद थी। हमारी बात नहीं सुनी गई। जगदंबिका पाल ने तानाशाही रवैया अपनाया। वहीं, पाल ने इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया लोकतांत्रिक तरीके से चलाई गई और बहुमत की राय का सम्मान किया गया।