Journey of Delhi: दिल्ली का इतिहास बहुत ही दिलचस्प और बदलता रहा है। ये शहर महाभारत के वक्त से लेकर अब तक कई बदलावों से गुजरा है। आइए, जानते हैं कि कैसे इंद्रप्रस्थ से दिल्ली बनी और किसने इस पर राज किया।
इंद्रप्रस्थ से दिल्ली तक का सफर
महाभारत में पांडवों ने इंद्रप्रस्थ नामक शहर बसाया था, जो आज की दिल्ली का शुरुआती रूप था। बाद में राजा ढिल्लू ने इस जगह पर 8वीं शताब्दी ईसा पूर्व में एक शहर बसाया, और उसी के नाम पर दिल्ली पड़ा।
राजवंशों की कड़ी
दिल्ली का इतिहास तोमर राजवंश से जुड़ा हुआ है, जहां अनंगपाल ने 1020 के आस-पास लाल कोट बसाया। फिर पृथ्वीराज चौहान ने इस इलाके को और बड़ा किया। 1206 में कुतुबुद्दीन ऐबक ने दिल्ली में गुलाम वंश की शुरुआत की।
खिलजी से तुगलक और मुगलों तक
13वीं शताबदी में दिल्ली पर खिलजी वंश का राज हुआ। अलाउद्दीन खिलजी ने एक नया शहर ‘सिरी’ बसाया। फिर तुगलक वंश ने दिल्ली की राजधानी में कई बदलाव किए, और मोहम्मद बिन तुगलक ने देवगिरी को अपनी नई राजधानी बना लिया। बाद में, फिरोजशाह ने यमुना के किनारे अपनी राजधानी बनाई, जिसे अब फिरोज शाह कोटला के नाम से जाना जाता है।
मुगल काल और शाहजहां का योगदान
1526 में बाबर ने दिल्ली को अपने कब्जे में लिया, लेकिन उसने इसे राजधानी नहीं बनाया। फिर शाहजहां ने दिल्ली को राजधानी बनाने के लिए किले का निर्माण किया और शाहजहानाबाद (पुरानी दिल्ली) की स्थापना की, जो आज भी दिल्ली की पहचान है।
ब्रिटिश काल और नई दिल्ली
1803 में ब्रिटिशों ने दिल्ली पर कब्जा किया और 1911 में अपनी राजधानी को कलकत्ता से दिल्ली शिफ्ट कर दिया। सर एडविन लुटियन्स ने नई दिल्ली को डिजाइन किया और 1912 में यह राजधानी बन गई।
स्वतंत्रता के बाद दिल्ली
1947 में भारत की आज़ादी के बाद दिल्ली को भारतीय गणराज्य की राजधानी बना दिया गया। इसके बाद, दिल्ली तेजी से विकसित हुई और आज यह भारत का राजनीतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक केंद्र बन चुकी है।
आज की दिल्ली
आजादी के बाद दिल्ली में कई बदलाव हुए, और आज यह सिर्फ एक शहर नहीं, बल्कि एक विकसित महानगर बन चुका है। अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली में कई सुधार हुए और आम आदमी पार्टी ने दिल्ली की राजनीति में अपनी मजबूत जगह बनाई है।