लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। एक वक्त चंबल और बीहड़ में डकैतों का राज हुआ करता था। यहां के जंगलों को बागियों की जननी कहा जाता था। मलखान सिंह से लेकर फूलनदेवी ने बंदूक के दम पर कई सालों तक जंगल से बैठकर अपनी हुकूमत चलाई। इन्हीं से एक लेडी डकैती सुरेखा धोबिन थी। जिसका नाम सुनकर आमजन से लेकर खासजन की पतलून गीली हो जाया करती थी। जंगल में सुरखा के साथ डकैत सरगना ने जबरन शादी। जंगल में ही वह गर्भवती हुई। प्रेग्नेंसी के दौरान पुलिस से मुठभेड़ हुई। सुरखा ने आगे बढ़कर मुकाबला किया। पुलिस भारी पड़ने लगी तो डकैत भाग गए और सुरेखा पुलिस के हत्थे चढ़ गई। गिरफ्तारी के अगले दिन उसने बच्चे को जन्म दिया। जेल गई और 14साल के बाद वह सलाखों से बाहर आई और प्रधानी का चुनाव लड़ा।
13 साल की उम्र में सुरेखा का उठा ले गया डकैत
इटावा जिले के बदनपुरा गांव में सुरखा का जन्म हुआ था। 12 मार्च, 1999 को थाना सहसों के चौकीदार देवी चरण के घर सलीम गुर्जर के गैंग ने धावा बोल दिया। सलीम गुर्जर को शक था कि देवी चरण पुलिस के लिए मुखबिरी कर रहा है। सलीम ने सुरखा के परिवार की बेरहमी से पिटाई की। देवी चरण को मृत समझ कर सलीम उसकी 13 साल की बेटी सुरखा धोबिन को जबरन अपने साथ ले गया। उस वक्त सुरेखा 5वीं कक्षा में पढ़ रही थीं। सुरेखा ने खुद बताया था कि जंगल में ले जा कर सलीम ने उनसे शादी रचा ली थी। सुरखा ने बताया कि उस वक्त उसकी उम्र महज 14 साल की थी। सलीम ने बंदूक के दम पर उसके साथ सात फेरे लिए। शादी के बाद वह सलीम गैंग में शामिल हो गई। सलीम ने उसे असलहा चलाने की ट्रेनिंग दी। फिर सुरेखा चंबल की रानी बन गई। गैंग के हर फैसले उसके इशारे पर हुआ करते। करीब पांच साल तक सुरेखा का चंबल में सिक्का चला।
सुरेखा ने बच्चे को जन्म दिया
चंबल और बीहड़ में सलीम का राज था। यूपी, एमपी और राजस्थान की पुलिस डकैत के पीछे पड़ी थी। 2004 में पुलिस को सूचना मिली कि दुर्दांत दस्यु सरगना सलीम उर्फ पहलवान सिंह गुर्जन चंबल के बीहड़ में डेरा डाले हुआ था। सूचना मिलने पर पुलिस ने गिरोह को चारों ओर से घेर लिया। इसके बाद दोनों ओर से ताबडतोड़ फायरिंग होने लगी। मुठभेड़ के दौरान डाकू गिरोह के लोग भाग निकले। इस दौरान तत्कालीन भिंड एसपी साजिद फरीद सापू को मौके पर एक नौ माह की गर्भवती महिला मिली। गर्भवती महिला की पहचान पहलवान गुर्जर की पत्नी सुरेखा धोबिन के रूप में की गई। पुलिस ने सुरेखा को जिला अस्पताल भिंड में भर्ती कराया, जहां उसने एक बच्चे को जन्म दिया। आज ये बच्चा 21 साल का हो चुका है और अपनी मां के साथ इटावा के बदनापुरा गांव में रहता है।
बीहड़ों सलीम का एनकाउंटर
सुरेखा की गिरफ्तारी के बाद पुलिस सलीम गैंग के पीछे पड़ गई। आखिकार 2006 में इटावा औरैया के बीहड़ों सलीम का एनकाउंटर हो गया था और मारा गया। सुरेखा ने बताया कि उसके खिलाफ दो दर्जन से अधिक मुकदमे दर्ज थे। 14 साल तक जेल में रही और अदालत ने उसे बरी कर दिया। सुरेखा अपने पिता के गांव में रहती है। वो कहती है कि अतीत उसका बुरा सपना था जो वे अब भूल जाना चाहती है। पूरा ध्यान बच्चे को पढ़ा लिखाकर अच्छा इंसान बनाने पर है। सुरेखा ने मीडिया को बताया था कि, बागी जीवन के दौरान जब गांव में पंचायत चुनाव हुआ करते थे, तब हम सब डकैत गांव-गांव घूमकर अपने मनमाफिक लोगों को जिताने के लिए फरमान जारी करते थे। गांव के लोगों को सख्त हिदायत दी जाती थी कि उनके चुने हुए प्रत्याशियों को वोट नहीं किया तो उन्हें अपनी जान से हाथ धोना पड़ेगा।
गांव में प्रधानी का चुनाव भी लड़ा
गुर्जर बाहुल्य गांव में सुरेखा का एक मात्र परिवार धोबी जाति का है। 2020 में सुरेखा ने अपने गांव में प्रधानी का चुनाव भी लड़ा था। लोगों के सामने हाथ जोड़कर प्रचार भी किया लेकिन इसके बाद भी उसे हार का सामना करना पड़ा। सुरखा का बेटा पढ़ाई में तेज है। सुरखा ने मीडिया को बताया कि वह अपने बेटे को पढ़ा-लिखाकर सरकारी अफसर बनाएगी। सुरखा ने कहा कि उसे जबरन डकैत बनाया गया। 14 साल की उम्र में सलीम ने शादी की। 17 साल की उम्र में सुरखा सलीम के बेटे की मां बनी। सुरखा कहती हैं कि बीहड़ में उसे प्रताड़ित किया गया। मारा-पीटा गया। समील ने दुष्कर्म किया। आखिर में थक-हार कर मैंने सलीम के साथ शादी को तैयार हुई।