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‘अजब-गजब’ तरीके से होली खेलते थे मुगल, हौदे में शराब भरवाते बाबर तो बेगमों को पिचकारी से नहलाते थे अकबर

होली पर्व को लेकर पूरे देश में धूम हैं, 64 साल के बाद रमजान पर होली-जुमा एकदिन पड़ रहा है, ऐसे में सुरक्षा के पुख्ता बंदोबस्त किए गए हैं।

by Vinod
March 13, 2025
in Latest News, TOP NEWS, धर्म, राष्ट्रीय
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नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। देश भर में होली पर्व की धूम हैं। शहर-शहर, गांव-गांव होलिका सजा चुकी हैं। घर पर पकवान बन रहे थे युवाओं की टोलियां में रंगोत्सव को लेकर सज-धज रही हैं। इनसब के बीच 64 साल के बाद होली और रमजान का जुमा एक साथ पड़ रहा है। ऐसे में कई प्रदेशों की सरकारों ने जुमे के समय पर परिवर्तन किया है। मस्जिदों को त्रिपालों से ढका गया है। जिसको लेकर घमासान जारी है। ऐसे में हम आपको मुगलों के जमाने की होली के बारे में बताने जा रहे हैं। कैसे मुगल बादशाह अपनी जनता के साथ रंगोत्सव मनाते थे। बेगमों के शरीर पर पिचकारी से रंग डालते। गाल पर गुलाल लगाते थे।

गरीब शख्स भी बादशाह पर रंग डाल सकता था

64 साल बाद देश में होली और रमजान का जुमा साथ पड़ रहा है। ऐसे में देशभर में सुरक्षा के पुख्ता बंदोस्त किए गए हैं। रंगात्सव पर खलल डालने वालों पर पुलिस की नजर है। सरकार-पुलिस और प्रशासन की तरफ से अपील की गई है कि लोग सौहार्द तरीके से अपने-अपने पर्व मनाएं। होली-जुमा पर बयानबाजियों का दौर भी जारी है। ऐसे में हम आपको मुगलों के जमाने की होली के बारे में बताने जा रहे हैं। उस वक्त सबसे गरीब शख्स भी बादशाह पर रंग डाल सकता था। होली पर नवाब बड़े शौक से ठंडई पीते और हरम में रंग खेलते थे। बाबर खुद हौदे पर शराब भरवाते और होरियारों को पिलाते और खुद भी जाम को हाथ लगाते थे। बाबर हिन्दुओं के साथ होली खेलते। अकबर के दरवार पर होली को लेकर खास तैयारियों को लेकर मंथन हुआ करता था।

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पूरे कुंड को शराब से भरवाया

सबसे पहली होली 1325 ईस्वी में मोहम्मद बिन तुगलक ने खेली थी। वह सार्वजनिक रूप से होली के जश्न में शामिल हुआ था। 1526 में पहले मुगल बादशाह बाबर ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया। इतिहासकार मुंशी जकीउल्ला ने अपनी किताब ‘तारीख-ए-हिंदुस्तान’ में लिखते हैं बाबर ने देखा कि हिंदू एक-दूसरे को रंगों से भरे बड़े-बड़े हौदों में पटक रहे थे। वह हैरान थे कि लोग न जाने कौन सा खेल खेल रहे हैं। उन्हें बताया गया कि यह हिंदुओं का एक-दूसरे को रंग लगाकर मनाया जाने वाला त्योहार होली है। बाबर को होली का माहौल पसंद आया। उन्होंने होली के दिन अपने नहाने के पूरे कुंड को शराब से भरवाया और उसमें नहाए। बाबर के बाद उनके बेटे हुमायूं के दौर में भी होली खेली गई, लेकिन इसमें खुद हुमायूं के शरीक होने का ज्यादा जिक्र नहीं मिलता।

सभी त्योहार मनाने की छूट थी

अकबर के शासन यानी 1556 से 1605 में हिंदुओं को सभी त्योहार मनाने की छूट थी। किताब, ’अकबर द ग्रेट’ के मुताबिक, होली के दिन अकबर किले से बाहर भी आते थे और आम लोगों से मिलते थे। मुगल बादशाह होली का बेसब्री से इंतजार करते और रंग खेलने के लिए साल भर पिचकारी जैसी चीजें इकट्ठा करते थे। अकबर को भी ऐसी पिचकारियां इकट्ठी करने का शौक था, जिनसे रंग दूर तक जाए। वह हरम में हरखा बाई और बाकी बेगमों के साथ रंग खेलते थे। कुछ इतिहासकार यह भी कहते हैं कि अकबर के हरम में हरखा बाई और उनकी साथी महिलाएं दीवाली और शिवरात्रि भी मनातीं तो अकबर भी इसमें शरीक होते थे। अकबर के समय के मशहूर कृष्ण भक्त कवि रसखान ने भी होली को लेकर बहुत कुछ लिखा है, जो आज भी किताबों में मौजूद है।

जहांगीर अपने महल में होली खेलते थे

अकबर के बाद 1605 से 1627 तक मुगल साम्राज्य उनके बेटे जहांगीर के हाथों में रहा। जहांगीर भी अपने महल में होली खेलते थे। जहांगीर अपने हरम में नूरजहां और बाकी औरतों के साथ होली खेलते हुए। संगीत में रुचि रखने वाले बादशाह जहांगीर होली पर महफिल लगाते थे। इतिहासकारों के मुताबिक, जहांगीर आम लोगों के साथ होली नहीं खेलते थे, लेकिन उनके समय बादशाह का लाल किले की खिड़कियों से झांककर आम लोगों से बातचीत करने का चलन था। जहांगीर इन्हीं झरोखे से लोगों को रंगों में सराबोर होते हुए देखते थे। उनके ही दौर में होली को ‘ईद-ए-गुलाबी’ और ‘आब-ए-पाशी’ कहा गया। आब-पाशी का मतलब है रंगीन पानी की बौछार करना।

शाहजहां के दौर में भी होली खेली जाती रही

जहांगीर के बेटे शाहजहां के दौर में भी होली खेली जाती रही। मुगल बादशाह शाहजहां ने भी होली के त्योहार को उत्सव की तरह मनाया। उनके शासनकाल के दौरान राजदरबार में होली का उत्सव ईद-ए-गुलाबी के नाम से जाना जाता था। इस त्योहार को राजदरबार में हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदाय के लोग साथ मनाते थे। अब्दुल हामिद लाहौरी की किताब पादशाहनामा और शाहजहांनामा दोनों में ही इस बात का उल्लेख मिलता है कि शाहजहां के शासनकाल में होली मनाई जाती थी। मुगल काल की कलाकृतियों में भी होली का जिक्र मिलता है और शाहजहां द्वारा आयोजित किए जाने उत्सवों का वर्णन मिलता है।

औरंगजेब ने होली-दीपावली मनाने पर रोक लगा दी

शाहजहां को कैद में डाल उसका छोटा बेटा औरंगजेब मुगल बादशाह बना। ये ‘कट्टर इस्लामी शासक’ हिंदुओं के त्योहार मनाने के खिलाफ था। इसका जिक्र औरंगजेब के दरबार से जुड़े लेखक साकी मुस्तैद खान ने अपनी किताब ‘मआसिर-ए-आलमगीरी’ के चैप्टर 12 में किया है। 9 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने अपने शासन वाले सभी 21 सूबों में हिंदुओं के मंदिर गिराने का आदेश दिया था। इस आदेश के बाद ही सोमनाथ, काशी विश्वनाथ समेत दर्जनों मंदिर गिराए गए। हिंदुओं की धार्मिक प्रथाओं और त्योहारों पर भी रोक लगा दी गई। सभी 21 सूबों में होली नहीं मनाई गई, क्योंकि ये शाही हुक्म के खिलाफ था। औरंगजेब ने होली-दीपावली मनाने पर रोक लगा दी थी।

मोहम्मद शाह होली खेलते थे

औरंगजेब के बाद मुगल शासन कमजोर होता चला गया। दक्षिण में मुस्लिम शासकों की सल्तनतें काबिज थीं। 1627 में बीजापुर के सुल्तान बने इब्राहिम आदिल शाह द्वितीय कला और संगीत में रुचि रखने वाले थे और धार्मिक सहिष्णु शासक थे। वह होली पर रंग खेलते और मिठाई बांटते थे। 1719 से 1748 तक बादशाह रहे मोहम्मद शाह होली खेलते थे। उनके होली खेलते हुए जो चित्र हैं, उनमें उनको महल में दौड़ते हुए दिखाया गया है। बादशाह बहादुर शाह जफर के जमाने में होली किले और दरबार से बाहर सड़कों तक पर मनाई गई। उन्होंने अपने हिंदू मंत्रियों को सिर और गाल पर गुलाल लगाने की इजाजत दी थी। इस मौके पर उत्तर भारत में फाग कहे जाने वाले लोकगीतों का प्रचलन था। इतिहासकारों के मुताबिक, बहादुर शाह जफर ने होली पर कई फाग लिखे।

Tags: Akbarholi festivalMughal emperorMughal emperor used to play Holi
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