Bareilly teacher: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले के एक सरकारी शिक्षक प्रशांत अग्रवाल ने शिक्षा के क्षेत्र में नई मिसाल कायम की है। उन्होंने बच्चों के मन से गणित और अंग्रेजी जैसे कठिन विषयों का डर दूर भगाने के लिए गीत, कविता और पहेली का ऐसा प्रयोग शुरू किया है कि नन्हे-मुन्ने हंसते-हंसते पढ़ाई करने लगे हैं। प्रशांत अग्रवाल ने न केवल बच्चों के लिए पढ़ाई को रोचक बनाने का बीड़ा उठाया है, बल्कि सरकारी स्कूल में लाइब्रेरी बनाकर सैकड़ों किताबें भी जुटाई हैं। उनके इस प्रयास से गरीब और वंचित समाज के बच्चे शिक्षा के प्रति उत्साहित हो रहे हैं। हाल ही में प्रशांत ने कक्षा एक से पांच तक की हिंदी और संस्कृत की 65 कविताओं का संकलन भी तैयार किया है, जिसकी चर्चा दूसरे जिलों में भी हो रही है।
सरकारी शिक्षा को बनाया रोचक
बरेली जिले के फतेहगंज पश्चिमी ब्लॉक के डहिया गांव के प्राथमिक विद्यालय में तैनात प्रशांत अग्रवाल बच्चों को पढ़ाई का बोझ महसूस नहीं होने देते। उनकी कक्षाओं में बच्चे गीत और कविताओं के माध्यम से सीखते हैं। गणित जैसे कठिन विषय को भी गीतों में पिरोकर उन्होंने बच्चों के मन में उत्साह भर दिया है। उनके इस अनोखे शिक्षण पद्धति ने बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों का भी दिल जीत लिया है।
प्रशांत अग्रवाल Bareilly पहले जवाहर नवोदय विद्यालय में टीचर थे, लेकिन वहां से नौकरी छोड़कर बेसिक शिक्षा विभाग से जुड़े। उनका उद्देश्य शिक्षा के प्रति बच्चों में रुचि और ललक पैदा करना है। वे पारंपरिक पढ़ाई के बजाय रचनात्मक और रोचक तरीके से शिक्षण कार्य कर रहे हैं।
किताबें बनीं प्रेरणा स्रोत
प्रशांत अग्रवाल Bareilly की अब तक 11 किताबें प्रकाशित हो चुकी हैं, जो शिक्षकों के बीच प्रेरणा स्रोत बन गई हैं। इन पुस्तकों में “शिक्षक के मार्मिक मनोभाव”, “अनमोल शिक्षा-सूत्र”, “मजेदार बेसिक गणित”, “अमेजिंग इंग्लिश वर्ल्ड”, “अद्भुत भाषा भंडार”, “संस्कार के रिमझिम गीत”, “चार हजार बुद्धिवर्द्धक पहेलियां”, “डेढ़ हजार सुरीली पहेलियां” और “ढाई हजार मात्रा-काव्य पहेलियां” शामिल हैं।
बच्चों में जगाई शिक्षा की ललक
प्रशांत अग्रवाल Bareilly का मानना है कि शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में ज्ञान के साथ-साथ नैतिकता और रचनात्मकता का विकास करना भी होना चाहिए। उनके प्रयासों से न केवल सरकारी विद्यालय का माहौल बदला है, बल्कि आस-पास के क्षेत्रों में भी उनके प्रयोगों की सराहना हो रही है।
प्रशांत अग्रवाल का यह अभिनव प्रयोग दिखाता है कि अगर शिक्षक ठान लें तो शिक्षा को नीरस से रोचक और प्रभावी बनाया जा सकता है। उनके प्रयास निश्चित रूप से अन्य शिक्षकों के लिए भी प्रेरणास्रोत बनेंगे।