नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। वक्फ संशोधन बिल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है। बृहस्पतिवार को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने मामले की सुनवाई की। सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने अपनी दलीलें रखीं तो वहीं याचिकाकर्ताओं की ओर कपिल सिब्बल, राजीव धवन, अभिषेक मनु सिंघवी सहित कई वरिष्ठ वकीलों ने बिल के खिलाफ कोर्ट में जिरह की। इस मौके पर सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कुछ दस्तावेज पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा। जिस पर कोर्ट की तरफ से मंजूरी मिली गई। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट को आश्वासन दिया कि बोर्ड या काउंसिल की कोई नियुक्ति नहीं होगी।
वक्फ संशोधन बिल को लेकर सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई। कोर्ट ने दोनों पक्षों की बात सुनी। साथ ही सुनवाई को एक दिन के लिए बड़ा दिया। बृहस्पतिवार को अदालत ने एकबार फिर सुनवाई शुरू की। केंद्र की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता पेश हुए। उन्होंने कोर्ट से कहा कि सरकार लोगों के प्रति जवाबदेह है। सरकार को लाखों-लाखों प्रतिनिधि मिले, गांव-गांव वक्फ में शामिल किए गए। इतनी सारी जमीनों पर वक्फ का दावा किया जाता है। इसे कानून का हिस्सा माना जाता है। मेहता ने कहा कि कानून पर रोक लगाना एक कठोर कदम होगा। ऐसे में हमें जवाब दाखिल करने के लिए एक सप्ताह का समय चाहिए।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उसने कहा था कि कानून में कुछ सकारात्मक बातें हैं और इस पर पूरी तरह रोक नहीं लगाई जा सकती। वह नहीं चाहता कि मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव हो। कोर्ट ने कहा कि जब मामला कोर्ट में लंबित है, तो कोर्ट को यह सुनिश्चित करना होगा कि मौजूदा स्थिति में कोई बदलाव न हो। सॉलिसिटर जनरल ने कोर्ट से कुछ दस्तावेज पेश करने के लिए एक सप्ताह का समय मांगा और आश्वासन दिया कि बोर्ड या काउंसिल की कोई नियुक्ति नहीं होगी। ऐसे में कोर्ट उन्हें एक सप्ताह का समय देती है। अब पूरे मामले की सुनवाई एक सप्ताह के बाद होगी।
इससे पहले बुधवार को चीफ जस्टिस संजीव खन्ना, जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने तीन बातें कही थीं। जिसमें कोर्ट ने कहा था कि हम आदेश में कहेंगे कि न्यायालय की ओर से वक्फ घोषित की गई किसी भी संपत्ति को गैर अधिसूचित नहीं किया जाएगा, यानी उसे गैर वक्फ नहीं माना जाएगा, फिर चाहे वह संपत्ति उपयोगकर्ता की ओर से वक्फ की गई हो या विलेख के जरिए। दूसरा, कलेक्टर किसी संपत्ति से संबंधित अपनी जांच की कार्यवाही जारी रख सकता है। तीसरा, बोर्ड व परिषद में पदेन सदस्य नियुक्त किए जा सकते हैं, लेकिन अन्य सभी सदस्य मुस्लिम होने चाहिए।
इस मामले में बुधवार को हुई सुनवाई में जहां वक्फ बिल को चुनौती देने वाली याचिकाओं के पक्ष में सीनियर एडवोकेट कपिल सिब्बल ने दलीलें रखीं तो सुप्रीम कोर्ट ने उनकी हर दलीलों पर सवाल भी कर डाले। वहीं, जब केंद्र सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता तर्क दे रहे थे तो सीजेआई जस्टिस संजीव खन्ना की पीठ ने तीखे सवाल भी पूछ डाले। बृहस्पतिवार को भी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट के सीजेआई जस्टिस खन्ना ने जवाब देने के लिए सरकार को एक हफ्ते का वक्त दिया। साथ ही अगले आदेश तक यथास्थिति बहाल रखने को कहा है।
सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को सिर्फ 5 याचिकाएं ही देने को कहा है। साथ ही तब तक वक्फ बोर्ड में कोई बहाली भी नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि जो भी संपत्तियां न्यायालय द्वारा वक्फ घोषित की गई हैं, उन्हें गैर-वक्फ नहीं माना जाएगा, चाहे वो वक्फ बाय यूजर से की गई हों या नहीं। वक्फ कानून को लेकर सुप्रीम कोर्ट तीन सवालों पर दोनों पक्षों के दलीलों को सुनकर अंतरिम आदेश जारी करेगा। शीर्ष कोर्ट ने प्रस्ताव रखा कि अलग-अलग हाईकोर्ट में वक्फ कानून 1995 को दी गई चुनौती से संबंधित याचिकाएं भी सुप्रीम कोर्ट में स्थानांतरित कर ली जाएं।
अब जानते हैं कोर्ट में क्यों उठाए गए ये सवाल। दरअसल, ऐसी वक्फ प्रॉपर्टी जिन्हें कोर्ट ने वक्फ घोषित किया है या फिर ऐसी वक्फ प्रॉपर्टी जिसका वाद किसी कोर्ट में चल रहा है। उस बारे में कोर्ट कोई आदेश दे सकता है। बृहस्पतिवार को भी सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने इसी सवाल को उठाया। कुछ ऐसा ही मामला कलेक्टर को लेकर है। याचिकाकर्ताओं का कहना है कि कलेक्टर के अधिकारों पर रोक लगानी चाहिए। याचिकाकर्ताओं की तरफ से कहा गया कि वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री दी गई है। वक्फ बोर्ड में गैर-मुस्लिमों की एंट्री को गैर-संवैधानिक है। ये नया कानून अधिकारों का सीधा उल्लंघन है। जिसका विरोध केंद्र सरकार के वकील ने किया। केंद्र ने कहा है कि विवाद की स्थिति में दूसरा पक्ष ट्रिब्यूनल जा सकता है।
भारत में वक्फ की कुल संपत्ति 8.72 लाख एकड़ है। यह संपत्ति इतनी ज्यादा है कि सेना और रेलवे के बाद वक्फ के पास सबसे ज्यादा प्रॉपर्टी है। 2009 में यह प्रॉपर्टी करीब 4 लाख एकड़ ही थी, जो अब दोगुनी हो चुकी है। साल 2009 के बाद वक्फ की संपत्तियों में दोगुने का इजाफा हुआ है। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय ने दिसंबर 2022 में लोकसभा में जानकारी दी थी जिसके अनुसार वक्फ बोर्ड के पास 8,65,644 एकड़ अचल संपत्तियां हैं। वक्फ की इन जमीनों की अनुमानित कीमत 1.2 लाख करोड़ है। देश के पांच राज्यों में वक्फ के पास सबसे ज्यादा संपत्तियां हैं और ये राज्य हैं-उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और पश्चिम बंगाल। हैदराबाद में ही वक्फ के पास 77,000 प्रॉपर्टीज हैं, इसीलिए इस शहर को भारत की वक्फ राजधानी कहा जाता है।