भारत के कड़े फैसले के बाद मची पाकिस्तान में हड़कंप
23 अप्रैल को पीएम नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई CCS बैठक के बाद भारत ने सिंधु जल संधि को निलंबित करने की घोषणा की थी। इस ऐलान ने पाकिस्तान को झकझोर दिया। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने 24 अप्रैल को नेशनल सिक्योरिटी कमेटी (NSC) की आपात बैठक बुलाई, जिसमें तीनों सेनाध्यक्ष भी शामिल हुए। बैठक के बाद पाकिस्तान ने वाघा बॉर्डर बंद करने, भारतीय नागरिकों को 30 अप्रैल तक देश छोड़ने का आदेश और भारत के साथ सभी द्विपक्षीय समझौते रद्द करने जैसे कठोर कदम उठाए।
“हमारे बच्चों को प्यासा न छोड़े भारत”
Pakistan ने सिंधु जल संधि को विश्व बैंक द्वारा मध्यस्थता वाली अंतरराष्ट्रीय संधि बताया और कहा कि इसका एकतरफा निलंबन अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है। Pakistan पीएमओ की ओर से जारी बयान में कहा गया, “सिंधु नदी प्रणाली हमारे 240 मिलियन नागरिकों की जीवन रेखा है। कृपया हमारे नागरिकों को सज़ा न दें। बच्चों, किसानों और मरीजों को प्यासा न रखें।” पाकिस्तान ने साफ किया कि उसका आतंकवाद से कोई संबंध नहीं है और वह इस हमले की कड़ी निंदा करता है।
भविष्य की चेतावनी और अंतरराष्ट्रीय अपील
पूर्व Pakistan राजनयिक अब्दुल बासित समेत कई पाकिस्तानी नेताओं ने भारत के इस कदम को “खून बहाने वाला” बताया। पाकिस्तान ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय और विश्व बैंक से अपील की है कि वे इस मसले पर हस्तक्षेप करें और भारत को संधि के नियमों का पालन करने को बाध्य करें। पाकिस्तान ने कहा कि पानी जैसे जीवनदायी संसाधन को कूटनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना मानवता के खिलाफ अपराध है और इसका असर पूरे दक्षिण एशिया की स्थिरता पर पड़ेगा।
सिंधु जल विवाद भारत-Pakistan तनाव को नए स्तर पर ले गया है। जहां भारत आतंकी हमले पर कड़ा संदेश देना चाहता है, वहीं पाकिस्तान अपने नागरिकों के जीवन और भविष्य को लेकर चिंतित है। ऐसे में अब दुनिया की निगाहें भारत की अगली प्रतिक्रिया पर टिकी हैं – क्या भारत अपने निर्णय पर पुनर्विचार करेगा, या यह जल संकट एक बड़े भू-राजनीतिक टकराव का कारण बनेगा?