How Travel Helps in Stress Relief आज की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में हर किसी पर काम का दबाव, ज़िम्मेदारियों का बोझ और रोज़मर्रा की टेंशन सवार है। ऐसे में दिमाग और दिल दोनों ही थक जाते हैं। जब लगे कि सब कुछ बोझ बन गया है, तो खुद को थोड़ा वक्त देना बेहद ज़रूरी हो जाता है। और ये वक्त सबसे अच्छा मिलता है ट्रैवलिंग से।
अब सवाल ये उठता है कि क्या घूमने से सच में स्ट्रेस कम होता है? जवाब है हां, बिल्कुल। ट्रैवल सिर्फ घूमने-फिरने का नाम नहीं है, बल्कि ये एक तरह की थेरेपी है, जो आपको नए माहौल, नए लोगों और नई एनर्जी से जोड़ती है।
रोज़मर्रा से बाहर निकलना है ज़रूरी
हम सबकी ज़िंदगी एक जैसे रूटीन में बंधी होती है। सुबह उठना, ऑफिस या घर का काम, बच्चों की देखभाल, और दिनभर की भागदौड़। इस लगातार चलने वाली दौड़ में मन कहीं थकने लगता है। छोटी-छोटी बातों पर गुस्सा आना, हर वक्त चिड़चिड़ापन रहना और खुद से भी दूरी बन जाना, ये सब स्ट्रेस के लक्षण हैं। ऐसे में सिर्फ टीवी देखना या मोबाइल चलाना कोई हल नहीं है। असली राहत तब मिलती है जब हम अपनी रोज़ की ज़िंदगी से थोड़ा ब्रेक लें। एक नई जगह पर जाएं, कुछ नया देखें और खुद को थोड़ा वक़्त दें।
घूमना है दिमाग के लिए टॉनिक
जब आप किसी नई जगह जाते हैं, तो वहां का माहौल, खाना, लोग और नज़ारे सब कुछ आपके मन को नया अनुभव देते हैं। इससे आपकी सोच खुलती है और स्ट्रेस दूर होता है। जब पूरा परिवार साथ घूमने जाता है, तो आपसी रिश्ता भी मज़बूत होता है। ना ऑफिस के कॉल्स, ना रोज़ के काम सिर्फ साथ बिताया गया खूबसूरत वक्त। ये जरूरी नहीं कि ट्रैवलिंग के लिए बहुत दूर जाना पड़े। कभी-कभी पास की जगह पर दो दिन की ट्रिप भी मन को बहुत राहत दे जाती है। बच्चों की हंसी, पार्टनर के साथ बिताया समय और खुद के साथ शांत पल – ये सब मिलकर मूड को तरोताज़ा कर देते हैं।
जब लगे थक गए हैं, तो ब्रेक लीजिए
हर इंसान की ज़िंदगी में ऐसा वक्त आता है जब सब थका देने वाला लगने लगता है। उस वक्त एक छोटा सा ब्रेक, एक छोटा सा सफर आपकी पूरी एनर्जी को वापस ला सकता है। इसलिए जब भी ज़िंदगी भारी लगने लगे, तो एक बैग पैक कीजिए और चल पड़िए किसी नई जगह की ओर।
क्योंकि कई बार जवाब सिर्फ एक ट्रैवल ब्रेक में छिपा होता है।