Should Babies Sleep With Light On or Off? : छोटे बच्चों की सेहत को ध्यान में रखते हुए हर छोटी बात का ख्याल रखना जरूरी होता है। ऐसा इसलिए क्योंकि बचपन में की गई कोई भी गलती आगे चलकर उनके शरीर और दिमाग पर असर डाल सकती है। ऐसे ही एक आम गलती है जो कई माता-पिता बच्चों को सुलाते समय कर बैठते हैं। कमरे में रोशनी जलाकर सुलाना।
क्यों जलाते हैं माता-पिता लाइट?
अक्सर मां-बाप अपने बच्चों के डर या अकेलेपन से बचाने के लिए कमरे में हल्की रोशनी छोड़ देते हैं। उन्हें लगता है कि अगर बच्चा रात में उठ जाए तो अंधेरे में डर नहीं लगेगा। इसलिए कमरे में नाइट लाइट या डिम लाइट चालू रखी जाती है। लेकिन क्या यह सच में सही है।
डॉक्टर्स की राय क्या है?
हार्वर्ड के डॉक्टर सेठी ने अपने यूट्यूब चैनल पर एक वीडियो में इस आदत को बच्चों की सेहत के लिए नुकसानदायक बताया है। उन्होंने कहा कि रात में सोते समय कमरे में हल्की रोशनी भी बच्चों की आंखों पर बुरा असर डाल सकती है।
क्या हो सकता है नुकसान?
डॉक्टर के अनुसार, कई रिसर्च बताती हैं कि नींद के वक्त रोशनी में सोने से बच्चों में मायोपिया (नज़दीक की नजर कमजोर होना) का खतरा बढ़ जाता है। इसकी वजह यह है कि बच्चों की पलकें (आईलिड्स) बहुत पतली होती हैं। इसलिए कमरे की नीली रोशनी (ब्लू लाइट) उनकी आंखों के अंदर आसानी से पहुंच जाती है और रेटिना को प्रभावित कर सकती है। इस तरह की रोशनी आंखों के विकास में बाधा बन सकती है और आगे चलकर बच्चों को चश्मा लग सकता है।
बेस्ट तरीका क्या है?
डॉक्टर सेठी की सलाह है कि बच्चों को पूरी तरह अंधेरे में सुलाना चाहिए। अगर घर में बाहर से रोशनी आती है, तो परदे लगा देना चाहिए। कमरे की सारी लाइटें बंद करके ही बच्चे को सुलाएं, ताकि उसकी नींद अच्छी हो और आंखों की रोशनी पर कोई बुरा असर न पड़े।
ध्यान रखें एक अच्छी और गहरी नींद बच्चों के मानसिक और शारीरिक विकास के लिए बहुत जरूरी है। नींद में रोशनी से दिमाग को पूरी तरह आराम नहीं मिल पाता।
Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं पर आधारित है। news1india इन मान्यताओं की पुष्टि नहीं करता है। यहां पर दी गई किसी भी प्रकार की जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह अवश्य ले लें।