Golden Dome: भविष्य का वेपन
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा घोषित गोल्डन डोम एक ऐसा मिसाइल डिफेंस कवच है जो किसी भी दिशा, किसी भी रेंज और किसी भी स्पीड से आने वाले हवाई खतरे को नष्ट करने की क्षमता रखता है। यह प्रणाली अंतरिक्ष में तैनात 1000 से अधिक सैटेलाइट्स, AI-संचालित सेंसर और हाईटेक रडार नेटवर्क से जुड़ी होगी। इससे 360 डिग्री कवरेज संभव होगी, जो अमेरिका की रक्षा को हर एंगल से सुरक्षित बनाएगा।
Trump unveils Golden Dome for America
$175B space-based missile shield will counter nukes, drones, hypersonic & cruise missiles
First US weapon in space, ready in 3 years
Russia, China call it destabilising, warn of space militarisation#Trump #GoldenDome #USA pic.twitter.com/Cmw54z3BKR
— Nabila Jamal (@nabilajamal_) May 21, 2025
एलन मस्क की स्पेसएक्स, एंडुरिल जैसी कंपनियां इस प्रोजेक्ट में मिलकर काम कर रही हैं, जो इसे दुनिया का सबसे एडवांस और इंटेलिजेंट डिफेंस सिस्टम बनाएगा। ट्रंप का कहना है कि ये कवच न केवल अमेरिका बल्कि पूरी दुनिया के मिसाइल डिफेंस सिद्धांतों को बदल देगा।
President Trump unveiled his plan for the $175 billion Golden Dome missile defense shield, which includes a massive array of surveillance satellites and a separate fleet of attacking satellites that would shoot down offensive missiles soon after lift-off https://t.co/hFLRCN7ZXY pic.twitter.com/iUbvtNC0wL
— Reuters (@Reuters) May 21, 2025
S-400 से कैसे अलग है गोल्डन डोम?
रूसी S-400 सिस्टम अभी दुनिया में सबसे ताकतवर माना जाता है, जो 400 किमी तक की मिसाइलों को इंटरसेप्ट कर सकता है। लेकिन ये ज़मीन पर आधारित सिस्टम है। इसके उलट गोल्डन डोम पूरी तरह से स्पेस-बेस्ड होगा, जिसकी सीमा पृथ्वी से लेकर अंतरिक्ष तक फैली होगी।
S-400 सिर्फ बैलिस्टिक या क्रूज मिसाइलों से सुरक्षा देता है, लेकिन गोल्डन डोम हाइपरसोनिक मिसाइलों, AI-ड्रिवन हथियारों, ड्रोन्स और अंतरिक्ष से होने वाले अटैक को भी रोक सकता है। इसमें लेजर इंटरसेप्टर, सैटेलाइट थ्रेट ट्रैकिंग और मल्टी लेयर रेस्पॉन्स मैकेनिज्म भी होगा, जो S-400 में नहीं है।
क्यों पड़ी अमेरिका को इसकी जरूरत?
भले ही अमेरिका किसी सक्रिय युद्ध में शामिल नहीं है, लेकिन रूस, चीन, उत्तर कोरिया और ईरान जैसे देशों की मिसाइल क्षमताएं और AI-आधारित हथियार अमेरिका के लिए दीर्घकालिक खतरा बन सकते हैं।
ट्रंप के मुताबिक आने वाले समय में युद्ध केवल सीमा पर नहीं होंगे, बल्कि अंतरिक्ष और डेटा स्पेस में भी होंगे। ऐसे में गोल्डन डोम अमेरिका की दूसरी स्ट्राइक क्षमता को बढ़ाएगा और उसकी रणनीतिक बढ़त को बनाए रखेगा।
ट्रंप की चुनौतियां और वैश्विक असर
हालांकि इस Golden Dome प्रोजेक्ट की लागत भारी है और तकनीकी चुनौतियां भी कम नहीं, लेकिन ट्रंप ने पहले ही 25 अरब डॉलर स्वीकृत कर दिए हैं। अगर यह सिस्टम सफल होता है, तो रूस-चीन जैसे देशों में भी डिफेंस सिस्टम अपग्रेड की होड़ शुरू हो सकती है।
स्पेस फोर्स के जनरल माइकल गुटेलिन को इसकी जिम्मेदारी सौंपी गई है। यह भी संभव है कि कनाडा इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बने और पूरा नॉर्थ अमेरिका इस कवच के तहत आ जाए। Golden Dome एक सैन्य टेक्नोलॉजी की क्रांति है, जो भविष्य की लड़ाइयों की दिशा तय करेगा। यह अमेरिका को न सिर्फ मिसाइल हमलों से बचाएगा बल्कि वैश्विक हथियार दौड़ में एक नया अध्याय भी लिखेगा। अब देखना ये है कि ट्रंप इसे 2029 तक कितना सफल बनाते हैं – लेकिन इतना तय है कि यह सिस्टम आने वाले दशकों में युद्ध की परिभाषा बदल देगा।