Kashi Metro : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संसदीय क्षेत्र काशी में जहां एक ओर रोपवे परियोजना तेजी से आगे बढ़ रही है, वहीं अब मेट्रो ट्रेन चलाने की योजना पर भी दोबारा गंभीरता से विचार शुरू हो गया है। इस बार ध्यान पुराने शहरी केंद्रों की बजाय नवविकसित और तेजी से फैलते इलाकों की ओर केंद्रित किया गया है। नई कार्ययोजना के तहत मेट्रो रूट रिंग रोड, राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारे और उनसे जुड़े शहर को जोड़ने वाले मार्गों पर आधारित होगा।
जिलाधिकारी सत्येंद्र कुमार ने 2016 में तैयार की गई मेट्रो की व्यवहार्यता रिपोर्ट (फीजिबिलिटी प्लान) मंगाई है, साथ ही समग्र गतिशीलता योजना (कॉम्प्रिहेंसिव मोबिलिटी प्लान) और विकल्प विश्लेषण रिपोर्ट की भी गहराई से समीक्षा की जा रही है। डीएम का कहना है कि शहर के निरंतर फैलाव और रिंग रोड के पूरा संचालन में आने के बाद नगरीय क्षेत्रों में तेजी से जनसंख्या वृद्धि देखने को मिलेगी।
प्रयागराज हाईवे के आसपास हो रही बसावट
वाराणसी का विस्तार अब एक ओर बाबतपुर एयरपोर्ट की दिशा में हो रहा है, तो दूसरी ओर मुगलसराय और वाराणसी-प्रयागराज हाईवे के आसपास के क्षेत्रों में भी तेजी से बसावट हो रही है। अगले पांच वर्षों में इन इलाकों में घनी आबादी हो जाने की संभावना है। ऐसे में यदि अभी से ट्रैफिक और जन परिवहन को लेकर ठोस योजना नहीं बनाई गई, तो बाद में परियोजनाओं को लागू करना चुनौतीपूर्ण हो सकता है। इसी कारण नए प्रस्ताव में शहर के बाहरी क्षेत्रों में मेट्रो के संचालन पर ज़ोर दिया जा रहा है। पहले से तैयार रिपोर्टों और योजनाओं की फिर से समीक्षा की जा रही है और इन्हें अद्यतन कर शासन को भेजने की तैयारी है।
दो कॉरिडोर किए गए प्रस्तावित
गौरतलब है कि 2016 में तत्कालीन सरकार ने वाराणसी में मेट्रो परियोजना की संभावनाओं की तलाश शुरू की थी। पांच वर्षों में तैयार फीजिबिलिटी रिपोर्ट में दो कॉरिडोर प्रस्तावित किए गए थे। पहला कॉरिडोर भेल (तरना, शिवपुर) से बीएचयू तक 19.35 किमी लंबा था, जबकि दूसरा कॉरिडोर बेनियाबाग से सारनाथ तक 9.885 किमी का प्रस्तावित हुआ था। कुल 26 स्टेशनों की योजना बनाई गई थी, जिनमें 20 भूमिगत और 6 एलिवेटेड स्टेशन शामिल थे।
‘मेट्रो मैन’ ई. श्रीधरन ने भी वाराणसी आकर इस योजना का स्थल निरीक्षण किया था। हालांकि, 2021 में सीवरेज, पेयजल और अन्य यूटिलिटी लाइनों की शिफ्टिंग में आने वाली अड़चनों की वजह से यह परियोजना ठंडे बस्ते में चली गई थी। लेकिन अब नए प्रस्ताव में माना जा रहा है कि बाहरी क्षेत्रों में ऐसी समस्याएं नहीं आएंगी, जिससे मेट्रो परियोजना को सफलतापूर्वक लागू किया जा सकेगा।