भोपाल ऑनलाइन डेस्क। देश ही नहीं बल्कि विदेशों में महादेव के ऐतिहासिक और प्राचीन मंदिर हैं, जहां हरदिन लाखों भक्त जाकर पूजा-अर्चना करने के साथ ही मन्नत मांगते हैं। एक ऐसा ही मंदिर एमपी के खरगोन में है। जिसे श्री सिद्धनाथ महादेव मंदिर के नाम से जाना जाता है। इस मंदिर के स्थापना की कहानी जितनी रोचक है, उससे कहीं ज्यादा प्रसिद्ध यहां होने वाली विचित्र घटनाएं हैं। जिनके बारे में जानकर हर कोई दंग रह जाता है। मंदिर के पुजारियों का दावा है कि ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग की तरह इस मंदिर में भी शिव-पार्वती रोजाना चौसर खेलने आते हैं। रात को शयन के समय यहां बकायदा चौसर बिछाई जाती है।
श्री सिद्धनाथ महादेव को खरगौन शहर का मुखिया कहा जाता है। मंदिर से हर साल भादो वदी दूज पर शिवडोला (शाही सवारी) निकाली जाती है। पिछले 55 सालों से, खरगोन में निकलने वाले इस शिवडोले को मध्यप्रदेश के सबसे बड़े शिवडोलों में गिना जाता है। इस आयोजन में शामिल होने और बाबा का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए लाखों भक्त मध्यप्रदेश, गुजरात, महाराष्ट्र, राजस्थान, पंजाब, छत्तीसगढ़ समेत अन्य कई राज्यों से आते हैं। मंदिर के पुजारियां का दावा है कि यहां हरदिन रात को भगवान शिव और माता पार्वती आती हैं और चौसर खेलती हैं। मंदिर में एक सांप की समाधि बनी हुई है और उसी में शिवलिंग विराजमान हैं।
मंदिर के पुजारी गुलाबचंद भावसार ने बताया कि 372 साल पहले, उनके पूर्वज प्रथव राजवीर और जानकी बाई ने 4 पुत्रों को जन्म दिया था। इनमें से 3 मनुष्य योनि में और एक नाग योनि में पैदा हुए। उनमें से वह लड़का जो नाग योनि में जन्मा, उसका नाम सिद्धू रखा गया। उस समय, परिवार में संपत्ति का विभाजन हुआ तो नाग स्वरूप सिद्धू को भी उस संपत्ति का हिस्सा मिला। मरने के बाद, सिद्धू के हिस्से में आई संपत्ति पर एक डेरा बनाया गया और वही उनकी समाधि स्थल बन गया। बाद में, इसी समाधि के ऊपर एक शिवलिंग की स्थापना की गई। इसी कारण, यह मंदिर सिद्धनाथ महादेव के नाम से प्रसिद्ध है। इस बारिश के आने वाले भक्तों को यहां पर बाबा ने कई बार दर्शन दिए हैं।
मंदिर के पुजारी गुलाबचंद भावसार बताते हैं कि मंदिर के गर्भगृह के गेट को बंद करते समय, यहां रोज़ाना चौसर बिछाई जाती है और भोग रखा जाता है। उनका ऐसा दावा है कि सुबह पट खुलने पर चौसर बिखरी हुई मिलती है। भोग में रखे गए आहार पदार्थों का कोई बचा नहीं रहता। पुजारी का दावा है ं कि रात्रि में भगवान भोले बाबा और माता गौरा यहां आकर चौसर खेलते है। पुजारी ने यह भी दावा किया कि एक बार जब सवेरे मंदिर के पट खोले गए तो उनकी पत्नी को गर्भगृह में एक विशाल सांप दिखाई दिया, जो उसी जगह पर फन फैलाकर बैठा था। लेकिन, फिर अचानक वह कहीं अदृश्य हो गया। पुजारी ने बताया कि उन्होंन कईबार सर्पदेव के दर्शन किए हैं। यहां आने वाले भक्तों की हर मनोकामना भगवान शिव पूरी करते हैं।
श्रद्धालु महेंद्र भावसार ने बताया, बचपन से ही उनकी आस्था इस मंदिर के प्रति रही है। विगत 25 साल से नियमित रूप से रात्रि कालीन आरती में सम्मिलित होते हैं। भक्त अंजनी कुमार ने भी अनुभव किया कि यहां भगवान चौसर खेलने आते हैं। वह बताते हैं कि सुबह जब मंदिर के पट खुलते हैं तब पत्नी सहित दर्शन के लिए आते हैं। देखते हैं कि रात को जब चौसर बिछाई जाती है, सुबह वैसे नहीं मिलती है। चौसर बिखरी नजर आती है। जबकि, मंदिर के पट बंद होते हैं। इसके अलावा भी यहां कहीं अन्य चमत्कार श्रद्धालुओं ने अभाव किए हैं। शायद इसी वजह से इस मंदिर के प्रति लोगों की बड़ी आस्था है। भक्तों का कहना है कि रात को मंदिर से आवाजें आज भी सुनाई देती हैं। कई साइंटिस्ट आए पर आवाजें कहां से आती हैं, इस रहस्य को नहीं खोज पाए।