नई दिल्ली ऑनलाइन डेस्क। Israel Strike on Iran इजरायल ने शुक्रवार सुबह ऑपरेशन राइजिंग लायन लॉन्च करते हुए बम, मिसाइलों, ड्रोन और फाइटर जेट से ईरान के परमाणु और सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया। इस ऑपरेशन में ईरान के टॉप सैन्य कमांडर समेत बड़े परमाणु वैज्ञानिक मारे गए। इजरायल की ओर से इस ऑपरेशन के लिए अपनी एयरफोर्स की पीठ थपथपाई जा रही है। लेकिन इस पूरे ऑपरेशन में मोसाद ने बेहद खास भूमिका निभाई है। मोसाद ने ही अपनी एयरफोर्स का रास्ता बनाने के लिए ईरानी मिसाइल क्षमताओं को कमजोर किया और हवाई रक्षा प्रणालियों को बेअसर करने का काम किया। इसके लिए मोसाद ने तीन चरणों में ऑपरेशन किया।
इजरायल ने ईरान की राजधानी तेहरान में शुक्रवार की सुबह से ही बमबारी शुरू कर दी। इस हमले आईडीएफ ने ईरान के 2 न्यूक्लियर ठिकानों को निशाना बनाया। साथ ही तेहरान के आस-पास मौजूद 6 सैन्य ठिकानों पर भी हमला किया। ईरान की सरकारी टीवी की रिपोर्ट के मुताबिक इस हमले में ईरान को भारी नुकसान का सामना करना पड़ा। इस अटैक में ईरान के कई टॉप कमांडर समेत वैज्ञानिकों की मौत हो गई। मरने वालों में ईरान एयर एंड एयरोस्पेस फोर्स कमांडर अमीर अली हाजीज़ादेह, रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के प्रमुख हुसैन सलामी, ईरानी रक्षा निर्माण प्रमुख खातम अल अंबिया के सरदार रशीद, ईरान के चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद बाघेरी और परमाणु वैज्ञानिक डॉ. फेरेयदून अब्बासी और डॉ. मोहम्मद तेहरांची शामिल है।
हमले के बाद इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने बयान जारी कर कहा, हमने ऑपरेशन राइजिंग लॉयन शुरू किया है, जो इजरायल के अस्तित्व के लिए ईरानी खतरे को समाप्त करने तक चलेगा। यह एक लक्षित अभियान है जो ईरान के परमाणु और सैन्य ढांचे को नष्ट करेगा। इज़रायली सैन्य सूत्रों के अनुसार आईडीएमफ ने 2 परमाणु और 6 सैन्य ठिकानों पर बमबारी की है। ईरान के पास 15 परमाणु बम बनाने लायक यूरेनियम स्टॉक मौजूद है। वहीं हमले के कुछ घंटों के भीतर ही इजरायल सरकार ने राष्ट्रीय आपातकाल घोषित कर दिया है। इस बीच ईरान ने इजरायल पर मिसाइल से हमला किया है। इसको देखते हुए इजरायल ने पहले से ही सारे प्रमुख नेता और अधिकारियों को सुरक्षित स्थानों पर भेज दिया है। ईरान ने 800 द्रोनों से इजरायल पर अटैक किया।
जानकार बताते हैं कि आईडीएफ ने ईरान पर जो हमले किए, उसका ब्लूप्रिंट मोसाद ने तैयार किया था। मोसाद ने ईरान के अंदर ही विस्फोटक ड्रोन बेस स्थापित किए और सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों को निशाना बनाया। मोसाद ने गुरुवार रात को इन ड्रोन को एक्टिव किया और ईरान के सैन्य ठिकानों में तबाही मचा दी। रिपोर्ट के मुताबिक, इजरायल के सैन्य और खुफिया एजेंसियों ने मिलकर ईरान के खिलाफ निर्णायक हमला करने के लिए विस्तृत खुफिया जानकारी इकट्ठा की। इस तैयारी में ईरान के सुरक्षा प्रतिष्ठान और परमाणु कार्यक्रम के प्रमुख व्यक्तियों पर केंद्रित वर्षों की मेहनत और निगरानी शामिल थी। इनमें से कई को ऑपरेशन में निशाना बनाया गया और उनके घरों पर ही उनको मार दिया गया। मोसाद ने इस ऑपरेशन की नींव कई बरस पहले रख दी थी।
मोसाद के एजेंटों ने ये ऑपरेशन तीन चरणों में किया। पहले चरण में मोसाद कमांडो टीमों ने ईरान के सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल साइटों के पास खुले क्षेत्रों में ड्रोन प्रणालियों को तैनात किया। ये तब काम आए, जब इजरायल का व्यापक अभियान शुरू हुआ। इन प्रणालियों को इजरायली वायु सेना के हमलों के साथ तालमेल में सक्रिय किया गया। उन्होंने असाधारण सटीकता के साथ अपने लक्ष्यों को भेदने वाली मिसाइलें लॉन्च कीं। ऑपरेशन के दूसरे चरण में ईरान की हवाई सुरक्षा को बेअसर किया गया। मोसाद ने मोबाइल प्लेटफॉर्म पर लगे उन्नत हमलावर सिस्टम तैनात किए। इन इकाइयों ने सफलतापूर्वक ईरानी रक्षा प्रतिष्ठानों को खत्म कर दिया, जिससे इजरायली विमानों के लिए रास्ता खुल गया।
इसके बाद तीसरे चरण में मोसाद ने ईरान के भीतर विस्फोटक ड्रोन सुविधाओं में घुसपैठ करने के लिए पहले से स्थापित नेटवर्क का लाभ उठाया। इजरायल ने जब ऑपरेशन शुरू किया तो एस्फहाजाबाद बेस के पास सतह से सतह पर मार करने वाले मिसाइल लांचर को निशाना बनाया। इस साइट को इजराइल के लिए एक बड़ा खतरा माना गया था। इससे इजरायली लड़ाकू विमानों का रास्ता साफ हो गया और उन्होंने टारगेट को निशाना बनाया और ईरान को नुकसान किया। मोसाद के एजेंट ईरान में कई माह से थे। उन्होंने ही ईरान के बड़े सैन्य अफसरों की जानकारी मोसाद तक पहुंचाई। सूत्र बताते हैं कि ईरान का एक बड़ा नेता मोसाद से हाथ मिला चुका है। इसी लीडर ने अमेरिका और इजरायल को पुख्ता जानकारी दी। सूत्र बताते हैं कि ये नेता खामेनेई को सत्ता से बाहर करना चहता है।
ईरान के एटमी कार्यक्रम पर नजर रखने के लिए मोसाद ने तेहरान के नेता को पहले अपने साथ मिलाया। अमेरिका के बड़े अफसरों से इसकी बात करवाई। ये तय हुआ कि ईरान से खामेनेई की हटाया जाएगा और तेहरान की कमान इसी नेता को दी जाएगी। ईरान का ये विभीषण मोसाद के साथ मिल गया। फिर क्या था मोसाद ने 1 साल पहले ही अपने टारगेट चुनने शुरू कर दिए थे। अपने टारगेट के तहत मोसाद ने अपनी जासूसों को काम सौंपा था कि वह ईरान के प्रमुख फौजी जनरल समेत बड़े अधिकारियों और उन वैज्ञानिकों के ठिकाने का सटीक पता लगाए जहां उनकी लोकेशन थी। ये सारे जासूस ईरानी नेता ने ही मोसाद को मुहैया कराए थे। जासूसों की पूरी टीम पिछले 1 साल से लगातार ईरान घूम रही थी। और आखिर में आईडीएफ ने सटीक जानकारी मिलते ही ईरान के बड़े सैन्य अफसर-वैज्ञानिकों को मौत के घाट उतार दिया।
मोसाद की यह कार्रवाई यह भी संकेत देती है कि इजरायल फिलहाल पारंपरिक युद्ध की बजाय सटीक और गहरे रणनीतिक हमलों की नीति पर चल रहा है। पिछले कुछ सालों में मोसाद ने ईरान में कई खतरनाक ऑपरेशंस को अंजाम दिए हैं। आज शुरू किए गये ‘राइजिंग लॉयन’ ऑपरेशन से पहले भी मोसाद अप्रैल 2024 और अक्टूबर 2024 में हुए इजरायली हमलों में शामिल रहा है। मोसाद की सबसे बड़े हमलों में साल 2018 में ईरान के न्यूक्लियर आर्काइव्स की चोरी शामिल है। इस ऑपरेशन में मोसाद के एजेंटों ने तेहरान से महत्वपूर्ण परमाणु दस्तावेज चोरी कर लिए थे, जिनका इस्तेमाल इजरायल ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर ईरान के परमाणु कार्यक्रम की पोल खोलने में किया था।
ईरान ने मोसाद पर जुलाई 2020 और अप्रैल 2021 में नतांज में दो अलग-अलग परमाणु स्थलों को नष्ट करने के साथ-साथ जून 2021 में करज में परमाणु स्थलों को नष्ट करने और नवंबर 2020 में अपने परमाणु प्रमुख मोहसेन फखरीजादेह की हत्या करने का भी आरोप लगाया है।इस घटनाक्रम ने अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी को भी ईरान की संभावित परमाणु उल्लंघनों पर कड़ा रुख अपनाने के लिए बाध्य किया था। पूर्व इजरायली प्रधानमंत्री नफ्ताली बेनेट ने वाल स्ट्रीट जर्नल के एक लेख में पुष्टि की थी, कि फरवरी 2022 में मोसाद ने ईरान के भीतर एक गुप्त मिशन में 100 से ज्यादा ड्रोन नष्ट कर दिए थे। यह कार्रवाई ईरान के ड्रोन कार्यक्रम को बड़ा झटका देने के लिए की गई थी, जिससे उसकी क्षेत्रीय आक्रामक क्षमता प्रभावित हुई थी।