UP Electricity : उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में संभावित बढ़ोतरी को लेकर उपभोक्ताओं और कर्मचारियों के बीच असंतोष लगातार बढ़ता जा रहा है। पावर कॉरपोरेशन द्वारा दरों में इजाफे और स्लैब में बदलाव के प्रस्ताव के बाद राज्य विद्युत नियामक आयोग ने सख्ती दिखाते हुए जवाब-तलब किया है।
मंगलवार को आयोग ने विशेष रूप से दो घरेलू स्लैब्स को मिलाने, फिक्स चार्ज और एनर्जी चार्ज में भारी बढ़ोतरी के प्रस्ताव पर बिजली कंपनियों से स्पष्ट कारण मांगा। इसके अलावा, आयोग ने कंपनियों से श्रेणीवार राजस्व (Revenue by Category) का विस्तृत विवरण भी प्रस्तुत करने को कहा है। यह निर्देश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा द्वारा दायर याचिका के बाद जारी किए गए हैं।
क्या है प्रस्ताव?
बिजली की नई दरें तय करने के लिए पावर कॉरपोरेशन ने एआरआर (Annual Revenue Requirement) का प्रस्ताव आयोग को सौंपा है, जिसे सुनवाई के लिए स्वीकृत कर लिया गया है। प्रस्ताव के मुताबिक, शहरी क्षेत्र में घरेलू उपभोक्ताओं के लिए बिजली की दरें वर्तमान 6.50 रुपये प्रति यूनिट से बढ़ाकर 9 रुपये प्रति यूनिट करने की योजना है। लेकिन यदि इसमें फिक्स चार्ज और बिजली शुल्क (Electricity Duty) जोड़ दिया जाए तो उपभोक्ताओं को वास्तविक दरें 9 से 13 रुपये प्रति यूनिट तक चुकानी पड़ सकती हैं।
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स्लैब में हुआ बड़ा बदलाव
पहले घरेलू उपभोक्ताओं के लिए तीन स्लैब थे – 101-150 यूनिट, 151-300 यूनिट, और 300 यूनिट से अधिक। अब कॉरपोरेशन ने इन तीन स्लैब को घटाकर सिर्फ दो कर दिया है – 101-300 यूनिट और 300 यूनिट से ज्यादा। इस बदलाव को लेकर भी आयोग ने सवाल उठाया है और कंपनियों से जवाब मांगा है कि ऐसा निर्णय क्यों लिया गया।
निजीकरण के विरोध में बिजली कर्मी भी नाराज़
बिजली दरों में इजाफे के मुद्दे ने उपभोक्ताओं के साथ-साथ कर्मचारियों को भी आंदोलित कर दिया है। कर्मचारी संगठनों ने पावर सेक्टर के निजीकरण के प्रयासों का भी खुलकर विरोध किया है। लगातार धरना-प्रदर्शन और विरोध सभाएं की जा रही हैं, जिससे मामला और ज्यादा गरमाता जा रहा है।