Soham Parekh AI job scam controversy : डिजिटल दुनिया में अब घर बैठे काम करना बहुत आसान हो गया है। लोग विदेश की कंपनियों के लिए भी बिना ऑफिस जाए काम कर पा रहे हैं। इसी का फायदा उठाकर कुछ लोग ऐसे काम कर रहे हैं, जो पहले मुमकिन नहीं थे। ऐसा ही एक मामला सामने आया है सोहम पारेख का, जो एक भारतीय इंजीनियर हैं। उन्होंने एक साथ पांच अलग-अलग कंपनियों में काम करके सभी को हैरान कर दिया।
सोहम पारेख ने अमेरिका की पांच AI कंपनियों में एक साथ जॉब की और हर दिन करीब ढाई लाख रुपये कमा रहे थे। उन्होंने Playground AI, DynamoAI, Synthesia, Union AI और Alan AI जैसी कंपनियों में कंसल्टेंट और इंजीनियर के रूप में काम किया। खास बात ये थी कि उन्होंने सभी कंपनियों से ये बात छुपाई कि वह दूसरी जगहों पर भी नौकरी कर रहे हैं।
कैसे खुला ये राज?
सोशल मीडिया पर इस मामले को ‘SohamGate’ कहा जा रहा है। Playground AI के को-फाउंडर सुहेल दोशी ने सबसे पहले पारेख पर आरोप लगाया कि वह न तो समय पर अपना काम कर रहे थे और न ही जरूरी कॉल्स में ठीक से शामिल हो रहे थे। इस वजह से कुछ ही दिनों में उनकी पोल खुल गई। इसके बाद सोशल मीडिया पर उनके फर्जी रिज्यूमे और चैट्स वायरल होने लगे। सोहम के एक कथित मैसेज में लिखा था, “झूठ बोलो, धोखा दो, चोरी करो। AI का इस्तेमाल करो। इंटरव्यू को खेल की तरह लो।”
नकली डिग्री और झूठे दावे
बताया जा रहा है कि सोहम पारेख के रेज्यूमे में करीब 90% बातें झूठी थीं। उन्होंने खुद को मुंबई यूनिवर्सिटी से ग्रेजुएट और जॉर्जिया टेक से मास्टर्स पास बताया था। हालांकि, अब उनकी डिग्री और काम के दावों की जांच हो रही है। एक Reddit पोस्ट के मुताबिक, उन्होंने सालभर में करीब 6.85 करोड़ रुपये कमा लिए थे।
AI और जुगाड़ से बचाया समय
सोहम ने एक साथ कई नौकरियों को मैनेज करने के लिए कई ट्रिक्स अपनाईं। वह कई बार कंप्यूटर बंद रखते थे और वर्क कैलेंडर में फालतू मीटिंग्स दिखा देते थे। उन्होंने काम जल्दी निपटाने के लिए AI का इस्तेमाल किया और ‘माउस जगलर’ नाम का टूल यूज किया, जिससे उनका कंप्यूटर एक्टिव दिखे। वर्चुअल मीटिंग्स में वो कैमरा बंद रखते और बहुत कम बोलते थे।
लोग क्या कह रहे हैं?
Playground AI के को-फाउंडर ने उन्हें ठग कहा, लेकिन सोशल मीडिया पर कुछ लोग उन्हें चालाक भी मान रहे हैं। X (पहले Twitter) पर #SohamGate ट्रेंड कर रहा है और इस पर खूब मीम्स बन रहे हैं।
आखिर में सवाल यही है कि…
अब कंपनियों के सामने बड़ी चुनौती है कि कैसे पता लगाया जाए कि कौन सच में मेहनत कर रहा है और कौन सिर्फ AI और जुगाड़ से सैलरी ले रहा है।