Dalai Lama successor controversy : तिब्बत के मुद्दे पर भारत के सांसदों का एक समूह चीन के दावे को सिरे से खारिज करता नजर आया है। सर्वदलीय भारतीय संसदीय मंच के वरिष्ठ सदस्य और अरुणाचल पूर्व से भाजपा सांसद तापिर गाओ ने सोमवार को कहा कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को चुनने का अधिकार पूरी तरह से तिब्बती बौद्ध परंपरा का हिस्सा है। इसमें चीन की कोई भूमिका नहीं है और इस बात को पूरी दुनिया को जानना चाहिए।
चीन के दावे को किया खारिज
गौरतलब है कि चीन लंबे समय से यह कहता रहा है कि दलाई लामा के उत्तराधिकारी को मान्यता देने का अधिकार केवल उसके पास है। लेकिन मंच का कहना है कि दलाई लामा की संस्था खुद अपने परंपरागत धार्मिक और सांस्कृतिक नियमों के अनुसार उत्तराधिकारी तय करती है। इस मामले में किसी बाहरी सरकार या सत्ता का कोई दखल नहीं होना चाहिए।
भारत रत्न देने की मांग दोहराई
तापिर गाओ ने बताया कि मंच ने पहले भी कई बार दलाई लामा को भारत रत्न देने की मांग की है। उन्होंने कहा कि दलाई लामा ने पूरी दुनिया में शांति, करुणा, मानवता और भाईचारे का संदेश फैलाया है। ऐसे में उन्हें भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान मिलना चाहिए। उन्होंने संसद में भी इस मुद्दे को उठाया है।
कई दलों के सांसद मंच का हिस्सा
सर्वदलीय मंच में भाजपा, कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों के सांसद शामिल हैं। अभी तक 80 से ज्यादा सांसद दलाई लामा को भारत रत्न देने के समर्थन में हस्ताक्षर कर चुके हैं। मंच की पिछली बैठक इस साल मार्च में हुई थी और 6 जुलाई को दलाई लामा का 90वां जन्मदिन भी पूरे सम्मान के साथ मनाया गया।
गादेन फोडरंग ट्रस्ट ही करेगा उत्तराधिकारी तय
दलाई लामा ने पहले ही साफ कर दिया है कि उनके उत्तराधिकारी का फैसला गादेन फोडरंग ट्रस्ट करेगा। इस ट्रस्ट की स्थापना 2015 में की गई थी और भविष्य में दलाई लामा के पुनर्जन्म की मान्यता देने का अधिकार इसी संस्था के पास रहेगा। दलाई लामा के मुताबिक, यह पूरी प्रक्रिया तिब्बती बौद्ध परंपरा के अनुरूप होगी।
चीन के दावे को लेकर बढ़ी वैश्विक चिंता
चीन लगातार दलाई लामा के उत्तराधिकारी को लेकर दखल देने की कोशिश करता रहा है, जिससे तिब्बती समुदाय और दुनिया भर के मानवाधिकार संगठनों में चिंता है। भारत के सर्वदलीय मंच का कहना है कि दुनिया को तिब्बतियों के इस अधिकार को मान्यता देनी चाहिए और चीन के अनुचित दावों का विरोध करना चाहिए।