CM Yogi Adityanath Gorakhpur visit: गोरखपुर दौरे पर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने एक ओर जहां रिकॉर्ड 37 करोड़ पौधे लगाकर पर्यावरण संरक्षण का संदेश दिया, वहीं दूसरी ओर समाजवादी पार्टी पर जोरदार हमला भी बोला। उन्होंने सपा शासनकाल के भ्रष्टाचार के मामलों का हवाला देते हुए कहा कि जब लूट और घोटालों की परतें खुलने लगी हैं, तब ‘बबुआ’ बौखलाए हुए हैं। इसके साथ ही गुरु पूर्णिमा के अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने गोरक्षपीठाधीश्वर की भूमिका निभाते हुए गुरु-शिष्य परंपरा का निर्वहन किया। गोरखनाथ मंदिर में चल रही श्रीराम कथा में शामिल होकर आध्यात्मिक माहौल को और सशक्त किया। इस दौरे ने उन्हें एक साथ राजधर्म, पर्यावरण संरक्षण और आध्यात्मिक परंपरा को एक मंच पर लाकर नई पहचान दी।
पौधारोपण में रचा गया इतिहास
CM Yogi आदित्यनाथ ने बुधवार को एक दिन में 37.21 करोड़ पौधारोपण के अभियान में भाग लेकर इतिहास रच दिया। इस अवसर पर वह स्वयं तीन स्थलों पर पहुंचे और पौधे लगाए। प्रदेश भर में शाम 6 बजे तक लक्ष्य पूरा कर लिया गया। यह अब तक का सबसे बड़ा एकदिनी पौधारोपण अभियान रहा, जो रिकॉर्ड में दर्ज हो गया है। उन्होंने इस सफलता के लिए प्रदेशवासियों को धन्यवाद दिया और इसे पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
सपा पर तीखा हमला, बिना नाम लिए ‘बबुआ’ पर निशाना
पौधारोपण कार्यक्रम के बाद सीएम योगी ने विपक्ष, खासकर समाजवादी पार्टी को आड़े हाथों लिया। उन्होंने सपा सरकार के समय पूर्वांचल एक्सप्रेसवे टेंडर और जेपीएनआईसी प्रोजेक्ट में हुई अनियमितताओं को उजागर करते हुए कहा कि लूट और भ्रष्टाचार सामने आते ही ‘बबुआ’ बौखला गए हैं। बिना नाम लिए सीधा निशाना साधते हुए कहा कि अब इनके मनमाफिक कुछ भी नहीं हो पा रहा है, इसलिए ये बेचैनी में बयानबाज़ी कर रहे हैं।
गुरु पूर्णिमा पर निभाई दोहरी भूमिका
गुरुवार को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर योगी आदित्यनाथ ने अपनी दूसरी भूमिका, गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर के रूप में निभाई। सुबह उन्होंने अपने गुरु महंत अवैद्यनाथ को नमन कर आशीर्वाद लिया, इसके बाद स्वयं गुरु बनकर अपने शिष्यों को तिलक कर आशीर्वाद प्रदान किया। गोरक्षपीठ में वर्षों से चलती आ रही गुरु-शिष्य परंपरा को उन्होंने भावपूर्ण ढंग से निभाया।
गोरखनाथ मंदिर में श्रीराम कथा का श्रवण
CM Yogi ने गोरखनाथ मंदिर में चल रही श्रीराम कथा में भी भाग लिया। कथा श्रवण के दौरान वे भावुक दिखे और श्रद्धालुओं के साथ ध्यानमग्न होकर कथा का रसपान किया। इस आयोजन में उन्होंने धार्मिक परंपराओं और जनभावनाओं को आत्मसात करते हुए एक आध्यात्मिक संदेश भी दिया कि राजधर्म और धर्म दोनों का संतुलन ही एक आदर्श शासक की पहचान है।