लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। पूर्वांचल का एक जिला है गाजीपुर। कहा जाता है कि यहां अफीम, अपराधी और अफसर साथ-साथ पैदा होते हैं। यह भूमिहार बहुल इलाका है, कुछ लोग इसे ’भूमिहारों का वेटिकन’ भी कहते हैं। इसी धरती से मुख्तार अंसारी निकलता है, जो जरायम की दुनिया का ऐसा शहंशाह बनता है, जिसकी मूंछ देखकर अच्छे-अच्छों की पैंट गीली हो जाया करती थी। अब मुख्तार अंसारी इस दुनिया में नहीं रहा, लेकिन उपचुनाव की आहट मिलते ही गाजीपुर से लेकर मऊ की गलियों में डॉन की चर्चा जोर-शोर से सुनाई देने लगी है। अखिलेश यादव भी एक्टिव हैं। अफजाल अंसारी भी तानाबाना बुन रहे हैं। ‘बैटर ऑफ मऊ’ पर कब्जे को लेकर अंसारी परिवार पूरी ताकत के साथ सपा प्रमुख के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चल रहा है। फिलहाल अंसारी परिवार की नजर कोर्ट पर टिकी है। कोर्ट के फैसले के बाद अंसारी परिवार अपने पत्ते खोलेगा।
दरअसल, मुख्तार अंसारी के बेटे अब्बास अंसारी को कोर्ट ने सजा सुनाई है, जिसके कारण उनकी विधायकी चली गई। ऐसे में अब मऊ में उपचुनाव होने हैं। मुख्तार के अभेद किले पर कब्जे को बीजेपी एक्टिव है तो योगी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर भी लाव-लश्कर के साथ सड़क पर उतर चुके हैं। ऐसे चर्चा है कि ओमप्रकाश राजभर मऊ सीट से मुख्तार अंसारी के जानी दुश्मन बृजेश सिंह को टिकट देकर चुनाव के मैदान में उतार सकते हैं। वहीं सपा भी हर गतविधि पर नजर बनाए हुए है। कुछ दिन पहले मुख्तार अंसारी के घर बड़ा फाटक में अंसारी परिवार की एक बैठक हुई थी। बंद कमरे में अंसारी परिवार ने बड़ा फैसला किया है। अंसारी परिवार की नजर कोर्ट में है। अगर कोर्ट से अब्बास को राहत मिलती है तो मऊ में उपचुनाव नहीं होंगे। यदि कोर्ट सजा को बरकरार रखता है तो उपचुनाव में अंसारी परिवार नुसरत को सियासी अखाड़े में उतार सकता है।
अंसारी परिवार से जुड़े एक सूत्र ने बताया कि अफजाल अंसारी अभी उमर को चुनावी राजनीति में नहीं उतारना चाहते। अफजाल 2027 में उमर अंसारी की लॉचिंग का प्लान बनाया हुआ है। सूत्र बताते हैं कि अफलाल चाहते हैं कि पहले अब्बास के लिए कोर्ट में पैरवी की जाए। कोर्ट के जरिए अब्बास की सजा पर रोक लगवाई जाए। इसके लिए उन्होंने अखिलेश यादव से भी संपर्क किया है। अगर सजा बरकरार रहती है तो अफजाल मऊ सीट से नुसरत को चुनाव में उतार सकते हैं। नुसरत ने 2024 के लोकसभा चुनाव में पिता के लिए प्रचार किया था। सूत्र बताते हैं कि अखिलेश यादव भी चाहते हैं कि मऊ से उमर के बजाए नुसरत चुनाव लड़ें। क्योंकि उमर पर कई मुकदमे हैं। साथ ही सपा चाहती है कि 2027 में उमर अपनी सियासी पारी का आगाज करें। उमर भी अभी चुनाव नहीं लड़ना चाहते। सूत्र बताते हैं कि वह भाई और मां पर दर्ज मुकदमो में अभी पैरवी करने में व्यस्थ हैं। बता दें, उमर अंसारी की मां फरार चल रही हैं और उन पर पुलिस की तरफ से इनाम भी घोषित किया गया है।
उमर के चुनाव नहीं लड़ने पर नुसरत को सपा सियासी अखाड़े में उतार सकती है। नुसरत अफजाल अंसारी की बड़ी बेटी हैं। नुसरत ने रूरल डेवेलपमेंट में पीजी की पढ़ाई की है। नुसरत तीन बहनों में सबसे बड़ी हैं। उनसे छोटी दो बहनें नूरिया और मारिया भी हैं। नुसरत ने स्नातक की पढ़ाई दिल्ली विश्वविधालय से किया है। जबिक टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज,सोलापुर, महाराष्ट्र से नुसरत ने रुरल डेवलपमेंट में पीजी की पढ़ाई की है। नुसरत मेधावी छात्रा रही हैं और पीजी के बाद नुसरत प्रशासनिक सेवा की तैयारी कर रहीं थीं। गाजीपुर की राजनीतिक स्थितियां बदलीं और नुसरत को 2024 के लोकसभा चुनाव प्रचार में उतरना पड़ा और ऐसा माना जा रहा की नुसरत के पिता अफजाल अंसारी उनको अपनी राजनीतिक विरासत सौंपने का मन चुके हैं। नुसरत ने चुनाव प्रचार के दौरान एक शिव मंदिर और पवहारी बाबा आश्रम भी गयी थीं, जहां स्वामी विवेकानंद तीन महीन रूके थे।
दरअसल, मुख्तार अंसारी के बड़े बेटे अब्बास को कोर्ट से दो साल की सजा हो गई है। जिसके बाद विधानसभा की उनकी सदस्यता भी चली गई है। यूपी के स्पीकर ने चुनाव आयोग को मऊ सीट पर चुनाव कराने को कहा है। जाहिर हैं ऐसे में मऊ विधानसभा सीट पर उप चुनाव होंगे। मुख्तार अंसारी यहां से पांच बार विधायक रहे। जेल में रह कर भी वे चुनाव जीतते रहे थे। पर पिछले विधानसभा चुनाव में उन्होंने ये सीट अपने बेटे अब्बास के लिए छोड़ दी। इनसब के बीच समाजवादी पार्टी के सांसद अफजाल अंसारी ने कहा कि हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। अब्बास अंसारी को अदालत से इंसाफ मिलेगा। मऊ के एमपी एमएलए कोर्ट से अब्बास अंसारी को सजा हुई है। इस फैसले के खिलाफ वो सेशन कोर्ट गए हैं। इस केस की सुनवाई पूरी हो चुकी है। अफजाल ने कहा कि उन्हें भरोसा है कि अब्बास अदालत से बरी हो जायेंगे।
मुख्तार अंसारी से बड़े बेटे अब्बास पहली बार साल 2022 में मऊ सदर से विधायक बने थे। वो सुहेलदेव समाज पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़े थे। उस समय ओम प्रकाश राजभर की पार्टी का समाजवादी पार्टी से गठबंधन था। लेकिन बाद में राजभर बीजेपी के साथ हो गए। वहीं अब्बास समाजवादी पार्टी के साथ हो लिए। अंसारी परिवार से अफजाल अंसारी सांसद हैं जबकि मन्नू अंसारी समाजवादी पार्टी से विधायक हैं। मऊ को मुख्तार का गढ़ कहा जाता है। यहां करीब डेढ़ लाख मुस्लिम मतदाता हैं। वहीं 80 से अधिक दलित वोटर्स हैं। दलित और मुस्लिम वोटर्स पर मुख्तार अंसारी की अच्छी पकड़ रही है। यही वजह रही कि यहां से मुख्तार अंसारी कभी चुनाव नहीं हारा। इतना ही नहीं मुख्तार मऊ से निर्दलीय कैंडीडेट के तौर पर चुनाव जीता।