Pocket Money: आज के समय में बच्चों की परवरिश करना आसान काम नहीं है। माता-पिता को हर कदम पर नई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। इन्हीं में से एक सवाल यह भी होता है कि बच्चों को पॉकेट मनी यानी जेब खर्च देना चाहिए या नहीं, और अगर देना चाहिए तो कितनी और किस उम्र से शुरू करनी चाहिए। इसका कोई एक जैसा जवाब नहीं है, क्योंकि हर परिवार की स्थिति अलग होती है। फिर भी, कुछ बातें हैं जो सभी पेरेंट्स के लिए मददगार हो सकती हैं। पॉकेट मनी देने से बच्चे पैसे की अहमियत समझते हैं। उन्हें यह सीखने का मौका मिलता है कि पैसे को कैसे संभालना है, खर्च कहां और कितना करना है और कैसे बचत करनी है। इससे उनकी जिम्मेदारी की भावना भी बढ़ती है।
कितनी पॉकेट मनी देना सही है?
जेब खर्च की रकम बच्चे की उम्र, जरूरत और आपके परिवार की आर्थिक स्थिति के हिसाब से तय करनी चाहिए। सबसे पहले देखें कि बच्चा उस पैसे को कहां खर्च करता है – खाने-पीने की चीजों पर, स्कूल में जरूरत के सामान पर या किसी खेल-कूद से जुड़ी चीजों पर। अगर बच्चा पॉकेट मनी बढ़ाने की बात करता है तो उसकी जरूरत को ध्यान से समझें। बिना वजह अगर वह पैसे मांग रहा है, तो उसे प्यार से पैसे की कीमत और बचत करने का महत्व समझाएं।
किस उम्र से पॉकेट मनी देना शुरू करें?
पॉकेट मनी देने की कोई तय उम्र नहीं होती। जब बच्चा थोड़ा बड़ा हो जाए और चीजों की खरीद-फरोख्त तथा जोड़-घटाना सीख जाए, तब उसे पैसे देना शुरू किया जा सकता है। शुरुआत में थोड़ी-थोड़ी रकम दें और धीरे-धीरे उसे समझाएं कि पैसे को कैसे सही तरीके से खर्च किया जाता है। सबसे जरूरी बात यह है कि बच्चे को पैसे का सही इस्तेमाल करना सिखाएं। उसे समझाएं कि हर चीज पर पैसा खर्च करना जरूरी नहीं है और कुछ पैसे बचाना भी अच्छा होता है।
पॉकेट मनी से क्या सीखते हैं बच्चे?
खर्च करने और बचत करने में संतुलन बनाना
जरूरत और चाहत में फर्क करना
अपनी जिम्मेदारी खुद उठाना
गलत आदतों से बचना
लेकिन शुरूआत सोच-समझकर करनी चाहिए।