Archita Phukan deepfake: सोशल मीडिया इन्फ्लूएंसर अर्चिता फुकन को बदनाम करने के लिए उनके पूर्व प्रेमी प्रतीम बोरा ने AI तकनीक का इस्तेमाल करते हुए अश्लील फर्जी वीडियो और प्रोफाइल बनाई। पुलिस ने 12 जुलाई 2025 को आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। इस मामले ने तकनीक के खतरनाक इस्तेमाल और साइबर कानूनों की कमजोरियों पर नई बहस छेड़ दी है। मामले में 10 लाख रुपये की अवैध कमाई और मानसिक प्रताड़ना जैसे कई गंभीर पहलू सामने आए हैं, जिन पर पुलिस और समाज दोनों को विचार करना होगा।
फर्जी प्रोफाइल से शुरू हुआ सब कुछ
असम की फैशन और लाइफस्टाइल इन्फ्लूएंसर अर्चिता फुकन के नाम से एक फर्जी इंस्टाग्राम अकाउंट ‘Babydoll Archi’ पर बोल्ड तस्वीरें और वीडियो वायरल हुए। इन पोस्ट्स में उन्हें अमेरिकी एडल्ट स्टार केंद्रा लस्ट के साथ देखा गया, जिससे यह अफवाह फैली कि अर्चिता ने अश्लील फिल्म उद्योग में कदम रखा है। देखते ही देखते यह फर्जी कंटेंट इंटरनेट पर वायरल हो गया और “Archita Phukan viral video” जैसे कीवर्ड्स गूगल पर ट्रेंड करने लगे।
FIR के बाद हुई गिरफ्तारी
जब अर्चिता को इस फर्जी प्रोफाइल और अश्लील कंटेंट की जानकारी मिली, तो उन्होंने 12 जुलाई को डिब्रूगढ़ पुलिस स्टेशन में एफआईआर दर्ज करवाई। पुलिस ने तत्परता दिखाते हुए IP ऐड्रेस और तकनीकी साक्ष्यों की मदद से आरोपी प्रतीम बोरा को तिनसुकिया जिले से गिरफ्तार कर लिया। वह एक किराए के अपार्टमेंट में छिपा था और वहीं से यह फर्जीवाड़ा चला रहा था।
बोरा ने कबूल की साजिश
पुलिस पूछताछ में प्रतीम बोरा ने स्वीकार किया कि उसने Archita Phukan की पुरानी सोशल मीडिया पोस्ट से उनकी तस्वीरें उठाईं और AI टूल्स की मदद से डीपफेक वीडियो और मॉर्फ तस्वीरें बनाईं। उनका उद्देश्य था अर्चिता को बदनाम करना क्योंकि दोनों का रिश्ता टूट चुका था और वह प्रतिशोध लेना चाहता था। यही नहीं, बोरा ने इस अश्लील कंटेंट को बेचकर और प्रमोट करके करीब 10 लाख रुपये भी कमाए।
फुकन की चुप्पी टूटी
इंस्टाग्राम पर 9.7 लाख फॉलोअर्स वाली अर्चिता फुकन ने मामले पर बयान जारी करते हुए कहा, “मेरे साथ जो हुआ, वह बेहद अपमानजनक और दर्दनाक है। यह सारी तस्वीरें और वीडियो पूरी तरह फर्जी हैं। कृपया मेरी निजता का सम्मान करें और इस फर्जी कंटेंट को शेयर न करें।” उन्होंने डिब्रूगढ़ पुलिस की त्वरित कार्रवाई की सराहना भी की।
तकनीक बनाम नैतिकता
इस केस ने यह स्पष्ट कर दिया कि AI और डीपफेक टूल्स अगर गलत हाथों में पड़ जाएं, तो किसी की भी इमेज को मिनटों में तबाह किया जा सकता है। विशेषज्ञों ने चेताया है कि भारत में साइबर कानूनों को और अधिक सशक्त बनाने की जरूरत है, ताकि इस तरह के मामलों पर प्रभावी नियंत्रण हो सके।
पुलिस की अपील और आगे की कार्रवाई
डिब्रूगढ़ पुलिस ने बयान जारी कर कहा, “अर्चिता का किसी भी प्रकार के अश्लील कंटेंट से कोई लेना-देना नहीं है। जनता से अपील है कि ऐसे कंटेंट को न देखें, न शेयर करें, क्योंकि यह कानूनन अपराध है।” पुलिस ने आरोपी के पास से जब्त लैपटॉप और फोन को फोरेंसिक जांच के लिए भेज दिया है।
Archita Phukan का यह मामला सिर्फ एक व्यक्तिगत प्रतिशोध नहीं, बल्कि पूरे डिजिटल समाज के लिए एक चेतावनी है। AI तकनीक की शक्ति जितनी उपयोगी है, उतनी ही खतरनाक भी हो सकती है जब उसका इस्तेमाल गलत मकसद के लिए किया जाए। अब समय आ गया है कि कानून, समाज और तकनीक साथ मिलकर इस चुनौती का समाधान तलाशें।