Saudi Arabia News : सऊदी शाही परिवार के युवा सदस्य ‘स्लीपिंग प्रिंस’ अल वलीद बिन खालिद ने आखिरकार 20 साल की लंबी बेहोशी के बाद जीवन से विदा ले ली। महज़ 15 साल की उम्र में लंदन में एक सड़क हादसे का शिकार होने के बाद वे कोमा में चले गए थे, और फिर दोबारा कभी होश में नहीं आ सके।
उन्हें होश में लाने के लिए अमेरिका और स्पेन के शीर्ष न्यूरोलॉजिस्टों की मदद ली गई, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद उनके जीवन में चेतना की वापसी नहीं हो सकी। हालांकि, इस दौरान उनकी आंखों की हलचलें या कुरान की तिलावत पर सूक्ष्म प्रतिक्रियाएं कई बार देखी गईं, जो दुनिया भर में लाखों लोगों के लिए उम्मीद की एक झलक बन गई थीं।
पिता की अडिग आस्था और प्रेम
प्रिंस के पिता, खालिद बिन तलाल, ने कभी भी अपने बेटे की हालत को लेकर उम्मीद नहीं छोड़ी। तमाम डॉक्टरी सलाहों और दबावों के बावजूद उन्होंने बेटे को वेंटिलेटर से हटाने से इनकार कर दिया। उनका मानना था कि जीवन और मृत्यु का अधिकार केवल ईश्वर को है। उन्होंने वर्षों तक बेटे के सिरहाने बैठकर दुआ की, कुरान की तिलावत की और एक दिन चमत्कार होने की प्रतीक्षा करते रहे। एक पिता का यह अटूट विश्वास और समर्पण आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल बन गया।
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सोशल मीडिया पर श्रद्धांजलियों का सैलाब
जैसे ही प्रिंस के निधन की खबर फैली, सोशल मीडिया पर #SleepingPrince ट्रेंड करने लगा। दुनियाभर से लोग भावुक श्रद्धांजलियां और संवेदनाएं व्यक्त करने लगे। एक यूजर ने लिखा, “20 साल तक बिना होश में आए, फिर भी दुनिया को उम्मीद, प्रेम और धैर्य का पाठ पढ़ा गए — अलविदा ‘स्लीपिंग प्रिंस’।” यह केवल एक कोमा में पड़े राजकुमार की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक पिता के विश्वास, प्रेम और उस मानव भावना की कहानी है जो हर कठिन परिस्थिति में भी हार मानने से इनकार करती है।