Women of India Who Made History: महिलाएं जिन्होंने इतिहास के पन्नों पर अपनी अमिट छाप छोड़ी।महिलाएं समाज का ऐसा हिस्सा हैं जो सिर्फ घर की चारदीवारी तक सीमित नहीं हैं। आज हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं और अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रही हैं। लेकिन यह बदलाव आज का नहीं है। इसकी नींव तो बहुत पहले ही पड़ चुकी थी, जब कुछ साहसी महिलाओं ने समाज की बंदिशों को तोड़कर इतिहास रच दिया। इस लेख में हम जानेंगे भारत की उन 5 महान महिलाओं के बारे में जिन्होंने अपने संघर्ष और हिम्मत से मिसाल कायम की।
लक्ष्मी सहगल,आज़ादी की जंग में शामिल पहली महिला अफसर
लक्ष्मी सहगल एक बहादुर स्वतंत्रता सेनानी और डॉक्टर थीं। उन्होंने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ‘आजाद हिंद फौज’ में अहम भूमिका निभाई और महिलाओं की ‘रानी झांसी रेजीमेंट’ की पहली कमांडर बनीं। आज़ादी की लड़ाई के साथ-साथ उन्होंने सामाजिक कामों में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया। साल 2002 में वे भारत की राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार भी रहीं।
सुचेता कृपलानी, भारत की पहली महिला मुख्यमंत्री
सुचेता कृपलानी एक जानी-मानी स्वतंत्रता सेनानी और समाज सेविका थीं। वे महात्मा गांधी के साथ कई आंदोलनों में शामिल रहीं। आज़ादी के बाद वह उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री बनीं और देश की पहली महिला मुख्यमंत्री होने का गौरव हासिल किया। उन्होंने भारतीय राजनीति में महिलाओं की भागीदारी का रास्ता आसान किया।
आनंदी गोपाल जोशी, भारत की पहली महिला डॉक्टर
आनंदीबाई जोशी उस दौर की थीं जब लड़कियों का स्कूल जाना भी समाज को खटकता था। लेकिन उन्होंने सभी विरोधों को पीछे छोड़ते हुए डॉक्टरी की पढ़ाई की और भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं। उनका सफर आज भी लाखों लड़कियों को पढ़ाई और आत्मनिर्भरता की प्रेरणा देता है।
अन्ना चंडी, पहली महिला जज
अन्ना चंडी भारत की पहली महिला न्यायाधीश बनीं। उन्होंने न सिर्फ कानून के क्षेत्र में नाम कमाया, बल्कि महिलाओं के हक़ में आवाज़ भी उठाई। उन्होंने ‘श्रीमती’ नाम की पत्रिका का संपादन भी किया, जो महिलाओं की समस्याओं और अधिकारों पर केंद्रित थी।
सावित्रीबाई फुले,महिला शिक्षा की जननी
सावित्रीबाई फुले ने उस समय में लड़कियों के लिए स्कूल खोला, जब लड़कियों को पढ़ाना पाप समझा जाता था। उन्होंने 1848 में पुणे में पहला लड़कियों का स्कूल खोला और महिलाओं की शिक्षा, विधवा विवाह और दलित अधिकारों के लिए ज़िंदगी भर संघर्ष किया।