Gold Price Update : दुनियाभर में व्यापार टैरिफ को लेकर हालात तेजी से बदल रहे हैं और इसका सीधा असर सोने और चांदी की कीमतों पर देखने को मिल रहा है। बीते कुछ समय से इन दोनों कीमती धातुओं में रोज़ाना उतार-चढ़ाव का सिलसिला जारी है। सुबह के सत्र में अक्सर कीमतें ऊपर जाती हैं, जबकि शाम तक इनमें थोड़ी गिरावट दर्ज होती है।
फिलहाल 24 कैरेट सोना लगातार ₹1 लाख प्रति 10 ग्राम से ऊपर बना हुआ है, जबकि चांदी ने भी ₹1.14 लाख प्रति किलो का आंकड़ा पार कर लिया है। इस बढ़ती महंगाई ने आम खरीदारों, खासकर महिलाओं की चिंता बढ़ा दी है, जो त्योहारों और शादियों के लिए पहले से ही खरीदारी की योजना बना रही थीं।
11 अगस्त 2025 का ताज़ा भाव
सोमवार, 11 अगस्त को दोपहर 12 बजे जारी हुए ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक, दिल्ली में सोने की कीमतें स्थिर बनी हुई हैं।
24 कैरेट सोना: ₹1,03,460 प्रति 10 ग्राम
22 कैरेट सोना: ₹94,850 प्रति 10 ग्राम
पिछले दिन की तुलना में इनमें कोई बदलाव नहीं देखा गया, जो दर्शाता है कि अभी बाजार में स्थायित्व बना हुआ है। ऐसे में निवेशकों और खरीदारों को वैश्विक आर्थिक संकेतकों — जैसे डॉलर की चाल, ब्याज दरों में संभावित बदलाव और व्यापारिक नीतियों — पर नज़र बनाए रखना फायदेमंद रहेगा।
सोने-चांदी की कीमत आखिर तय कैसे होती है?
सोने और चांदी की दरें कई अंतरराष्ट्रीय और घरेलू कारकों पर निर्भर करती हैं, जैसे:
अंतरराष्ट्रीय स्पॉट प्राइस
डॉलर-रुपया विनिमय दर
आयात शुल्क, टैक्स और AIDC
वैश्विक आर्थिक परिस्थितियां
भारत की सांस्कृतिक मांग और महंगाई दर
विश्व स्तर पर COMEX और लंदन बुलियन मार्केट जैसे एक्सचेंजों में इन धातुओं के दाम ट्रॉय औंस (31.1 ग्राम) के हिसाब से अमेरिकी डॉलर में तय होते हैं। चूंकि भारत सोने और चांदी का अधिकांश हिस्सा आयात करता है, इसलिए डॉलर के मुकाबले रुपये की मजबूती या कमजोरी का इनकी कीमत पर सीधा प्रभाव पड़ता है। अगर रुपया कमजोर होता है तो आयात महंगा हो जाता है और कीमतें बढ़ जाती हैं। इसके साथ ही सीमा शुल्क, कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर विकास उपकर (AIDC) और जीएसटी जैसी दरें भी कीमत को प्रभावित करती हैं।
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सेफ हेवन बना सोना
दुनियाभर में जब आर्थिक संकट, युद्ध, मंदी या ब्याज दरों में उथल-पुथल जैसी स्थितियां पैदा होती हैं, तब निवेशक सुरक्षित विकल्प के तौर पर सोने की ओर रुख करते हैं। यही कारण है कि इसे ‘सेफ हेवन एसेट’ कहा जाता है। भारत में सोना न केवल निवेश का जरिया है, बल्कि सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व भी रखता है। शादियों, पर्व-त्योहारों और पारंपरिक आयोजनों में सोने की मांग हमेशा बनी रहती है। साथ ही, जब महंगाई बढ़ती है तो लोग ऐसी संपत्ति में निवेश करना पसंद करते हैं जो उनकी पूंजी को सुरक्षित रख सके — और सोना इसमें सबसे भरोसेमंद विकल्प साबित होता है।