Kishtwar cloudburst: जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले में गुरुवार दोपहर कुदरत ने कहर बरपा दिया। मचैल माता मंदिर के पास चिशोती गांव में बादल फटने से मचैल माता यात्रा पर निकले श्रद्धालुओं और स्थानीय लोगों पर आपदा टूट पड़ी। शुरुआती आंकड़ों में 17 मौत की पुष्टि हुई थी, लेकिन देर शाम तक यह संख्या बढ़कर 20 से अधिक हो गई। 50 से अधिक लोगों को सुरक्षित रेस्क्यू किया गया है, जबकि कई अभी भी लापता हैं। CISF के एक जवान का शव बरामद हुआ है और तीन जवान लापता बताए जा रहे हैं। पहाड़ी रास्तों और गांव का बड़ा हिस्सा तबाह होने से बचाव कार्य में कठिनाई हो रही है। मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने हालात पर चर्चा की है। राहत व बचाव कार्य जारी है।
किश्तवाड़ के चिशोती गांव में बादल फटने की यह घटना दोपहर 12 से 1 बजे के बीच हुई, जब मचैल माता यात्रा के लिए भारी भीड़ मौजूद थी। अचानक आई तेज़ बाढ़ और मलबे की धार ने घरों, दुकानों और रास्तों को बहा दिया। आधे से अधिक गांव पानी में डूब गया, जिससे रेस्क्यू टीमों को मौके तक पहुंचने में घंटों लग गए। प्रशासन ने जिला व पुलिस कंट्रोल रूम के साथ-साथ पड्डर में हेल्प डेस्क भी स्थापित कर दिया है, ताकि लापता लोगों की जानकारी मिल सके और परिजनों को सहायता दी जा सके।
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आपदा में जनहानि बढ़ने की आशंका बनी हुई है। Kishtwar प्रभावित इलाकों से लगातार घायल और मृतकों को निकाला जा रहा है। फिलहाल, राहत व चिकित्सा व्यवस्था के लिए सेना, NDRF, SDRF, पुलिस और स्थानीय स्वयंसेवकों की टीमें लगातार काम कर रही हैं।
राजनीतिक नेताओं ने भी इस त्रासदी पर चिंता जताई है। फारूक अब्दुल्ला ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से ग्लोबल वार्मिंग के प्रभाव पर गंभीर कदम उठाने की अपील की। वहीं केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने कहा कि जनहानि भारी हो सकती है, लेकिन प्रशासन हर संभव प्रयास में जुटा है।
Kishtwar हालात अब भी गंभीर हैं और कई परिवार अपने प्रियजनों की खोज में गांव-गांव भटक रहे हैं। मौसम विभाग ने अगले 24 घंटों तक सावधानी बरतने की चेतावनी दी है। यह तबाही मचैल माता यात्रा के इतिहास की सबसे बड़ी प्राकृतिक आपदा बन सकती है।
— आगे की खबर जारी है…