Nepal Politics : अभिनेत्री मनीषा कोइराला ने हाल ही में एक पॉडकास्ट के दौरान नेपाल की राजनीतिक व्यवस्था और सामाजिक ढांचे को लेकर अपने विचार स्पष्ट रूप से रखे। नेपाल के प्रतिष्ठित राजनीतिक परिवार से ताल्लुक रखने वाली मनीषा ने कहा कि देश में लोकतंत्र आज भी अपने असली रूप में नहीं है, और उन्होंने यह भी माना कि संविधान आम लोगों को न्याय देने में विफल रहा है।
राजनीति को बचपन से देखा
जब उनसे पूछा गया कि नेपाल में बार-बार सरकारें क्यों गिरती हैं, तो मनीषा ने कहा, “मैं नेपाल की मौजूदा राजनीति को लेकर काफी आलोचनात्मक रही हूं और यह कोई नई बात नहीं है। राजनीति को मैंने बचपन से करीब से देखा है, ऐसा लगता है जैसे मां के गर्भ से ही इसकी चर्चा सुननी शुरू कर दी थी।” उन्होंने कहा कि उनके पिता प्रकाश कोइराला हमेशा राजनीति को जनसेवा का माध्यम मानते थे। “वो कहा करते थे कि राजनीति एक सपना है, जो जनता की भलाई के लिए देखा जाता है। लेकिन जब यह सपना धरातल से कटने लगता है, तब असली संकट शुरू होता है।”
लोकतंत्र दिखावे का नहीं, असली होना चाहिए
मनीषा से जब यह पूछा गया कि क्या नेपाल में लोकतंत्र का प्रयोग असफल रहा, तो उन्होंने कहा, “मैं मानती हूं कि लोकतंत्र ही सबसे सही रास्ता है, लेकिन वह लोकतंत्र जो सच में जनता के लिए हो — न कि केवल दिखावे के लिए। ऐसा लोकतंत्र जिसमें संस्थाएं स्वतंत्र हों, योग्य लोगों को स्थान मिले, और राजनीतिक दखल न हो।” उन्होंने संविधान पर सवाल उठाते हुए कहा, “मुझे लगता है कि नेपाल के संविधान में राजशाही के लिए भी स्थान होना चाहिए था। हमारे देश की 80-90% आबादी हिंदू है और आज भी राजा के प्रति सम्मान की भावना मौजूद है। उस भाव को पूरी तरह से दरकिनार करना सही नहीं था। कुछ निर्णय अब सही नहीं लगते, और शायद यही वजह है कि व्यवस्था डगमगाई हुई है।”
परंपरा और आधुनिकता का संतुलन जरूरी
मनीषा ने नेपाल की सामाजिक बनावट की चर्चा करते हुए कहा कि नेपाल एक अनोखा देश है — एक ओर जहां समाज में आधुनिक सोच है, वहीं परंपराएं भी गहराई से जुड़ी हुई हैं। “नेपाली चाहे दुनिया के किसी भी कोने में हों, वे लाल टीका जरूर लगाते हैं। महिलाएं मंगलसूत्र पहनती हैं। हमारे समाज में परंपरा और खुलेपन का सुंदर मेल है। अगर हमने इस संतुलन को ठीक तरह से संभाला होता, तो आज स्थिति बेहतर हो सकती थी।” 2001 में नेपाल के शाही परिवार पर हुए नरसंहार को याद करते हुए मनीषा भावुक हो गईं।
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उन्होंने बताया, “उस वक्त मैं लंदन में शूटिंग कर रही थी। जब खबर मिली, तो मैं पूरी तरह टूट गई। जोर-जोर से रो पड़ी। मेरे माता-पिता भी मेरे साथ थे। मेरे पिता, जो कभी भावुक नहीं होते, फोन पर फूट-फूटकर रोने लगे थे। पूरे नेपाल में मातम छा गया था, लाखों लोगों ने सिर मुंडवाए थे।” उन्होंने आगे कहा, “राजशाही के प्रति जो भावना है, वह सिर्फ सत्ता नहीं, आस्था और संस्कृति से जुड़ी हुई है। मैं चाहे जितनी भी आधुनिक क्यों न बन जाऊं, लेकिन अपनी परंपराओं को छोड़ नहीं सकती। वे मेरे अस्तित्व का हिस्सा हैं।”