लखनऊ ऑनलाइन डेस्क। उत्तर प्रदेश के संभल स्थित सरकारी जमीन पर बनी मस्जिद व मैरिज हाल के ध्वस्तीकरण पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने रोक लगाने से साफ इनकार कर दिया है। बुलडोजर एक्शन से बचने के लिए मुस्लिम पक्ष ने शुक्रवार को हाईकोर्ट में त्वरित सुनवाई की मांग के साथ याचिक याचिका दाखिल की थी। जिसे कोर्ट ने शनिवार को खारिज कर दिया। एक पक्ष की तरफ से ये आरोप लगाया था कि मस्जिद सरकारी तालाब की जमीन पर बनवाई गई थी। जिस पर प्रशासन ने ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू कर दी थी। मुस्लिम पक्ष कोर्ट गया। जिस पर न्यायमूर्ति दिनेश पाठक की एकल पीठ सुनवाई की और ध्वस्तीकरण की कार्रवाई पर रोक लगाने से इंकार कर दिया।
दरअसल, संभल में तालाब की जमीन पर बने मैरिज हॉल और मस्जिद के ध्वस्तीकरण के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में मस्जिद कमेटी ने तत्काल सुनवाई की मांग के साथ याचिका दाखिल की थी। मामले में शुक्रवार की दोपहर सुनवाई तो हुई लेकिन कोर्ट ने कोई अंतरिम राहत नहीं दी है। याचिका में मसाजिद शरीफ गोसुलबारा रावा बुजुर्ग और मस्जिद के मुतवल्ली मिंजर ने ध्वस्तीकरण आदेश पर रोक लगाने की मांग की गई थी। मस्जिद कमेटी के अधिवक्ता अरविंद कुमार त्रिपाठी और शशांक त्रिपाठी ने दावा किया कि बरात घर पहले ही गिरा दिया गया है। फिर भी प्रशासन की ओर से ध्वस्तीकरण के लिए गांधी जयंती और दशहरे का दिन चुना गया।
दूसरी ओर सरकार का आरोप है कि मस्जिद का कुछ हिस्सा सरकारी जमीन पर है और प्रशासन ने अवैध निर्माण हटाने के लिए मस्जिद कमेटी को चार दिन की मोहलत दी थी। बता दें, यह याचिका सरकारी जमीन से बेदखली की कार्रवाई के खिलाफ उपलब्ध वैकल्पिक विधिक उपचार के कारण खारिज की गई है। बहस के बाद याची मुस्लिम पक्षकारों ने याचिका वापस ले ली। हाईकोर्ट ने कहा कि याची तहसीलदार की ओर से जारी बेदखली आदेश के खिलाफ अपील दाखिल करने के लिए स्वतंत्र है। कोर्ट ने अपीलीय प्राधिकारी को मुस्लिम पक्षकारों की अपील पर हाईकोर्ट के इस आदेश से प्रभावित हुए बिना गुणदोष के आधार पर फैसला लेने का निर्देश दिया है।
असमोली ब्लॉक के गांव रायाबुजुर्ग में ये मस्जिद बनी है। यह मस्जिद तालाब की भूमि पर निर्माण कर ली गई है। इसके चलते इसको ध्वस्त किया जाना है। बृहस्पतिवार को मदरसा और मैरिज हॉल को बुलडोजर से ढा दिया गया था। डीएम डॉ. राजेंद्र पैंसिया और एसपी कृष्ण कुमार विश्नोई मौके पर पहुंचे थे। जुमे की नमाज से पहले कुछ लोग मस्जिद तोड़ते दिखाई दिए। सपा के संभल सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर लिखा कि मेरी लोकसभा क्षेत्र के गांव रायाबुजुर्ग में मदरसा और मस्जिद को गैर कानूनी बताकर बुलडोजर चलाना नफरत भरा अमल है। यह हमारे लोकतंत्र और संविधान पर सीधा हमला है।
सपा सांसद ने कहा कि हर समाज का अपना आस्था का केंद्र होता है। मेरी लोकसभा में हमेशा से भाईचारा, मोहब्बत और आपसी सम्मान कायम रहा है। लेकिन इस सरकार का मकसद रहा है कि मजहब के नाम पर सियासत करके समाज में नफरत और फूट डालो। प्रशासन का काम जनता का भरोसा जीतना और संविधान की हिफाजत करना होता है लेकिन आज प्रशासन भी सरकार के इशारे पर तानाशाह तरीके से काम कर रहा है। धार्मिक स्थलों पर बुलडोजर चलाना किसी भी सूरत में दुरूस्त नहीं कहा जा सकता। सांसद ने आगे लिखा है कि अगर कुछ गैर कानूनी है तो उसका फैसला अदालत करे न कि सड़कों पर बुलडोजर चलाकर इंसाफ बांटा जाए। मैं बार-बार कहता रहा हूं कि मुल्क संविधान और न्यायपालिका से चलेगा। बुलडोजर कभी इंसाफ का प्रतीक नहीं हो सकता।
असमोली विधानसभा क्षेत्र से सपा विधायक पिंकी यादव ने भी सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा है कि गांव रायाबुजुर्ग में बुलडोजर चलाना सरकार का द्वेषपूर्ण किया गया कृत है। क्या यह न्यायसंगत है? यह कृत्य अत्यंत निंदनीय है। ये खुलेआम तानाशाही है। पीडीए समाज के लोगों को परेशान किया जा रहा है। हर एक समाज का अपना-अपना आस्था का केंद्र होता है। आगे लिखा है कि तानाशाही सरकार धर्म के नाम पर राजनीति करना बंद करे। मैं प्रशासन के लोगों से भी कहना चाहूंगी प्रशासन लोक कल्याण के लिए सरकार जनहित के कल्याण के लिए होती है, लेकिन यहां केवल नफरत फैलाने का कार्य भाजपा के इशारे पर किया जा रहा है। घोर निंदनीय है। विधायक ने अंत में लिखा है इंकलाब जिंदाबाद।