लखनऊ। शुगर बाउल के नाम से फेमस उत्तर प्रदेश का मुजफ्फरनगर विधानसभा बहुत ही महत्वपूर्ण विधानसभा सीट है। यहां एशिया की सबसे बड़ी गुड़ मंडी है। मिठास इस इलाके की पहचान है। मुस्लिम और जाट वोट जिस उम्मदीवार को मिल जाता है वो सीधे लखनऊ का टिकट कटा लेता है। पर 2013 के दंगों ने मुजफ्फरनगर सदर विधान सभा का पूरा खेल ही बदल डाला। अब यहां मुस्लिम और हिन्दुओं की राहें अलग-अलग हो गई हैं। दंगों के बाद से लगातार भाजपा जीत रही है। इस सीट की खासियत है कि, चुनाव तक माहौल पल-पल बदलता रहता है।
मुज्जफरनगर की विधानसभा सीटें
मुज़फ्फरनगर कुल 6 विधानसभा सीटें हैं। मुजफ्फरनगर सदर, पुरकाजी, चरथावल, बुढ़ाना, खतौली और मीरापुर विधानसभा सीट इस जिले में आती हैं। 2017 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने जनपद की सभी 6 सीटों पर जीत हासिल की थी। मुज़फ्फरनगर सदर विधानसभा से कपिल देव अग्रवाल, पुरकाज़ी से प्रमोद ऊंटवाल, चरथावल से स्वर्गीय विजय कश्यप, बुढ़ाना से उमेश मलिक, खतौली से विक्रम सैनी और मीरापुर विधानसभा से अवतार सिंह भड़ाना चुनाव जीते थे।
बुढ़ाना विधानसभा
बुढ़ाना विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा मुसलमान है।2022 विधानसभा चुनाव के लिये भाजपा ने उमेश मलिक को उम्मीदवार बनाया है। सपा-रालोद ने राजपाल बालियान को टिकट दिया है। बसपा से हाजी मोहम्मद अनीश को प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने देवेंद्र कश्यप को टिकट पकड़ाया है
2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा के उमेश मलिक को (97781 वोट) सपा के प्रमोद त्यागी को (84580 वोट) जबकि बसपा उम्मीदवार सईदा बेगम को 30034 वोट और रालोद के योगराज सिंह को 23732 वोट मिले थे। यूपी के 2012 में हुए विधानसभा चुनाव में बुढ़ाना विधानसभा सीट समाजवादी पार्टी के पास थी। यहां से नवाजिश आलम खान विधायक बने थे। सपा प्रत्याशी ने राजपाल सिंह बालियान को हराया था। इस चुनाव में बीजेपी चौथे नंबर पर थी। बीजेपी प्रत्याशी उमेश मलिक को मजह 15948 वोटों से संतोष करना पड़ा था। बुढ़ाना में खेती-किसानी बड़ा मुद्दा है। भुगतान, बिजली दरें, सड़कें, कानून व्यवस्था बड़े मुद्दे हैं। केंद्रीय पशुपालन मंत्री डॉ. संजीव बालियान इसी क्षेत्र के गांव कुटबा के रहने वाले हैं।पहले मुजफ्फरनगर दंगे और अब किसान आंदोलन से बुढ़ाना विधानसभा सूबे की सियासत के सबसे बड़े केंद्रों में से एक है।
चरथावल विधानसभा
चरथावल विधानसभा सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता है।इसके बाद जाटव मतदाता 55 हज़ार, कश्यप 30 हज़ार, जाट 30 हज़ार और ठाकुर मतदाता 20 हज़ार हैं।2022 विधानसभा चुनाव के लिये भाजपा ने सपना कश्यप को और सपा-आरएलडी ने पंकज मलिक को और बसपा ने सलमान सईद को अपना अपना उम्मीदवार बनाया है।
2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा के विजय कुमार कश्यप ने (82046 वोट) सपा के मुकेश कुमार चौधरी को (58815 वोट) हराया था। जबकि बसपा के नूर सलीम राणा को 47704 वोट और रालोद के सलमान जैदी को 14442 वोट मिले थे। 2012 में हुए चरथावल विधानसभा सीट के चुनाव में बीएसपी के नूर सलीम राना जीते थे। नूर सलीम ने बीजेपी प्रत्याशी विजय कुमार को हराया था।एसपी प्रत्याशी उम्मीदवार मुकेश चौधरी 34292 वोट पाकर तीसरे नंबर पर थे। वहीं कांग्रेस प्रत्याशी सईदुज्जमा को 26523 वोट मिले थे। चरथावल विधानसभा का अहम मुद्दा व्यापार और व्यापारी से जुड़ा है इसके अलावा जिले की कानून व्यवस्था से लोग नाराज हैं। चोरी, हत्या, लूट की घटनाओं से लोग परेशान हैं।
खतौली विधानसभा
खतौली सीट पर सबसे ज्यादा मुस्लिम मतदाता है। इनके अलावा यहां गुर्जर, प्रजापति, जाट, ठाकुर और वैश्य वोटर भी अधिक मात्रा में हैं।2022 विधानसभा चुनाव के लिये सपा-रालोद ने यहां से सैनी चेहरा राजपाल सिंह सैनी को उतारा है। उम्मीद है कि सैनी वोटों के साथ मुस्लिम वोटबैंक भी उनके साथ आएगा। बसपा ने मुस्लिम चेहरा माजिद सिद्दीकी को टिकट देकर इसी रणनीति को काटने की कोशिश की है।वहीं भाजपा ने मौजूदा विधायक विक्रम सैनी को अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस ने गौरव भाटी को टिकट दिया है। 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा के विक्रम सिंह, ( 94771 वोट) ने सपा के चंदन सिंह चौहान ( 63397 वोट) को हराया था। जबकि बसपा के शिवन सिंह सैनी को 37380 वोट तथा रालोद के शाहनवाज राणा को 12846 वोट मिले थे। 2012 के विधानसभा चुनाव में इस सीट पर राष्ट्रीय लोक दल प्रत्याशी करतार सिंह भड़ाना 5,875 वोटों से जीते।दूसरे स्थान पर बसपा के तारा चंद शास्त्री रहे । खतौली विधानसभा की बात करें तो यहां पर लोगों के लिए जरूरी मुद्दा शिक्षा, चिकित्सा और रोजगार है इसके अलावा इस सीट पर महिला सुरक्षा का मुद्दा भी अहम है।
मीरापुर विधानसभा सीट
इस विधानसभा क्षेत्र में मुस्लिम मतदाता निरणायक भूमिका में हैं।उसके बाद जाट, गुर्जर, कश्यप और पाल मतदाता हैं।2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा के अवतार सिंह भड़ाना ने जीत जरूर हासिल की थी लेकिन वो अपने विपक्षी सपा के लियाक़त अली को मात्र 193 वोटों से हरा पाए थे। भाजपा के अवतार सिंह भड़ाना को 69035 वोट मिले थे। दूसरे नंबर पर सपा के लियाकत अली को 68842 वोट मिले थे। तीसरे नंबर पर बसपा के नवाजिश आलम खान थे, जिन्हें 39689 वोट मिले थे। जबकि रालोद के मिथिलेश पाल चौथे नंबर पर थे, इन्हें 22751 वोट मिले थे।
पिछली बार सपा और रालोद अलग-अलग लड़े थे। और सपा प्रत्याशी लियाकत अली हजार से भी कम के अंतर से हारे थे। इस बार रालोद ने चंदन चौहान को उतारा है। सपा के साथ रहने से मुस्लिम वोट भी मिलने की उम्मीद है। कांग्रेस ने मौलाना जमील कासमी को टिकट दिया है। जबकि भाजपा से प्रशांत गुर्जर और बसपा से मोहम्मद शालिम को उम्मीदवार बनाया है।
2012 के विधानसभा चुनाव में मीरापुर सीट से बसपा के जमील अहमद कासमी विधायक चुने गए थे। उन्होंने रालोद के मिथिलेश पाल को हराया था। चुनाव में बसपा प्रत्याशी जमील अहमद को 56820 वोट, जबकि दूसरे नंबर पर रहे रालोद प्रत्याशी मिथिलेश पाल को 44069 वोट मिले थे। वहीं भारतीय जनता पार्टी तीसरे नंबर पर थी, उसे 25689 वोट मिले थे। समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी मेहराजुद्दीन को 21083 वोट मिले थे। मीरापुर विधानसभा सीट का अहम मद्दा गन्ने का सही वक्त पर भुगतान और सही दाम है। गुन्ना भुगतान के अलावा एमएसपी और बिजली बिल समेत किसानों की और भी कई मांगें हैं।सड़क, बिजली की बदहाल व्यवस्था से ग्रामीण परेशान हैं।
पुरकाजी सीट, पुरकाजी सीट अनुसूचित समुदाय के लिये आरक्षित है। पुरकाजी सीट पर अब तक दो बार विधानसभा चुनाव हुए हैं। साल 2012 विधानसभा चुनाव में बसपा के अनिल कुमार ने कांग्रेस के दीपक कुमार को 8908 वोटों के अंतर से हराया था। जबकि साल 2017 में भाजपा उम्मीदवार प्रमोद उत्तवाली ने कांग्रेस के दीपक कुमार को क़रीब 11 हजार मतों से हराया था। भाजपा ने अपने मौजूदा विधायक को ही दोबारा से चुनावी टिकट थमाया है। बसपा ने सुरेंद्र पाल सिंह को टिकट दिया है। सपा आरएलडी गठबंधन की ओर से आरएलडी ने अनिल कुमार को मैदान में उतारा है। पुरकाजी विधानसभा का अहम मुद्दा शिक्षा, रोजगार, स्वास्थ्। क्षेत्र के लोगों द्वारा यहां शैक्षणिक संस्थान स्थापित करने की मांग हुई, आंदोलन हुये, लेकिन हालात नहीं बदले।
मुज़फ़्फरनगर सदर सीट
मुज़फ़्फ़रनगर विधानसभा सीट मुज़फ़्फ़रनगर के अंतर्गत आती है। इस संसदीय क्षेत्र से सांसद हैं संजीव कुमार बाल्यान, जो भारतीय जनता पार्टी से हैं। 2017 विधानसभा चुनाव में भाजपा के कपिल देव अग्रवाल ने समाजवादी पार्टी के गौरव स्वरूप बंसल को 10704 वोटों के मार्जिन से हराया था।मुज़फ़्फ़रनगर में सपा-रालोद गठबंधन से सदर सीट पर पूर्व मंत्री चित्तरंजन स्वरूप के बेटे सौरभ स्वरूप को प्रत्याशी बनाया गया है। कांग्रेस ने सुबोध शर्मा, बसपा ने पुष्पंकर पाल को अपना प्रत्याशी बनाया है। भाजपा ने मौजूदा विधायक कपिल देव अग्रवाल जोकि स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री भी हैं उनको रिपीट किया है। 2012 के विधानसभा चुनाव में इस सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी चितरंजन स्वरूप चुनाव जीतकर विधायक बने थे। उन्होंने बीजेपी के अशोक कंसल को हराया था। इस चुनाव में चितरंजन स्वरूप को 59165 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे बीजेपी के अशोक कंसल को 44167 वोट मिले थे। बसपा के अरविंद राज शर्मा तीसरे नंबर पर थे. उन्हें 31529 वोट मिले थे। चौथे नंबर पर रहे सोमांश प्रकाश को 21171 वोट मिले थे। पीस पार्टी के प्रत्याशी मोहम्मद सलीम अंसारी को 7293 वोट मिले थे। इस सीट पर व्यापार और व्यापारी बड़ा मुद्दा हैं। इसके अलावा क़ानून व्यवस्था, शिक्षा, रोज़गार, महंगाई भी मुद्दा है। गन्ने का सही वक्त पर भुगतान और सही दाम इस इलाके का बड़ा मुद्दा रहा है। लंबे समय से गन्ना भुगतान की मांग सही वक्त पर करने की मांग उठती रही है। इस बार गुन्ना भुगतान के अलावा एमएसपी और बिजली बिल समेत किसानों की और भी कई मांगें हैं जो चुनाव का मुद्दा बन रही हैं।