इस चुनाव में पंजाब के कई चर्चित चेहरों की चुनावी किअपनी सत्ता को कायम रखने की कोशिश कर रही सत्तारूढ़ कांग्रेस को विभिन्न मुद्दों को लेकर विभिन्न राजनीतिक विरोधियों के तीखे हमलों का सामना करना पड़ा है, जिनमें मादक पदार्थ और भ्रष्टाचार का मुद्दा शामिल है।
वहीं, कांग्रेस इन हमलों का मुकाबला मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के 111 दिनों के कार्यकाल में बिजली की दरों और ईंधन की कीमत में कमी जैसे फैसलों से कर रही है. आम आदमी पार्टी (आप) जो सबसे प्रमुख प्रतिद्वंद्वी के तौर पर उभरी है वह शासन के दिल्ली मॉडल को पेश कर सत्ता पर काबिज होने का प्रयास कर रही है।
शिरोमणि अकाली दल का भी बहुत कुछ दांव पर लगा है जो वर्ष 2020 में बीजेपी के साथ कृषि कानूनों के मुद्दों पर नाता तोड़ने के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के साथ गठबंधन कर चुनाव मैदान में उतरा है।
अकाली दल के साथ गठबंधन में छोटी सहयोगी रही बीजेपी इस बार के गठबंधन में बड़े भाई की भूमिका में है. बीजेपी ने इस चुनाव के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह नीत पंजाब लोक कांग्रेस और सुखदेव सिंह ढींढसा नीत शिरोमणि अकाली दल (संयुक्त) के साथ गठबंधन किया है।
बीजेपी ने मतदाताओं से ‘नवा पंजाब के लिए डबल इंजन की सरकार’ बनाने की अपील की है. केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ हुए किसानों के आंदोलन में शामिल पंजाब के कई किसान संगठन भी ‘संयुक्त समाज मोर्चा’ बनाकर राज्य की विधानसभा चुनाव में उतरे हैं और उन्होंने इसके लिए हरियाणा भारतीय किसान यूनियन (चढूनी) नेता गुरनाम सिंह चढूनी नीत संयुक्त संघर्ष पार्टी के साथ गठबंधन किया है।
इस चुनाव में सभी प्रमुख पार्टियों ने मतदाताओं को अपने पक्ष में करने के लिए मुफ्त की सौगात देने के वादे किए हैं. ‘आप’ ने सभी महिलाओं को एक-एक हजार रुपये देने का वादा किया है जबकि कांग्रेस ने भी जरूरतमंद महिलाओं को एक-एक हजार रुपये प्रति माह देने का वादा किया है।चुनाव जीतने के लिये पार्टियों ने किये हैं लुभावने वादे।
शिअद-बसपा गठबंधन ने नीले कार्ड (गरीबी रेखा से नीचे) धारक परिवार की महिला मुखिया को प्रत्येक महीने दो हजार रुपये देने का वादा किया है, साथ ही राज्य की 75 प्रतिशत सरकारी और निजी नौकरियों को पंजाब के युवाओं के लिए आरक्षित करने का वादा किया है। गौरतलब है कि वर्ष 2017 में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 77, शिअद-भाजपा गठबंधन को 18, आप को 20 सीटें मिली थीं जबकि दो सीटें लोक इंसाफ पार्टी के खाते में गई थीं।