केंद्र सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए PFI को बैन कर दिया है। साथ ही इतना ही PFI के 8 सहयोगी सगठनों पर 5 साल के लिए प्रतिबंध लगा दिया है। दरअसल PFI और उसके सहयोगी संगठनों का संबंध स्लामिक स्टेट ऑफ इराक एंड सीरिया जैसे अंतरराष्ट्रीय आतंकी संगठनों से बताए जा रहे है। ये संगठन देश में एक विशेष समुदाय में कट्टरपंथ को बढ़ावा देते है।
बता दें कि NIA, ED और राज्यों की पुलिस ने मिलकर 22 सितंबर और 27 सितंबर को PFI पर ताबड़तोड़ छापेमारी की थी। पहले राउंड की छापेमारी में PFI से जुड़े 106 लोग गिरफ्तार किया गया था। वहीं दूसरे राउंड की छापेमारी में PFI से जुड़े 247 लोगों को हिरासत में लिए गए। इसके बाद जांच एजेंसियों ने मिले सबूत के आधार पर गृह मंत्रालय से कार्रवाई की मांग की थी। जिसके बाद गृह मंत्रालय ने PFI पर बैन लगा दिया है।
लोक व्यवस्था भंग होगी
वहीं केंद्र सरकार का कहना है कि PFI और उसके सहयोगी संगठनों ने मिलकर देश में आतंक फैलाने की कोशिश की है। राष्ट्र की सुरक्षा, लोक व्यवस्था को खतरे में डालने के इरादे से हिंसक आतंकी गतिविधियों को अंजाम दिया हैं। अब PFI के विरुद्ध तत्काल और त्वरित कार्रवाई अपेक्षित है। हालांकि केंद्र सरकार का कहना है कि अगर PFI पर कार्रवाई नहीं हुई तो अपनी विध्वंसात्मक गतिविधियों को ऐसे ही जारी रखेंगे। जिससे लोक व्यवस्था भंग होगी साथ ही राष्ट्र का संवैधानिक ढांचा भी कमजोर होगा।
जिसके चलते गृह मंत्रालय ने PFI को 5 साल के लिए प्रतिबंधित लगा दिया है। PFI के अलावा RIF, NCHRO, CFI, AIIC, नेशनल वीमेन फ्रंट, एम्पावर इंडिया फाउंडेशन, जूनियर फ्रंट, और रिहैब फाउंडेशन, केरल जैसे सहयोगी संगठनों पर भी बैन लगाया गया है।
प्रतिबंधिति संगठनों से PFI के संबंध
गृह मंत्रालय ने अधिसूचना जारी कर कहा है PFI और उसके सहयोगी संगठन समाज के एक वर्ग को कट्टर बनाकर लोकतंत्र की अवधारणा को कमजोर करने के लिए काम करते हैं। साथ ही देश के संवैधानिक प्राधिकार और संवैधानिक ढांचे के प्रति अनादर दिखाते हैं।
बता दें कि PFI के कुछ संस्थापक सदस्य स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया के नेता रह चुके हैं। साथ ही PFI का संबंध जमात उल मुजाहिद्दीन बांग्लादेश से रहा है। जबकि ये दोनों संगठन प्रतिबंधित हैं।
आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा
PFI कई आतंकी मामलों में शामिल रहा है। बाहरी स्त्रोतों से धन और वैचारिक समर्थन की वजह से यह देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए बड़ा खतरा है। जांच से पता चला है कि PFI और इसके सहयोगी हिंसक कार्यो में संलिप्त रहे हैं। जैसी कि एक प्रोफेसर का हाथ काटना, अन्य धर्मों के संगठनों से जुडे़ लोगों की हत्या करना, साथ ही प्रमुख लोगों और स्थानों को निशाना बनाने के लिए विस्फोटक प्राप्त करना, इसके अलावा सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाना शामिल है।
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