Amla navami 2022: कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को आंवला नवमी, अक्षय नवमी के नाम से जाना जाता है. इस बार यह तिथि बुधवार 2 नवंबर को है. इसे एक पर्व के रूप में धूमधाम से मनाया जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस पर्व पर पूर्ण श्रद्धा व विश्वास के साथ पूजा करने से मनचाही इच्छा पूरी होती है. इस दिन धार्मिक ग्रंथों में भी आंवले के रस में जल मिलाकर स्नान करने का महत्व बताया गया है.
बालाजी धाम काली माता मंदिर के ज्योतिषाचार्य डॉ. सतीश सोनी के अनुसार इस बार अक्षय नवमी 2 नवंबर दिन बुधवार पर मानस, मित्र, रवि योग रहेगा। इस दिन आंवले के पेड़ का पूजन कर पेड़ की जड़ में दूध चढ़ाना फलदाई माना जाता है। इससे सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. मान्यताओं के अनुसार त्रेता युग का आरंभ इसी दिन हुआ था। इस दिन दान व्रत व भगवान विष्णु का स्वरूप आंवला वृक्ष की पूजा करने से एवं इस वृक्ष के नीचे ब्राह्मण भोजन कराना अथवा स्वयं भोजन करने से जन्म जन्मांतर का पुण्य फल प्राप्त होता है।
इन पर पड़ सकता है प्रभाव
इस दिन आंवला वृक्ष की पूजा विशेष रूप से की जाती है. विष्णु पुराण में आंवले के पेड़ में भगवान विष्णु और शिव का वास रहता है। वही जिनकी कुंडली में सूर्य ग्रह पीडि़त है. अथवा सूर्य कमजोर है. या फिर सूर्य शत्रु राशि में है. वह जातक इस दिन से आंवले के पेड़ के नीचे भगवान विष्णु को 10 दिन तक घी का दीपक लगाते हैं. तो उन्हें जल्दी ही इस प्रकार के दोषों से मुक्ति मिलती है.
आंवला खाने से दूर होती हैं ये बीमारियां
- आयुर्वेद में आंवले का विशेष महत्व बताया गया है. इसे खासतौर पर सर्दियों में खाना चाहिए, इससे चर्म रोग नहीं होते हैं.
- आंवले का रस, चूर्ण और आंवले का मुरब्बा ये सभी हमारे स्वास्थ्य को लाभ पहुंचाते हैं. इसका जूस पीने से विटामिन सी की कमी पूरी हो जाती है.
- आंवले के ररस पानी में मिलाकर स्नान से त्वचा संबंधी कई रोगों में लाभ मिलता है. इसके जूस पीने से त्वचा की चमक भी बढ़ती है.
- आंवला शरीर में बढ़े हुए पित्त को नियंत्रित करता है. लंबे समय तक आंवला खाने से कई बीमारियां खत्म होने लगती हैं.
- एसिडिटी और अपच से बचने के लिए ऋषियों ने इस पर्व पर आंवला खाने की परंपरा बनाई है.
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