हिन्दू धर्म में शारदीय नवरात्रि इसलिए मनाई जाती हैं ताकि परिवार में सुख–समृद्धि,आरोग्य जीवन और सुयोग्य संतान की प्राप्ति के लिए किया गया है। शारदीय नवरात्रि में ही मां दुर्गा ने राक्षसों के वध करने के लिए ही नौ दिनों तक नौ रूप धारण किए थे.इस वर्ष शारदीय नवरात्रि 26 से प्रारंभ हो रही हैं.और पांच अक्टूबर को दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन व विजया दशमी पर्व मनाया जायेगा। इस बात की जानकारी पत्रकारों से चर्चा करते हुए ग्वालियर रोड स्थित श्री सिद्धेश्वर मंदिर में महानगर धर्माचार्य आचार्य पं. हरिओम पाठक, जिला धर्माचार्य महन्त विष्णु दत्त स्वामी व युवा ब्राह्मण महासंघ के अध्यक्ष रवीश त्रिपाठी ने दी हैं।
सूर्योदय से सूर्यास्त तक शुभ मुहूर्त हैं
उन्होंने बताया हैं कि 26 सितम्बर को प्रातः सूर्योदय से सूर्यास्त तक शुभ मुहूर्त हैं। श्री गणेश पूजन, कलश स्थापना, दुर्गा प्रतिमाओं की स्थापना प्रतिपदा को अमृत चौघड़िया के लिए सुबह 6 से 7.30 बजे तक, 9.00 से 10.30 बजे तक और शाम को 3 बजे से 6 बजे तक शुभ है। 4 अक्टूबर को दुर्गा नवमी का जवारों का विसर्जन करना शुभ है। और फिर 5 अक्टूबर को विजयादशमी दशहरा, दुर्गा प्रतिमा विसर्जन व रावण दहन होगा।
दुर्गा मंचों पर अश्लील नृत्य एवं फूहड़ गीतों का प्रदर्शन बिल्कुल न करें
साथ ही युवा ब्राह्मण महासंघ के अध्यक्ष रवीश त्रिपाठी ने बताया कि पांच अक्टूबर को विजयादशमी पर्व एवं दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन दोपहर से लेकर देर रात्रि तक चलेगा। इसी दिन शस्त्र पूजन भी होगा। साथ ही सभी दुर्गा उत्स समितियों से अपील की गई कि दुर्गा मंचों पर अश्लील नृत्य एवं फूहड़ गीतों का प्रदर्शन बिल्कुल न करें एवं विद्युत समस्या ध्यान में रखते हुए दुर्गा पण्डालों में विद्युत का प्रयोग कम से कम करें।जिला धर्माचार्य महन्त विष्णु दत्त स्वामी ने कहा कि दुर्गा उत्सव के दौरान प्रातः एवं रात्रि कालीन विद्युत कटौती नहीं की जाये एवं आरती के समय दुर्गा मंचों के आसपास की विशेष व्यवस्था की जाये।