एनडीए के खिलाफ विपक्षी दलों ने अपने गठबंधन को इंडिया नाम दिया है। 31 अगस्त को इंडिया गठबंधन की बैठत मुंबई में होने वाली है जिसमें आगे की रणनीति पर चर्चा होनी है। यह बात अलग है कि दबाव की राजनीति भी नजर आ रही है। आम आदमी पार्टी तो बैठक में शामिल होने का न्यौता भेजा गया है हालांकि उससे पहले आप ने डिमांड रखी है। आम आदमी पार्टी ने अरविंद केजरीवाल को पीएम चेहरा बनाने की वकालत की है। इसके लिए दलीलें भी पेश की हैं।
अरविंद केजरीवाल हों पीएम पद के उम्मीदवार
आपको बता दें कि सीएम अरविंद केजरीवाल की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी के पक्ष में तर्क देते हुए आप प्रवक्ता ने एक इंटरव्यू के दौरान बातचीत करते हुए कहा है कि “इतनी कमरतोड़ महंगाई में भी राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में महंगाई सबसे कम है। मुफ्त पानी, मुफ्त शिक्षा, मुफ़्त बिजली, महिलाओं के लिए मुफ़्त बस यात्रा, बुज़ुर्गों के लिए मुफ़्त तीर्थ यात्रा, फिर भी सरप्लस बजट पेश किया गया है। इतना ही नहीं कक्कड़ ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि अरविंद केजरीवाल लगातार लोगों के मुद्दे उठाते हैं और प्रधानमंत्री मोदी चैलेंजर के रूप में उभरे हैँ। चाहे वो उनकी डिग्री का मामला हो या कुछ और, अरविंद केजरीवाल मुखर होकर बात रखते हैं।
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आप की मुख्य राष्ट्रीय प्रवक्ता प्रियंका कक्कड़ का बयान ने कहा
"अगर आप मुझसे पूछें तो मैं चाहूंगी कि अरविंद केजरीवाल प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बनें। इतनी कमरतोड़… pic.twitter.com/uZjK77dY9O
— News1Indiatweet (@News1IndiaTweet) August 30, 2023
मेक इंडिया नंबर वन विजन के साथ आगे बढ़- प्रियंका कक्कड़
प्रियंका कक्कड़ ने कहा कि दिल्ली की शिक्षा और स्वास्थ्य मॉडल की सरहाना देश ही नहीं बल्कि दुनिया के अलग-अलग मुल्कों में हो रही है। हम मेक इंडिया नंबर वन विजन के साथ आगे बढ़ रहे हैँ। पीएम कहते हैं कि बाहर से सामान खरीदने पर हम महंगाई को इंपोर्ट कर रहे हैं, लेकिन हमारा मानना है कि भारत को मैन्यूफैक्चरिंग हब बनाकर इस तरह की समस्या से पार पा सकते हैं। लेकिन सवाल यह है कि क्या इस तरह के बयान से विपक्षी एकता गठबंधन पुख्ता होगा।
वहीं जानारों का कहना है कि जब कोई भी दल अपने दम पर विपक्ष की भूमिका निर्वाह नहीं कर पाता तो उसके सामने विचार वाले दलों को एक मंच पर लाने की कोशिश करनी पड़ती है। इस तरह की कोशिश कितनी कामयाब होगी उसके लिए जरूरी है कि विपक्ष के जितने भी धड़े हों उनके नेताओं की व्यक्तिगत महत्वाकांक्षा कम हो. लेकिन सियासत का जब मूल मकसद गद्दी पर कब्जा करने का होता है कि तो व्यवहारिक तौर पर दिक्कत सामने आती है. अगर मौजूदा समय की बात करें तो विपक्षी दलों को लगता है कि एनडीए को सत्ता से बाहर करने की क्षमता अकेले दम पर किसी की नहीं है लिहाजा पहली कोशिश जनता के बीच यह संदेश देने की होनी चाहिए. लिहाजा इस तरह के बयान और दबाव बनाए जाने के मामले सामने आते रहेंगे।