कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए अब दावेदारों की संख्या बढ़ने लगी है। उम्मीदें लगाई जा रही थी कि राहुल गांधी के नाम पर सहमति बन सकती है, लेकिन शशि थरूर और बाद में अशोक गहलोत के चुनाव लड़ने की चर्चाओं के बीच अब एक पूर्व मुख्यमंत्री और एक पूर्व केंद्रीय मंत्री का नाम भी सामने आ रहा है। इनमें मध्य प्रदेश के पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह और पूर्व केंद्रीय मंत्री मनीष तिवारी शामिल हैं।
जानकारी के मुताबिक अशोक गहलोत बुधवार को सोनिया गांधी से मुलाकात करने पहुंचे थे। जहां उन्होंने सीपी जोशी को अपने बाद सीएम बनाने का सुझाव दिया है। इससे साफ दिखाई दे रहा है कि वह सचिन पायलट को रास्ते से हटाना चाहते हैं, जिनके समर्थक लगातार उन्हें सीएम बनाने के लिए लॉबिंग करते रहे हैं।
वही, राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव में उतरने वाले नेताओं को सलाह देते हुए कहा है कि, ‘उन्हें ध्यान रखना चाहिए कि यह महज एक पद नहीं है बल्कि विश्वास की परंपरा है और वैचारिक जिम्मेदारी है’। उन्होंने अशोक गहलोत के अध्यक्ष बनने के बाद भी सीएम रहने के सवाल पर भी मीडिया को बताते हुए कहा कि, ‘मैं एक व्यक्ति एक पद की बात पर कायम हूं, जिसका वादा हमने उदयपुर में किया था’।
राहुल गांधी के बयान से साफ दिखाई दे रहा है कि कांग्रेस अध्यक्ष बनने के बाद गहलोत के लिए राजस्थान का सीएम बने रहना मुश्किल हो जाएगा। सूत्रों का कहना है कि इसी के चलते उन्होंने सीएम के तौर पर अपने उत्तराधिकारी के नाम की सिफारिश सोनिया गांधी से की है। उनको लगता है कि सीपी जोशी के जरिए वह राजस्थान में अपनी पकड़ बनाए रख पाएंगे और अपने भरोसेमंद नेताओं को अगले चुनाव में टिकट भी दिला सकेंगे। पायलट के सीएम बनने की स्थिति में अशोक गहलोत के लिए ऐसा कर पाना मुश्किल होगा। यही वजह है कि वह सीपी जोशी के नाम पर आगे बढ़ने का सुझाव हाईकमान को दे रहे हैं।
ब्राह्मण समुदाय से आने वाले सीपी जोशी ने शिक्षा में मनोविज्ञान में पीएचडी और लॉ डिग्री हासिल कर रखी है। जिसके बाद उन्होंने लेक्चरर के तौर पर नौकरी की, जब वह सूबे के पूर्व सीएम मोहन लाल सुखाड़िया के संपर्क में आए थे तो उन्हें सुखाड़िया ने इलेक्शन कैंपेन की जिम्मेदारी दे दी थी। वहीं, चुनाव में जीत के बाद सुखाड़िया ने उन पर मेहरबानी दिखाई और 1980 में विधानसभा का टिकट दिया। 29 साल की उम्र में जोशी पहली बार विधायक बन गए थे। अशोक गहलोत और सीपी जोशी के रिश्ते उतार-चढ़ाव भरे रहे हैं, लेकिन दोनों नेता 2020 में करीब आ गए थे। यह बात जून 2020 की है, जब सचिन पायलट ने बगावत कर दी थी और उनके साथ 19 विधायक मानेसर में जमे थे। उस समय सीपी जोशी राजस्थान विधानसभा के स्पीकर थे और उसी दौरान विधायकों को अयोग्यता का नोटिस जारी कर दिया था। इन नेताओं में सचिन पायलट भी शामिल थे। तब से ही दोनों नेता करीब हैं।
सीपी जोशी साल 2008 में राजस्थान कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए थे। अशोक गहलोत के बेटे वैभव को राजस्थान क्रिकेट बोर्ड में एंट्री दिलाने में सीपी जोशी की भूमिका अहम थी। राजस्थान सरकार में मंत्री रहने के साथ ही वह यूपीए सरकार में केंद्रीय मंत्री भी रह चुके है।