देश में फास्टैग की शुरुआत साल 2014 में हुई थी, ताकि टोल प्लाजा पर लगने वाले लंबे जाम से राहत मिल सके। हालांकि, इसके बावजूद कई टोल प्लाजा पर गाड़ियों की लंबी कतारें देखी जाती हैं। इसे खत्म करने के लिए सरकार ने 17 फरवरी से कुछ नए नियम लागू किए हैं। उम्मीद की जा रही है कि इन नियमों के बाद टोल पर लगने वाली भीड़ काफी हद तक कम हो जाएगी।
क्या पुरानी गाड़ी का फास्टैग नई गाड़ी में लगेगा
फास्टैग को लेकर लोगों के मन में कई सवाल होते हैं। एक आम सवाल यह है कि अगर किसी ने अपनी पुरानी गाड़ी बेच दी और नई गाड़ी खरीद ली, तो क्या वह पुराने फास्टैग को नई गाड़ी में इस्तेमाल कर सकता है?
एनपीसीआई (NPCI) के नियमों के अनुसार, पुराने फास्टैग को नई गाड़ी में ट्रांसफर नहीं किया जा सकता। अगर आपने एक नई गाड़ी खरीदी है, तो आपको उसके लिए नया फास्टैग लेना होगा। पुरानी गाड़ी से फास्टैग निकालकर नई गाड़ी में लगाने का कोई फायदा नहीं होगा, क्योंकि यह काम नहीं करेगा।
गाड़ी के रजिस्ट्रेशन नंबर से जुड़ा होता है फास्टैग
फास्टैग जारी करते समय गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर दिया जाता है। हर गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नंबर अलग होता है, इसलिए अगर आप नई गाड़ी खरीदते हैं, तो उसका रजिस्ट्रेशन नंबर भी नया होगा। ऐसे में पुराने फास्टैग का उपयोग नहीं किया जा सकता और आपको नई गाड़ी के लिए अलग से नया फास्टैग लेना ही पड़ेगा।
फास्टैग कितने साल तक वैध रहता है
NHAI (भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण) के अनुसार, फास्टैग जारी होने की तारीख से 5 साल तक वैध रहता है। यानी, एक बार फास्टैग खरीदने के बाद 5 साल तक इसका इस्तेमाल किया जा सकता है। लेकिन 5 साल पूरे होने के बाद इसे रिन्यू कराना जरूरी नहीं है। आप चाहें तो नया फास्टैग ले सकते हैं या फिर रिन्यू करवा सकते हैं।
17 फरवरी से लागू हुआ नया नियम
फास्टैग से जुड़े नए नियम 17 फरवरी से लागू हो चुके हैं। हालांकि, इसका नोटिफिकेशन 28 जनवरी 2025 को जारी किया गया था। नए नियमों के मुताबिक, अगर आपका फास्टैग स्कैन होने से 60 मिनट पहले या स्कैन होने के 10 मिनट बाद तक ब्लैकलिस्ट में रहता है, तो पेमेंट नहीं होगा। यानी, फास्टैग को समय पर एक्टिव रखना बेहद जरूरी होगा, वरना आपको टोल पर परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।