‘इश्क हो जाए किसी से कोई चारा तो नहीं…’, ‘I Love Mohammad’ पर शायराना अंदाज़ में आया आज़म खान का बयान

आजम खान ने ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद के तेजी से भड़कने पर हैरानी जताते हुए कहा कि यह मामला मामूली था और प्रशासन चाहता तो इसे बातचीत के जरिए आसानी से सुलझाया जा सकता था।

Azam Khan

Azam Khan : समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता और लंबे समय बाद जेल से रिहा हुए आज़म खान ने ‘आई लव मोहम्मद’ विवाद को लेकर गहरी हैरानी जताई। उन्होंने कहा कि यह मुद्दा दरअसल “एक छोटी सी चिंगारी” था, लेकिन अफसोस है कि उसे इतना बड़ा “शोला” बना दिया गया।

बरेली हिंसा पर क्या बोले आज़म खान

बरेली में हुए विवाद और तौकीर रज़ा की गिरफ्तारी पर पूछे गए सवाल के जवाब में आज़म खान ने कहा कि अगर जिला प्रशासन चाहता तो यह मामला बातचीत से सुलझाया जा सकता था। उनके अनुसार, “किसी भी विवाद का समाधान हमेशा बातचीत की मेज पर निकलता है। इतिहास गवाह है—चाहे पहला विश्व युद्ध हो या दूसरा—आखिरकार शांति वार्ता के ज़रिए ही नतीजे निकले।”

उन्होंने आगे कहा कि “जब आधी दुनिया तबाह हो चुकी थी, तब भी समझौते टेबल पर बैठकर हुए थे और सौहार्दपूर्ण माहौल में ही समाधान निकला था। अगर हम संवाद को जीवित रखें और बात बिगड़ने से पहले संभालने की कोशिश करें, तो सबसे कठिन हालात का हल भी निकल सकता है। यह पूरा मामला दरअसल आपसी भाईचारे को तोड़ने की साजिश था।”

‘आई लव मोहम्मद’ पर रखी अपनी राय 

‘आई लव मोहम्मद’ पर अपनी राय रखते हुए आज़म खान ने कहा, “अगर कोई किसी से मोहब्बत करता है, तो यह उसका व्यक्तिगत हक़ है, उस पर किसी का अधिकार नहीं। मुझे कुंवर महेंद्र सिंह बेदी का शेर याद आता है—‘इश्क हो जाए किसी से कोई चारा तो नहीं… सिर्फ मुस्लिम का मोहम्मद पे इजारा तो नहीं।’ हमें इसी भावना को फिर से ज़िंदा करने की ज़रूरत है।”

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उन्होंने आगे कहा कि “कुंवर महेंद्र सिंह खुद एक सिख थे, लेकिन उनकी बात इंसानियत की गहराई को दर्शाती है। सच्चे धार्मिक नेता किसी एक मज़हब तक सीमित नहीं होते — वे मानवता के लिए आते हैं, सबके लिए। किसी भी धर्मगुरु के नाम पर नफरत या टकराव फैलाना गलत है, क्योंकि धर्म का असली उद्देश्य प्रेम, शांति और एकता है — और यह सिद्धांत सभी धर्मों पर समान रूप से लागू होता है।”

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